July 30, 2025 4:49 AM

शानदार संघर्ष के बाद भारत ने मैनचेस्टर टेस्ट ड्रॉ कराया, सीरीज में बना रखा है मुकाबले का रोमांच

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मैनचेस्टर टेस्ट: भारत ने जुझारूपन दिखाते हुए मैच ड्रॉ कराया, सीरीज में अब भी बना है रोमांच

मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर खेले गए एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट मैच में भारतीय टीम ने अद्भुत जुझारूपन दिखाते हुए मुकाबले को ड्रॉ कराने में सफलता पाई। मुकाबले की पहली पारी में 311 रन से पिछड़ने के बाद जब टीम इंडिया की दूसरी पारी की शुरुआत शून्य पर दो विकेट गिरने से हुई, तब लगने लगा था कि मैच हाथ से निकल जाएगा। लेकिन शुभमन गिल, केएल राहुल, रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने 143 ओवर तक बल्लेबाज़ी करते हुए मुकाबले को डगमगाने नहीं दिया और इंग्लैंड को जीत से रोक दिया।

अब भी सीरीज में भारत की उम्मीद ज़िंदा

इस मुकाबले के ड्रॉ होने के बाद 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में इंग्लैंड 2-1 से आगे है। भारत के पास अब भी सीरीज ड्रॉ कराने का मौका है। यदि भारतीय टीम आखिरी टेस्ट जीत जाती है, तो सीरीज 2-2 से बराबरी पर समाप्त होगी। वहीं, इंग्लैंड अगर जीत जाता है, तो वह सीरीज 3-1 से अपने नाम कर लेगा। आखिरी टेस्ट अगर ड्रॉ भी होता है, तो इंग्लैंड 2-1 से सीरीज जीत जाएगा।


मैनचेस्टर टेस्ट ड्रॉ होने के 5 अहम कारण

1. इंग्लैंड का पारी घोषित न करना बना भारत के लिए अवसर

इंग्लैंड ने भारत के पहली पारी के 358 रन के जवाब में बल्लेबाज़ी के अनुकूल पिच पर 157.1 ओवर तक बल्लेबाज़ी की और 669 रन बनाए। उन्होंने चौथे दिन के पहले सत्र तक बैटिंग की, लेकिन पारी घोषित नहीं की। अगर इंग्लैंड 550-600 रन पर ही पारी घोषित कर देता, तो भारत को जीत के लिए लक्ष्य का पीछा करने की चुनौती मिलती और मैच में किसी एक पक्ष का नतीजा निकल सकता था। लेकिन इंग्लैंड की लंबी बल्लेबाज़ी ने भारत को संयमित खेल दिखाने और मैच बचाने का भरपूर मौका दिया।


2. राहुल और गिल की 188 रन की निर्णायक साझेदारी

दूसरी पारी में भारत की शुरुआत बेहद खराब रही और पहले ही ओवर में यशस्वी जायसवाल और साई सुदर्शन दोनों खाता खोले बिना पवेलियन लौट गए। स्कोर था 0/2। उस स्थिति में केएल राहुल और कप्तान शुभमन गिल ने मोर्चा संभाला। दोनों ने चौथे दिन के दूसरे और तीसरे सत्र में कोई विकेट नहीं गिरने दिया। राहुल ने 90 रन की साहसिक पारी खेली, जबकि शुभमन गिल ने शानदार 103 रन बनाए। दोनों के बीच 188 रन की साझेदारी ने भारत को मजबूती दी और हार की आशंका को काफी हद तक कम कर दिया।


3. जडेजा और सुंदर की ऐतिहासिक शतकीय साझेदारी

शुभमन गिल के आउट होने के बाद भारत ने 87.4 ओवर में चौथा विकेट गंवाया। इसके बाद मैदान में उतरे रवींद्र जडेजा को पहली ही गेंद पर जीवनदान मिला, जब जो रूट ने उनका कैच स्लिप में छोड़ दिया। जडेजा ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए वॉशिंगटन सुंदर के साथ मिलकर टीम को संकट से उबारा।

दोनों ने पांचवें दिन के दूसरे और तीसरे सत्र में कोई विकेट नहीं गिरने दिया और 200 से अधिक रन की साझेदारी करते हुए टीम को इंग्लैंड के स्कोर के पार पहुंचाया। जडेजा 107 और सुंदर 101 रन बनाकर नाबाद रहे। इस जोड़ी ने 55.2 ओवर की साझेदारी की और मैच को ड्रॉ कराने की स्थिति में पहुंचाया।

गेंदबाज़ी में भी जडेजा ने अहम योगदान दिया और इंग्लैंड की पहली पारी में 4 विकेट झटके। हालांकि, मैन ऑफ द मैच इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स बने, जिन्होंने बल्ले से 141 रन बनाए और गेंद से 6 विकेट लिए।


4. इंग्लैंड की बैजबॉल नीति और पिच का प्रभाव

इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स और कोच ब्रेंडन मैक्कुलम की जोड़ी ने 2022 से टीम में ‘बैजबॉल’ शैली लागू की है, जिसका असर केवल आक्रामक बल्लेबाज़ी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पिचों की प्रकृति पर भी दिखा। इंग्लैंड में अब पिचें बल्लेबाज़ी के अधिक अनुकूल बना दी गई हैं।

मैनचेस्टर में जिस पिच पर मुकाबला खेला गया, वह पांचवें दिन भी ज्यादा टूट-फूट वाली नहीं थी। इससे भारतीय बल्लेबाज़ों को लंबे समय तक टिके रहने का भरपूर मौका मिला और उन्होंने 143 ओवर तक बल्लेबाज़ी कर मुकाबले को बराबरी पर पहुंचाया।

पहले इंग्लैंड की पिचें तेज़ गेंदबाज़ों के लिए जानी जाती थीं, जहां पांचवें दिन बल्लेबाज़ी करना मुश्किल हो जाता था। लेकिन अब इन पिचों पर बल्लेबाज़ों के लिए अनुकूलता बढ़ गई है।


5. इंग्लैंड की रणनीति में आक्रामकता की कमी

इंग्लैंड ने जबरदस्त स्कोर खड़ा करने के बावजूद भारत पर दबाव बनाने के लिए पारी जल्दी घोषित नहीं की। उनकी रणनीति से लग रहा था कि वे भारत को फॉलोऑन के लिए मजबूर करेंगे या फिर बड़ा स्कोर देकर उन्हें रन चेज़ के लिए उकसाएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इससे भारत को एक रणनीतिक मौका मिला, जिसे उन्होंने बखूबी भुनाया।


मैनचेस्टर टेस्ट में भारत की बल्लेबाज़ी ने खेल भावना, धैर्य और रणनीतिक समझ का परिचय दिया। टेस्ट क्रिकेट के इस यादगार मुकाबले ने एक बार फिर दिखा दिया कि कैसे टीम संयम, आत्मविश्वास और सूझबूझ से किसी भी मुश्किल मुकाबले को अपनी पकड़ में ले सकती है। अब सभी की निगाहें पांचवें और अंतिम टेस्ट पर टिक गई हैं, जो सीरीज के नतीजे का फैसला करेगा।



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