इंदौर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया परिक्रमा कृपा-सार का विमोचन, श्रद्धा और भक्ति को बताया भारत की असली ताकत
इंदौर। नर्मदा खंड सेवा संस्थान द्वारा रविवार को आयोजित भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने पंचायत मंत्री प्रह्लाद पटेल की पुस्तक “परिक्रमा कृपा-सार” का विमोचन किया। यह पुस्तक श्री पटेल की नर्मदा परिक्रमा के संस्मरणों और अनुभवों पर आधारित है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल सहित अनेक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि और संत महात्मा भी उपस्थित रहे।

“भगवान सर्वत्र हैं, नर्मदा मैया बोध कराने वाली शक्ति”
सरसंघचालक डॉ. भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान न तो एक हैं और न अनेक, बल्कि वे सर्वत्र व्याप्त हैं। उन्होंने कहा – “नर्मदा मैया हमें अपने बोध का बोध कराती हैं। भारत का अस्तित्व केवल सामर्थ्य या सत्ता से नहीं, बल्कि भक्ति और आत्मीयता के भाव से है। जब तक लोगों के भीतर सर्वत्र चैतन्यता और पवित्रता का भाव रहा, तब तक दुनिया में सुख और शांति बनी रही।”
उन्होंने कहा कि भारत ने कभी किसी को दबाया नहीं, बल्कि सभ्यता और ज्ञान देकर पूरी दुनिया का मार्गदर्शन किया।

“श्रद्धा और विश्वास से चलता है जीवन”
डॉ. भागवत ने जोर देते हुए कहा कि संसार की व्यवस्था केवल तर्क या शक्ति से नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास पर चलती है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां श्रद्धा कोई काल्पनिक बात नहीं है, बल्कि प्रत्यक्ष प्रमाणों और अनुभवों पर आधारित है। इसे हमारे पूर्वजों ने भवानी-शंकर का स्वरूप दिया है।
उन्होंने कहा – “ज्ञान और विज्ञान की खोज में बाहर मत भटको, सुख और सत्य अपने भीतर ही है। यही भारत की परंपरा रही है कि सबमें एक ब्रह्म है और बाहरी विविधता केवल मिथ्या है। इसीलिए साधना और भक्ति के माध्यम से ही मनुष्य ईश्वर का साक्षात्कार कर सकता है।”
परिक्रमा(नर्मदा परिक्रमा) में जो कुछ प्रहलाद जी को बोध मिला होगा, उस बोध(पुस्तक) को सरसरी तौर पर जो मैंने पढ़ा है, उसमें तो यही है कि-मैं और मेरा छोड़ो; अंतःकरण पवित्र करो। स्वार्थ बिल्कुल मत रखो। कर्तव्य, कर्म करते चलो। सबको अपना मानकर चलते जाओ।
— Prahlad Singh Patel ( वृक्ष से जल, जल से जीवन) (@prahladspatel) September 14, 2025
-प.पू. सरसंघचालक श्री… pic.twitter.com/fFqPYqhC4h
“स्वार्थ और अहंकार संघर्ष की जड़”
संघ प्रमुख ने आधुनिक समय की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया में संघर्ष और टकराव की वजह लोगों का स्वार्थ और अहंकार है। हर कोई यही सोचता है कि केवल मैं ही आगे बढ़ूं, दूसरा नहीं। यही मानसिकता दुनिया को अशांति की ओर ले जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने भीतर भक्ति, अपनापन और आत्मीयता का भाव जगाएं तो संसार में सुख और शांति संभव है।
प्रह्लाद पटेल ने साझा किए अपने अनुभव
पंचायत मंत्री प्रह्लाद पटेल ने नर्मदा परिक्रमा के अपने संस्मरण साझा किए। उन्होंने कहा कि प्रारंभ में वे पुस्तक छपवाने के पक्ष में नहीं थे क्योंकि उनका उद्देश्य नर्मदा को “बेचना” नहीं था। लेकिन मित्रों और गुरुदेव की प्रेरणा से इसे प्रकाशित किया गया। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक से प्राप्त राशि गौसेवा और परिक्रमा वासियों की सेवा में लगाई जाएगी।
पटेल ने भावुक होते हुए कहा – “नर्मदा केवल नदी नहीं, बल्कि हमारी माता और जीवनधारा हैं। उनका अनुभव किसी भी सांसारिक महत्वाकांक्षा से कहीं बड़ा है।”

संतों और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी
इस अवसर पर महामंडलेश्वर श्री ईश्वरानंद उत्तमस्वामीजी महाराज ने भी विचार रखे और कहा कि नर्मदा परिक्रमा केवल यात्रा नहीं, बल्कि पांच तत्वों के साथ आत्मा का दिव्य जुड़ाव है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा – “राजनीति में भी ऊपर उठने के लिए परिक्रमा करनी पड़ती है।”

कार्यक्रम में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, मंत्री विश्वास सारंग, कैलाश विजयवर्गीय, तुलसीराम सिलावट, विधायक गोलू शुक्ला, मेयर पुष्यमित्र भार्गव, भाजपा संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और शहीद परिवारों के सदस्य भी उपस्थित थे।
सांस्कृतिक और भावनात्मक माहौल
कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता, माँ नर्मदा, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर और श्री श्रीबाबाश्री जी को पुष्प अर्पित करने के साथ हुई। नर्मदाष्टकम् के पाठ और भावपूर्ण चलचित्र ने वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना दिया।
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