मोदी-जिनपिंग मुलाकात: सीमा पर शांति, सीधी उड़ानें और वैश्विक सहयोग की नई शुरुआत

बीजिंग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तियानजिन में हुई मुलाकात ने एशिया ही नहीं बल्कि वैश्विक राजनीति में भी नई हलचल पैदा कर दी है। करीब दस महीनों बाद दोनों नेताओं का आमना-सामना हुआ और यह मुलाकात लगभग 50 से 55 मिनट तक चली। इसमें न सिर्फ सीमा विवाद और सैनिकों की वापसी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई बल्कि दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें शुरू करने, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और आपसी सहयोग से मानवता के कल्याण तक की संभावनाओं पर भी बात हुई।

यह मुलाकात उस समय हुई है जब अमेरिका और भारत के रिश्ते ट्रंप प्रशासन की नीतियों के चलते तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिका द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ थोपने और रूस से तेल खरीदने पर दबाव बनाने जैसी परिस्थितियों ने भारत को अपने पुराने साझेदारों की ओर झुकने के लिए मजबूर किया है। ऐसे समय में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात को रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।


सीमा पर शांति की दिशा में बड़ा कदम

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक के दौरान कहा कि सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना है। लंबे समय से चले आ रहे तनाव ने दोनों देशों के रिश्तों को ठंडा कर दिया था। पूर्वी लद्दाख में हुई झड़पों के बाद रिश्ते निचले स्तर तक पहुंच गए थे, लेकिन हाल के समझौतों के चलते सैनिक पीछे हटे हैं और विश्वास बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई है। मोदी ने स्पष्ट किया कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता जारी है और भारत स्थायी शांति चाहता है।


कैलाश मानसरोवर यात्रा और सीधी उड़ानों की बहाली

कोविड महामारी और सीमा तनाव के चलते 2020 से बंद हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें भी जल्द ही शुरू होने वाली हैं। यह निर्णय दोनों देशों के बीच जन-जन के स्तर पर संबंधों को और गहरा करने में मदद करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने याद दिलाया कि हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की बातचीत में उड़ानें शुरू करने पर सहमति बनी थी।


जिनपिंग का संदेश: ड्रैगन और हाथी साथ आएं

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बैठक के दौरान कहा कि ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) को साथ आना चाहिए। उनका मानना है कि दोनों देशों के बीच सहयोग न सिर्फ एशिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए सकारात्मक परिणाम ला सकता है। मोदी ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच सहयोग से 2.8 अरब लोगों को सीधा लाभ होगा और यह पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग खोलेगा।

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वैश्विक राजनीति में भारत-चीन समीकरण

यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने तियानजिन पहुंचे हैं। यहां उनकी मुलाकात रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी होनी है। यानी 24 घंटों के भीतर मोदी का चीन और रूस दोनों के साथ संवाद होना तय है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इसे अमेरिका की रणनीति के लिए चुनौती के रूप में देख रहे हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि वॉशिंगटन द्वारा भारत पर बढ़ाए गए टैरिफ और दबाव ने भारत को एशियाई साझेदारों के साथ और नजदीक ला दिया है।


ट्रंप टैरिफ के बीच अहमियत बढ़ी मुलाकात की

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50 प्रतिशत तक का आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। इसके चलते भारत-अमेरिका संबंधों में खटास आई है। अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारत के खिलाफ बयानबाजी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। ऐसे समय में मोदी-जिनपिंग की बातचीत भारत के लिए न केवल कूटनीतिक मजबूरी है बल्कि रणनीतिक आवश्यकता भी बन गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस मुलाकात से भारत को चीन के साथ व्यापार, निवेश और कूटनीतिक संतुलन साधने का अवसर मिलेगा।


तियानजिन में हुई मोदी-जिनपिंग मुलाकात कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। यह मुलाकात सीमा पर स्थिरता, आर्थिक सहयोग और वैश्विक राजनीति के बदलते समीकरणों के बीच नए अवसरों का संकेत देती है। सीधी उड़ानें और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली जनता के स्तर पर संबंधों को मजबूत करेगी, वहीं आपसी संवाद से दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की प्रक्रिया तेज होगी। दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का सहयोग न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।