नई दिल्ली, 30 मार्च 2025 – मंगल ग्रह पर मानव मिशन भेजने की तैयारियां जोरों पर हैं। नासा (NASA) और चीन की मानवयुक्त अंतरिक्ष एजेंसी (CMS) आने वाले दशकों में मंगल पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रही हैं। लेकिन जर्नल जियोहेल्थ में प्रकाशित एक नए वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, मंगल की सतह पर उठने वाली धूल भरी आंधियां इन अभियानों की सफलता और अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकती हैं।
यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (USC) के केक स्कूल ऑफ मेडिसिन, UCLA स्पेस मेडिसिन सेंटर और नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है।
मंगल की धूल: इंसानों के लिए घातक तत्वों से भरपूर
शोध में पाया गया कि मंगल की सतह पर मौजूद धूल बेहद महीन, इलेक्ट्रोस्टैटिक रूप से चार्ज और जहरीली होती है। इस धूल में निम्नलिखित खतरनाक तत्व पाए गए हैं:
- सिलिका – श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे सिलिकोसिस जैसी बीमारी हो सकती है।
- परक्लोरेट्स – ये थायरॉयड ग्रंथि को प्रभावित कर सकते हैं और शरीर के हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।
- जिप्सम – फेफड़ों में जाने पर यह फाइब्रोसिस और अस्थमा जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।
- नैनोफेज आयरन ऑक्साइड – यह कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और लंबे समय में कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर ये महीन कण अंतरिक्ष यात्रियों के फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं, तो वे गंभीर सांस की समस्याओं और अन्य घातक विकारों को जन्म दे सकते हैं।
मंगल पर धूल भरी आंधियां: एक अनसुलझी चुनौती
हर तीन मंगल वर्ष (लगभग 5.5 पृथ्वी वर्ष) में एक बार, धूल भरी आंधियां पूरे मंगल ग्रह को घेर लेती हैं और पृथ्वी से भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। ये आंधियां हजारों किलोमीटर तक फैल जाती हैं और महीनों तक बनी रहती हैं, जिससे मंगल पर किसी भी रोबोटिक या मानव मिशन के लिए कठिनाइयां खड़ी हो जाती हैं।
मंगल के इन धूल भरे तूफानों का असर पहले भी अंतरिक्ष अभियानों पर देखा जा चुका है:
- 2018 में नासा का ऑपर्च्युनिटी रोवर एक विशाल धूल भरे तूफान में फंस गया था। इसके सौर पैनल धूल से ढक गए, जिससे उसका ऊर्जा उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया और अंततः यह मिशन समाप्त हो गया।
- 2022 में इनसाइट लैंडर भी धूल जमने के कारण ऊर्जा संकट से जूझते हुए निष्क्रिय हो गया।
मानव मिशन के लिए बढ़ती चुनौतियां
मंगल पर स्थायी मानव उपस्थिति के लिए वहां आवासीय मॉड्यूल, जीवन समर्थन प्रणाली और ऊर्जा आपूर्ति की जरूरत होगी। लेकिन धूल भरे तूफान इन सभी योजनाओं के लिए बड़ी चुनौती हैं। वैज्ञानिक अब ऐसे सामग्री और तकनीक विकसित कर रहे हैं, जो मंगल की कठोर परिस्थितियों का सामना कर सकें।
शोधकर्ताओं का मानना है कि मंगल पर भविष्य में जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलमेट और स्पेस सूट की जरूरत होगी, जो धूल के महीन कणों को प्रवेश करने से रोक सकें। इसके अलावा, मंगल पर रोबोटिक प्रणालियों को इस प्रकार डिजाइन किया जाएगा कि वे धूल भरे तूफानों के दौरान भी काम कर सकें।
मंगल ग्रह पर मानव मिशन का सपना जितना रोमांचक है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। धूल भरी आंधियां और जहरीले तत्व अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और मिशन की सफलता के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं। वैज्ञानिक इन समस्याओं का हल निकालने में जुटे हैं, लेकिन यह साफ है कि मंगल पर जाने से पहले इंसानों को इसके खतरनाक वातावरण से निपटने की पूरी तैयारी करनी होगी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा।
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