: प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा: SCO समिट और द्विपक्षीय वार्ता के अवसर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की जापान यात्रा के बाद शनिवार को चीन पहुंचे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह उनकी सात साल बाद चीन की यात्रा है, और इस बार उनका दौरा कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है। SCO समिट के अलावा, मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे, जो आने वाले समय में भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नया दिशा दे सकती है।

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चीन की यात्रा की विशेषता

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब पूरी दुनिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों से जूझ रही है। ट्रम्प ने भारत पर 50% तो चीन पर 30% टैरिफ लगाया है, जिसके कारण वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मच गई है। इस संदर्भ में मोदी की यात्रा को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जहां वे SCO समिट में भाग लेने के साथ-साथ चीन और रूस के नेताओं से वार्ता करेंगे। SCO समिट में 20 से अधिक देशों के नेता शामिल होंगे, और यह बैठक 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित की जाएगी।

द्विपक्षीय वार्ता और वैश्विक संकेत

प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा विशेष रूप से भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के संदर्भ में अहम हो सकती है। दोनों देशों के बीच तनाव का इतिहास रहा है, लेकिन इस यात्रा के दौरान इस तनाव को कम करने के लिए कई प्रयास किए जा सकते हैं। विशेष रूप से रूस के राष्ट्रपति पुतिन के दिसंबर में होने वाले भारत दौरे पर भी चर्चा हो सकती है, जिससे भारत और रूस के संबंधों को और भी मजबूत बनाने की संभावनाएं उत्पन्न होंगी।

चीन और रूस के साथ भारतीय नेता की यह यात्रा उस वक्त हो रही है, जब अमेरिका द्वारा अन्य देशों को अलग-थलग करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। यह यात्रा इस बात का संकेत भी है कि वैश्विक राजनीति में चीन, रूस, और अब भारत एकजुट हो सकते हैं, और अमेरिका के नेतृत्व वाले ग्लोबल ऑर्डर का एक विकल्प पेश कर सकते हैं। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, शी जिनपिंग इस समिट के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि चीन और रूस के साथ भारत की साझेदारी वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

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भारतीय समुदाय का गर्मजोशी से स्वागत

प्रधानमंत्री मोदी का तियानजिन स्थित होटल में भारतीय प्रवासियों द्वारा जोरदार स्वागत किया गया। भारतीय समुदाय के लोगों ने 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाए, जो इस बात का प्रतीक है कि भारतीय समुदाय चीन में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को महत्वपूर्ण मानता है। इसके साथ ही, चीनी कलाकारों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य पर आधारित प्रस्तुतियां दीं, जो दर्शाते हैं कि भारत और चीन के सांस्कृतिक संबंध भी मजबूत हो रहे हैं।

एक भारतीय प्रवासी मकरांत ठक्कर ने कहा, "मैं उन सौभाग्यशाली लोगों में से हूं, जो प्रधानमंत्री मोदी से पहले भी मिल चुके हैं। हम यहां उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए उत्साहित हैं। भारत और चीन दोनों एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं और साथ मिलकर काम कर सकते हैं।"

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भारत और चीन के बीच रिश्तों का भविष्य

इस यात्रा का एक और अहम पहलू यह है कि मोदी की यह यात्रा चीन और भारत के बीच तनाव कम करने के एक बड़े अवसर के रूप में देखी जा रही है। भारत ने जून 2025 में किंगदाओ में आयोजित SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उसमें 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं था। अब, SCO नेताओं के शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की संभावना है, और भारत इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनाने की कोशिश करेगा।

भारत, चीन और रूस के बीच रिश्तों की जटिलताएं भले ही रही हों, लेकिन इस समय SCO समिट में इन देशों के बीच मिलकर वैश्विक मुद्दों पर साझेदारी बढ़ाने की संभावनाएं हैं। विशेष रूप से, पाकिस्तान जैसे अन्य SCO सदस्य देशों के साथ आतंकवाद पर सहयोग को बढ़ावा देने की कोशिशें हो सकती हैं। भारत अपनी चिंताओं को प्रमुख मुद्दे के रूप में उठाएगा और SCO के अन्य सदस्य देशों से इस दिशा में समर्थन प्राप्त करने की कोशिश करेगा।

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SCO समिट और उसका महत्व

SCO समिट में विश्व के विभिन्न नेता एक मंच पर मिलेंगे, और इस बार यह सम्मेलन वैश्विक राजनीति के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की उपस्थिति यह संकेत देती है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक मजबूत और महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। यह सम्मेलन न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत और चीन जैसे देशों के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों का भी प्रतीक है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत और चीन के रिश्तों को नई दिशा देने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की मजबूत स्थिति को भी उजागर करेगा। भारत, चीन और रूस के बीच इस यात्रा के दौरान होने वाली बातचीत से वैश्विक राजनीति में कई अहम बदलाव हो सकते हैं, जो आने वाले वर्षों में दुनिया के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं।