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April 19, 2025 7:27 AM

भारत में मोबाइल फोन उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि: 2024-25 में 5.25 लाख करोड़ रुपये

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भारत ने 2024-25 के दौरान मोबाइल फोन उत्पादन में एक नया मुकाम हासिल किया है। इस साल भारत का कुल मोबाइल फोन उत्पादन 5.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्षों के मुकाबले एक अभूतपूर्व वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि ना केवल देश के भीतर मोबाइल फोन उत्पादन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।

वैश्विक मांग और पीएलआई योजना का प्रभाव

भारत के मोबाइल फोन उत्पादन में यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के कारण संभव हो पाई है। इस योजना ने कंपनियों को प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग में उन्नति हुई और रोजगार के अवसर भी बढ़े।

साथ ही, वैश्विक स्तर पर स्मार्टफोन की मांग में वृद्धि ने भी भारत के उत्पादन को बढ़ावा दिया। एशिया, यूरोप और अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में भारतीय स्मार्टफोन का निर्यात बढ़ा है, जिससे यह उत्पाद सबसे अधिक निर्यात होने वाली कमोडिटी बन गया है।

स्मार्टफोन निर्यात में भारत की प्रमुखता

2024-25 में स्मार्टफोन ने भारत के निर्यात के मानचित्र में अपनी एक नई पहचान बनाई है। पहले जहां भारत मुख्य रूप से कृषि उत्पादों और कुछ उद्योगों के सामानों के लिए जाना जाता था, अब स्मार्टफोन उद्योग ने इस श्रेणी में शीर्ष स्थान हासिल किया है।

भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में मजबूती

देश में मोबाइल फोन निर्माण के क्षेत्र में हुई यह वृद्धि भारत को एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित कर रही है। घरेलू कंपनियां, जैसे कि भारत की सबसे बड़ी मोबाइल निर्माता कंपनियां, और विदेशी निवेशकों के लिए भारत अब एक आकर्षक निवेश गंतव्य बन चुका है।

यह सब भारत की सरकारी नीतियों, जैसे पीएलआई योजना, का ही परिणाम है, जो उद्योगों को स्थानीय निर्माण के लिए प्रोत्साहित करती हैं। इसके अलावा, चीन जैसे देशों से आपूर्ति श्रृंखलाओं में विघटन ने भारत को एक प्रतिस्पर्धी लाभ दिया है।

भविष्य की दिशा

भारत का मोबाइल फोन उत्पादन क्षेत्र आने वाले वर्षों में और भी अधिक उन्नति की ओर अग्रसर है। जहां 2024-25 में भारत ने 5.25 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया, वहीं आने वाले सालों में यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। सरकार के द्वारा जारी किए गए और योजनाओं के साथ-साथ नई टेक्नोलॉजी के विकास और वैश्विक बाजार की बढ़ती मांग को देखते हुए, भारत को एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में मजबूती मिलेगी।

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