अब तक 200 से अधिक बच्चे गेम-रील की लत से मुक्त, पुजारी ईश्वर शर्मा की पहल बनी सहारा
उज्जैन, 3 मई।
मोबाइल पर बढ़ती निर्भरता और बच्चों में गेम-रील की लत को लेकर देशभर के माता-पिता चिंतित हैं, लेकिन धार्मिक नगरी उज्जैन में एक अनोखी पहल ने उम्मीद की किरण दिखाई है। शहर से लगभग 6 किमी दूर स्थित चिंतामन गणेश मंदिर परिसर में, पुजारी ईश्वर शर्मा द्वारा बच्चों को मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए संकल्प दिलाया जा रहा है। इस पहल के माध्यम से अब तक 200 से अधिक बच्चे मोबाइल की लत से मुक्त हो चुके हैं।
भगवान के सामने मोबाइल से मुक्ति का संकल्प
लक्ष्मण बावड़ी के समीप विराजमान विघ्नहर्ता गणेश जी के समक्ष बच्चों को पुजारी संकल्प दिलाते हैं। संकल्प प्रक्रिया में बच्चे बैठकर कहते हैं—
“हे विघ्नहर्ता, हमको अच्छी बुद्धि देना, विद्या देना। मैं मम्मी-पापा, दादा-दादी और नाना-नानी सहित सभी बड़ों की बात मानूंगा। मैं जिद नहीं करूंगा। मैं मोबाइल पर गेम नहीं खेलूंगा। बड़ों की बात सुनूंगा।”
इसके बाद बच्चे मूषक के कान में यह संकल्प दोहराते हैं। कुछ अभिभावक बच्चों को लगातार तीन से पांच बुधवार मंदिर लाकर यह प्रक्रिया करवाते हैं।
शुरुआत कैसे हुई?
पुजारी ईश्वर शर्मा बताते हैं कि मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले कई अभिभावक अपने बच्चों की मोबाइल लत से परेशान थे। एक साल पहले कुछ माता-पिता ने इस विषय में बात की, तभी से उन्होंने धार्मिक माध्यम से इस पहल की शुरुआत की। धीरे-धीरे यह परंपरा बन गई और अब देशभर से श्रद्धालु अपने बच्चों को मंदिर लाकर संकल्प दिलवा रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भी सराहना
मनोचिकित्सक डॉ. पराग ढोबले कहते हैं, “मोबाइल की लत को लेकर लगभग 20% अभिभावक उनके पास परामर्श के लिए आते हैं। अधिकतर बच्चे ऑनलाइन गेम और रील के आदी हो रहे हैं। ऐसे में धार्मिक माध्यम से बच्चों को संकल्प दिलाना और उन्हें भावनात्मक रूप से जोड़ना एक सकारात्मक प्रयास है।“
क्यों हो रही है मोबाइल की लत?
विशेषज्ञों के अनुसार, अभिभावकों द्वारा बच्चों को चुप कराने के लिए दिया गया मोबाइल अब उनकी आदत बन चुका है। ये लत न केवल पढ़ाई बल्कि मानसिक और सामाजिक विकास में भी बाधा बन रही है। उज्जैन में शुरू की गई यह पहल धार्मिक विश्वास के माध्यम से सामाजिक सुधार की दिशा में प्रभावी कदम मानी जा रही है।
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