नई दिल्ली। दक्षिण कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सुरक्षा नीति में व्यापक बदलाव की शुरुआत हो गई है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि 7 मई को एक साथ मॉक ड्रिल आयोजित की जाए, जिसमें हवाई हमले की स्थिति में नागरिकों को बचाव और सुरक्षा के जरूरी प्रशिक्षण दिए जाएं। इसके साथ ही रणनीतिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा, ब्लैकआउट प्रोटोकॉल और आपात निकासी योजनाओं का रिहर्सल भी किया जाएगा।
यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब पहलगाम हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या हुई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध फिर से तनावपूर्ण हो गए हैं और भारत पाकिस्तान के खिलाफ कई रणनीतिक विकल्पों पर विचार कर रहा है।
क्यों जरूरी हो गई है मॉक ड्रिल?
गृह मंत्रालय के अनुसार, यह मॉक ड्रिल केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि आम नागरिकों को युद्ध जैसे हालात में सुरक्षित रहने की तैयारियों का हिस्सा बनाना अब समय की मांग है।
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि:
- नागरिकों और छात्रों को यह सिखाया जाएगा कि हवाई हमले या आतंकी हमले की स्थिति में वे कैसे प्रतिक्रिया दें।
- स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थानों में सुरक्षित स्थानों की पहचान, शरण स्थलों और आपातकालीन निकासी की व्यावहारिक ट्रेनिंग दी जाएगी।
मॉक ड्रिल में क्या-क्या होगा?
- हवाई हमले का सायरन बजेगा:
लोगों को यह सिखाया जाएगा कि सायरन की आवाज सुनकर क्या करना है – जैसे खुले स्थान से हटकर किसी मजबूत संरचना में शरण लेना। - ब्लैकआउट की प्रक्रिया:
हवाई हमले के दौरान लाइटें बंद करना यानी ‘ब्लैकआउट’ एक आवश्यक सैन्य रणनीति होती है, ताकि दुश्मन को लक्ष्य दिखाई न दे। इसका अभ्यास भी किया जाएगा। - महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा:
संवेदनशील कारखानों, बिजली घरों, और रक्षा प्रतिष्ठानों को तत्काल छिपाने या संरक्षित करने की प्रक्रिया भी मॉक ड्रिल का हिस्सा होगी। - आपात निकासी रिहर्सल:
स्कूलों, दफ्तरों और कॉलोनियों में लोगों को सुरक्षित रूप से निकाले जाने की योजना का पूर्वाभ्यास किया जाएगा। यह योजना भविष्य की आपदा प्रबंधन रणनीति का महत्वपूर्ण भाग होगी। - छात्रों और आम नागरिकों को आत्मसुरक्षा प्रशिक्षण:
लोगों को बताया जाएगा कि अगर हमला हो जाए तो खुद को कैसे बचाएं, प्राथमिक चिकित्सा कैसे दें और शांत कैसे रहें।
केंद्र सरकार की रणनीति: नागरिक भी बनें सुरक्षा नीति का हिस्सा
गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि आज के दौर में सुरक्षा केवल सेना या पुलिस की जिम्मेदारी नहीं रह गई है। जब दुश्मन आम नागरिकों को निशाना बना रहा है, तो हर नागरिक को प्रशिक्षित और जागरूक होना अनिवार्य है।
यह मॉक ड्रिल न केवल प्रशासन की तैयारियों की समीक्षा का जरिया बनेगा, बल्कि नागरिकों को युद्ध और आतंकी संकट से जूझने में सक्षम बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा।
फिरोजपुर में हुआ ब्लैकआउट अभ्यास
7 मई से पहले ही देश के कुछ हिस्सों में तैयारी शुरू हो चुकी है। रविवार को पंजाब के फिरोजपुर छावनी में रात 9 बजे से 9:30 बजे तक 30 मिनट का ब्लैकआउट अभ्यास किया गया।
पुलिस ने सड़क पर चल रहे वाहनों की लाइटें भी बंद करवाईं और पूरा क्षेत्र अंधेरे में रखा गया। छावनी थाने के एसएचओ गुरजंत सिंह ने बताया कि यह अभ्यास पूरी तरह सफल रहा और लोग इसमें सक्रिय रूप से शामिल हुए।
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच सुरक्षा का नया अध्याय
पहलगाम आतंकी हमले ने भारत को एक बार फिर यह एहसास दिलाया है कि सुरक्षा का ढांचा केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रह सकता। अब लड़ाई घरों, स्कूलों, बाजारों और पर्यटन स्थलों तक आ चुकी है।
इसलिए सरकार की कोशिश है कि देश के हर कोने में नागरिकों को सुरक्षा, जागरूकता और त्वरित प्रतिक्रिया की ट्रेनिंग दी जाए।
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