October 16, 2025 7:48 AM

पीएम मोदी का ‘मन की बात’ का 126वां एपिसोड: वोकल फॉर लोकल, छठ पर्व, खादी, RSS शताब्दी और स्वच्छ भारत पर जोर

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मन की बात 126वां एपिसोड: पीएम मोदी का वोकल फॉर लोकल, छठ पर्व, खादी, RSS शताब्दी और स्वच्छ भारत पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 126वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने त्योहारों के मौसम में स्वदेशी वस्तुओं की खरीदारी, छठ पर्व को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयास, गांधी जयंती पर खादी की अहमियत, RSS की शताब्दी वर्षगांठ और स्वच्छ भारत अभियान जैसे मुद्दों पर विस्तार से बात की। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि इस बार त्यौहार केवल ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना से मनाए जाएं और हमें संकल्प लेना चाहिए कि हमेशा स्वदेशी सामान को ही अपनाएँगे।


कार्यक्रम की शुरुआत: श्रद्धांजलि और प्रेरणा

अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने अमर शहीद भगत सिंह और भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भगत सिंह युवाओं के लिए साहस और प्रेरणा का प्रतीक हैं। अंग्रेजों से फांसी की बजाय गोली मारकर मृत्यु की मांग करना उनके अदम्य साहस को दर्शाता है।

लता मंगेशकर को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनके गीत मानवीय संवेदनाओं को झकझोरते हैं और भारतीय संस्कृति का सार प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने याद किया कि मराठी गायक सुधीर फड़के जी ने उनका लता दीदी से परिचय कराया था और उन्हें उनका गीत ‘ज्योति कलश छलके’ बेहद प्रिय था।


वोकल फॉर लोकल: आत्मनिर्भर भारत का मंत्र

पीएम मोदी ने त्योहारों के मौसम में सभी नागरिकों से अपील की कि वे स्वदेशी वस्तुओं से ही खरीदारी करें। उन्होंने कहा—
“हम ठान लें कि इस बार त्योहार केवल देश में बने सामानों से ही मनाएँगे। जिससे देश के लोगों की मेहनत और उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। Vocal for Local को खरीदारी का मंत्र बना दीजिए।”


छठ पर्व को वैश्विक मान्यता दिलाने की पहल

प्रधानमंत्री ने छठ पूजा को लेकर कहा कि यह केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में भव्य रूप से मनाया जाने वाला पर्व बन चुका है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि भारत सरकार छठ पर्व को UNESCO की सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रही है, ताकि इसकी महिमा को वैश्विक पहचान मिल सके।


गांधी जयंती और खादी का महत्व

पीएम मोदी ने कहा कि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पूरे देश में मनाई जाएगी। गांधी जी ने हमेशा खादी और स्वदेशी को अपनाने पर बल दिया। आजादी के बाद खादी की लोकप्रियता कुछ कम हुई थी, लेकिन बीते 11 वर्षों में इसमें फिर से जबरदस्त वृद्धि हुई है। उन्होंने अपील की कि हर कोई गांधी जयंती पर कम से कम एक खादी उत्पाद खरीदे और गर्व से कहे—“ये स्वदेशी है।”


RSS की शताब्दी वर्षगांठ पर संदेश

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार दशहरा विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब संघ की स्थापना हुई थी तब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था और आत्मविश्वास खो रहा था। RSS की यात्रा प्रेरक है और यह संगठन राष्ट्र निर्माण में निरंतर योगदान देता आ रहा है।


स्वच्छ भारत: सिर्फ घर तक नहीं, हर गली तक

मोदी ने कहा कि त्योहारों पर लोग घर की सफाई तो करते हैं लेकिन सफाई सिर्फ घर तक सीमित न रहे। गली, मोहल्ला, बाजार और गाँव तक सफाई की जिम्मेदारी हर नागरिक की है। उन्होंने इसे सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए लोगों से अपील की कि दीपावली जैसे महापर्व के समय पूरे समाज को स्वच्छ भारत का संकल्प लेना चाहिए।


प्रेरणादायी व्यक्तित्व और उपलब्धियों का जिक्र

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कई प्रेरक व्यक्तियों का उल्लेख किया—

  • लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और रूपा – नौसेना की दो बहादुर अफसर जिन्होंने नाविका सागर परिक्रमा के दौरान 8 महीने तक पतवार वाली नाव से 50 हजार किलोमीटर की यात्रा कर अद्भुत साहस दिखाया।
  • आशीष सत्यव्रत साहू (झारखंड) – जिन्होंने ‘जोहराग्राम’ ब्रांड के जरिए आदिवासी बुनाई और परिधानों को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचाया।
  • अशोक जगदीशन और प्रेम सेल्वाराज (तमिलनाडु) – जिन्होंने कॉरपोरेट नौकरी छोड़कर घास और केला फाइबर से योगा मैट, हर्बल रंगों से कपड़े बनाए और 200 परिवारों को रोजगार दिलाया।
  • जुबीन गर्ग (असम) – मशहूर गायक जिनका असमिया संस्कृति से गहरा जुड़ाव रहा। हाल ही में स्कूबा डाइविंग के दौरान हादसे में घायल होने के बाद उनकी मृत्यु हो गई। पीएम ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका संगीत हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

त्योहारों की शुभकामनाएँ

प्रधानमंत्री ने अंत में देशवासियों को दशहरा, दीपावली और छठ पर्व की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि यह उत्सव केवल आनंद का अवसर नहीं बल्कि हमें स्वदेशी अपनाने, स्वच्छता बनाए रखने और समाज को सशक्त बनाने का संकल्प भी दिलाते हैं।



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