78 साल बाद मिजोरम की राजधानी आइजॉल से जुड़ेगी रेल, पीएम मोदी करेंगे बैराबी-सैरांग प्रोजेक्ट का लोकार्पण

सबहेड: 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने किया था शिलान्यास, 13 सितंबर को करेंगे लोकार्पण

स्वदेश ज्योति विशेष संवाददाता
आइजॉल। देश की आज़ादी के 78 साल बाद वह ऐतिहासिक पल आखिरकार आ ही गया, जिसका इंतजार मिजोरम की जनता दशकों से कर रही थी। 13 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैराबी-सैरांग रेलवे प्रोजेक्ट का लोकार्पण करेंगे, जिससे राज्य की राजधानी आइजॉल पहली बार सीधे राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगी।

दशकों से अधूरी पड़ी परियोजना को मोदी ने दी रफ्तार

मिजोरम जैसे रणनीतिक और संवेदनशील राज्य में अब तक भारतीय रेल की सीधी पहुंच नहीं थी। 2008-09 में स्वीकृत इस परियोजना को वर्षों तक ठंडे बस्ते में डाला गया। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014 में व्यक्तिगत पहल करते हुए परियोजना की आधारशिला रखी और इसके निर्माण को प्राथमिकता दी। 11 वर्षों की अथक मेहनत और चुनौतियों भरे निर्माण कार्य के बाद अब यह लाइन पूरी तरह तैयार है।

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8071 करोड़ की लागत, 51.38 किमी लंबा सफर

इस ऐतिहासिक परियोजना की कुल लागत 8071 करोड़ रुपये है। लगभग 51.38 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन मिजोरम की राजधानी को राष्ट्रीय रेल ग्रिड से जोड़ेगी। इसके बाद आइजॉल न केवल यात्रा और व्यापार की मुख्यधारा से जुड़ेगा बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और पर्यटन को भी नई उड़ान मिलेगी।

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पहले सिर्फ बैराबी तक थी पहुंच

अब तक मिजोरम में भारतीय रेल की मौजूदगी केवल बैराबी स्टेशन तक थी, जो असम सीमा पर स्थित है और 1990 के दशक से चालू है। यह स्टेशन आइजॉल से लगभग 100 किलोमीटर दूर है और राज्य के लोगों को कोई ठोस कनेक्टिविटी नहीं दे पाता था। बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन इस कमी को पूरा कर राजधानी क्षेत्र को सीधे जोड़ देगी।

48 सुरंगें और 142 पुल, तकनीकी चमत्कार

बैराबी-सैरांग प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग और तकनीकी दृष्टि से भी असाधारण है।

  • पूरी लाइन पर 48 सुरंगें बनाई गई हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 13 किलोमीटर है।
  • इसके अलावा 142 पुल निर्मित किए गए हैं, जिनमें से 55 बड़े पुल हैं।
  • पुल नंबर 196 की ऊंचाई 104 मीटर है, जो दिल्ली की कुतुब मीनार (73 मीटर) से भी अधिक है।

ये संरचनाएं न केवल परियोजना की कठिनाइयों को दर्शाती हैं बल्कि इसकी मजबूती और दीर्घकालिक उपयोगिता की गारंटी भी देती हैं।

यात्रा का समय घटेगा, लागत होगी कम

इस रेल परियोजना से आम जनता को सीधा लाभ मिलेगा।

  • आइजॉल से सिलचर की यात्रा का समय 7 घंटे से घटकर मात्र 3 घंटे रह जाएगा।
  • गुवाहाटी की दूरी भी 18 घंटे से घटकर 12 घंटे में पूरी होगी।

यात्रा समय घटने से न केवल लोगों की सुविधा बढ़ेगी बल्कि सामान ढुलाई की लागत भी कम होगी। इससे व्यापार, उद्योग और स्थानीय किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा।

सुरक्षा निरीक्षण पूरा, संचालन को हरी झंडी

इस वर्ष मई में रेल लाइन का ट्रायल रन पूरा किया गया और जून में सुरक्षा निरीक्षण भी हो गया। रेलवे सेफ्टी कमिश्नर ने इस लाइन को 90 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्री संचालन के लिए हरी झंडी दे दी है।

मिजोरम की अर्थव्यवस्था को नई उड़ान

विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना के शुरू होने से मिजोरम की अर्थव्यवस्था और सकल घरेलू राज्य उत्पाद (GSDP) में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचने में आसानी होगी और युवाओं के लिए नए रोजगार अवसर पैदा होंगे।