इस साल देश में मानसून की आमद पहले से कहीं ज्यादा जल्दी होने के संकेत मिल रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण पश्चिम मानसून 27 मई तक केरल पहुंच सकता है, जो सामान्य तारीख 1 जून से करीब पांच दिन पहले है। अगर ऐसा होता है तो यह 2009 के बाद सबसे जल्दी मानसून का आगमन होगा। 2009 में मानसून ने 23 मई को केरल में दस्तक दी थी।
अंडमान-निकोबार में जल्द सक्रिय होगा मानसून
मौसम विभाग ने पहले ही संकेत दिए थे कि 13 मई तक मानसून दक्षिणी अंडमान सागर, बंगाल की खाड़ी और निकोबार द्वीपों में सक्रिय हो सकता है। सामान्यतः इन क्षेत्रों में मानसून 20 मई के आसपास पहुंचता है। यानी इस बार मानसून अपनी रफ्तार में करीब एक हफ्ते की तेजी से आगे बढ़ रहा है।
बीते वर्षों में कब पहुंचा मानसून केरल?
हर साल मानसून की शुरुआत और प्रगति अलग-अलग होती है। पिछले कुछ वर्षों में केरल में मानसून की दस्तक की तारीखें कुछ इस प्रकार रहीं:
- 2024 – 30 मई
- 2023 – 8 जून
- 2022 – 29 मई
- 2021 – 3 जून
- 2020 – 1 जून
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आमतौर पर 1 जून को मानसून केरल से प्रवेश करता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। फिर 17 सितंबर से मानसून की वापसी शुरू होती है, जो 15 अक्टूबर तक पूरी तरह खत्म हो जाती है।
सामान्य से ज्यादा बारिश की उम्मीद
सबसे अहम बात यह है कि इस बार सिर्फ मानसून जल्दी नहीं आएगा, बल्कि बारिश भी सामान्य से ज्यादा होने की उम्मीद है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन के मुताबिक, इस बार मानसून के चार महीनों (जून से सितंबर) में 105% बारिश हो सकती है, जबकि औसत सामान्य बारिश 87 सेंटीमीटर मानी जाती है।
अल-नीनो का असर नहीं पड़ेगा
सामान्यतः जब अल-नीनो सक्रिय होता है तो भारत में मानसून कमजोर पड़ता है। लेकिन इस बार मौसम विभाग ने अल-नीनो के असर को कमजोर बताया है और कहा है कि उसका प्रभाव इस बार बारिश पर नहीं दिखेगा।
इससे कृषि, जल भंडारण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है। किसानों और खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है।
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