62 साल बाद मिग-21 की विदाई, 26 सितंबर को चंडीगढ़ से भरेगा आखिरी उड़ान
स्वदेश ज्योति विशेष डेस्क
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना का गौरव और दुश्मनों के लिए खौफ का दूसरा नाम रहा मिग-21 अब इतिहास बन जाएगा। 62 साल की लंबी सेवा के बाद यह सुपरसोनिक लड़ाकू विमान 26 सितंबर को चंडीगढ़ से अपनी आखिरी उड़ान भरकर वायुसेना को अलविदा कह देगा। इसके साथ ही भारतीय आकाश का यह स्वर्णिम अध्याय भी समाप्त हो जाएगा।

आखिरी उड़ान का ऐतिहासिक क्षण
चंडीगढ़ एयरबेस पर होने वाले विदाई समारोह में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह मौजूद रहेंगे। वायुसेना ने उन तमाम पायलटों को आमंत्रित किया है, जिन्होंने अपने करियर में मिग-21 उड़ाया था। विदाई अवसर पर मिग-21 की कॉम्बैट ड्रिल भी प्रदर्शित की जाएगी, जिसमें दिखाया जाएगा कि यह कैसे दुश्मन के लड़ाकू विमानों को मात देकर उन्हें मार गिराता था।
फ्लाइंग के बाद मिग-21 की स्क्वाड्रन की चाबी रक्षा मंत्री को सौंपी जाएगी और आधिकारिक रूप से यह विमान भारतीय वायुसेना से विदा हो जाएगा।
तेजस लेगा जगह
मिग-21 की जगह अब स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए वायुसेना में शामिल होने जा रहा है। इसे 4.5 पीढ़ी (Four Point Five Generation) का मल्टी-रोल एयरक्राफ्ट माना जाता है। यह अपनी श्रेणी का दुनिया का सबसे हल्का लड़ाकू विमान है, जिसमें अत्याधुनिक मिसाइलें और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम लगे हैं। तेजस, मिग-21 की भूमिका को आगे बढ़ाते हुए आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना की रीढ़ साबित होगा।

युद्धों में मिग-21 का शौर्य
मिग-21 ने 1965 और 1971 की जंग में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- 1965 की जंग में इसने पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
- 1971 की लड़ाई में इसकी आक्रामक रणनीति ने पाकिस्तान की सैन्य ताकत को ध्वस्त कर दिया और बांग्लादेश मुक्ति संग्राम को निर्णायक बढ़त दिलाई।
- 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान, इसी विमान को उड़ाते हुए विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर जेट को मार गिराकर मिग-21 की क्षमता को एक बार फिर साबित किया था।
गौरव और आलोचना दोनों का हिस्सा
हालांकि मिग-21 का गौरवशाली इतिहास है, लेकिन इसके साथ विवाद भी जुड़े रहे।
- 1971 से अब तक मिग-21 से जुड़ी लगभग 400 दुर्घटनाएं हुईं।
- इन हादसों में 200 से अधिक पायलटों और 50 से ज्यादा नागरिकों की जान गई।
- पुरानी तकनीक, कमजोर सुरक्षा फीचर्स और उम्रदराज ढांचे के कारण इसे कई बार “फ्लाइंग कॉफिन” और “विधवाओं का निर्माता” भी कहा गया।
फिर भी, इस विमान ने भारत की हवाई शक्ति को कई दशकों तक मजबूती दी और भारतीय आकाश को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई।
इतिहास के पन्नों में अमर होगा मिग-21
मिग-21 केवल एक लड़ाकू विमान नहीं था, बल्कि यह भारतीय वायुसेना के गौरव, शौर्य और आत्मविश्वास का प्रतीक रहा है। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि पराक्रम की कहानी रहेगा। 26 सितंबर को जब यह आखिरी बार उड़ान भरेगा, तो यह पल न सिर्फ भारतीय वायुसेना के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए भावुक और गर्व से भरा होगा।
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