October 25, 2025 9:35 PM

‘आजाद वेनेजुएला में पीएम मोदी की मेजबानी के लिए तैयार हूं’: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरीना माचादो का भारत को संदेश

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  • भारत को बताया महान लोकतंत्र, कहा—गांधी ने दिखाया कि अहिंसा कमजोरी नहीं बल्कि शक्ति है; मादुरो शासन पर चुनाव लूटने और दमन का आरोप

नई दिल्ली। 2025 की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरीना माचादो ने भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं की जमकर सराहना करते हुए कहा है कि वह एक दिन ‘स्वतंत्र वेनेजुएला’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी करना चाहती हैं। माचादो, जो पिछले दो दशकों से वेनेजुएला में लोकतंत्र की बहाली की लड़ाई लड़ रही हैं, इस समय सुरक्षा कारणों से गुप्त स्थान पर रह रही हैं। उन्होंने एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “भारत दुनिया का एक महान लोकतंत्र है और पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरक उदाहरण है। लोकतंत्र को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।”

पीएम मोदी को आमंत्रित करने की जताई इच्छा

माचादो ने कहा कि वेनेजुएला में जब शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता परिवर्तन होगा, तो भारत एक बड़ा सहयोगी साबित हो सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करने और उन्हें ‘स्वतंत्र वेनेजुएला’ आने का आमंत्रण देने की इच्छा जताई।
उन्होंने कहा, “मैं भारत की संस्कृति, विचार और उसकी लोकतांत्रिक भावना से बेहद प्रभावित हूं। मेरी बेटी हाल ही में भारत गई थी और उसे यह देश बहुत पसंद आया। मेरे कई मित्र भारत में रहते हैं और मैं खुद भारतीय राजनीति को करीब से फॉलो करती हूं।”

गांधी के विचारों को बताया प्रेरणा का स्रोत

माचादो ने कहा कि महात्मा गांधी की विचारधारा से उन्हें गहरी प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा, “गांधी ने दुनिया को दिखाया कि अहिंसा कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत है। अहिंसक संघर्ष से भी स्वतंत्रता हासिल की जा सकती है।”
उन्होंने कहा कि भारत, जो आज दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति है, उसे वेनेजुएला के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठानी चाहिए।

मादुरो सरकार पर गंभीर आरोप

2024 के राष्ट्रपति चुनावों को लेकर माचादो ने कहा कि निकोलस मादुरो सरकार ने चुनाव परिणामों में धांधली कर सत्ता पर कब्जा बनाए रखा।
उन्होंने बताया, “28 जुलाई 2024 को जनता ने भारी बहुमत से बदलाव के पक्ष में मतदान किया। मैं विपक्ष की उम्मीदवार थी, लेकिन मादुरो शासन ने मुझे चुनाव लड़ने से रोक दिया। इसके बाद विपक्ष ने एक ईमानदार राजनयिक को उम्मीदवार बनाया, जिसने 70% वोटों से जीत हासिल की। हमने 85% वोट शीट्स को डिजिटाइज कर यह साबित किया कि हम जीते हैं, लेकिन मादुरो ने सत्ता छोड़ने से इनकार कर दिया।”

माचादो ने आरोप लगाया कि चुनाव के बाद सरकार ने व्यापक दमन शुरू कर दिया। “हजारों निर्दोष लोगों को गिरफ्तार या गायब कर दिया गया, महिलाओं और बच्चों के साथ अत्याचार हुए। यह सब तानाशाही के खिलाफ उठी जनता की आवाज़ को कुचलने के लिए किया गया।”

ट्रंप को बताया लोकतंत्र का सहयोगी

माचादो ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लोकतंत्र की लड़ाई में अपना प्रमुख सहयोगी बताया। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ बनी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के कारण मादुरो सरकार पर वैश्विक दबाव बढ़ा है।
उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि यह संघर्ष अंततः एक गैर-हिंसक सत्ता परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ेगा और वेनेजुएला जल्द ही एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक देश के रूप में उभरेगा।”

भारत से उम्मीद

माचादो ने भारत से अपील की कि वह दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर वेनेजुएला के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में आगे आए। उन्होंने कहा कि भारत की भूमिका इस संघर्ष में ‘नैतिक नेतृत्व’ की हो सकती है क्योंकि भारत ने खुद स्वतंत्रता के लिए अहिंसक मार्ग अपनाया था। माचादो ने कहा, “मैं भारत की जनता और उसके नेतृत्व के प्रति गहरा सम्मान रखती हूं। मुझे विश्वास है कि जब हमारा देश स्वतंत्र होगा, तब मैं प्रधानमंत्री मोदी का वेनेजुएला में स्वागत कर सकूंगी।”

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