Trending News

February 6, 2025 2:16 AM

महाकुंभ 2025: संगम पर आस्था का अद्वितीय समागम, 60 लाख श्रद्धालुओं ने किया पहला स्नान

महाकुंभ 2025: संगम पर आस्था का अद्वितीय समागम, 60 लाख श्रद्धालुओं ने लगाया पहला स्नान

प्रयागराज, 14 जनवरी 2025 – महाकुंभ 2025 का शुभारंभ पौष पूर्णिमा के पवित्र स्नान के साथ हो चुका है। आज, संगम तट पर 60 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई, और यह आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है। इस बार का महाकुंभ एक दुर्लभ खगोलीय संयोग में हो रहा है, जिसमें 144 साल बाद समुद्र मंथन जैसा संयोग बन रहा है। कुंभ मेले की भव्यता और उत्सव को देखते हुए यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी अहम साबित हो रहा है।

महाकुंभ का प्रारंभ:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महाकुंभ के उद्घाटन अवसर पर ट्वीट किया और भारतीय आध्यात्मिक परंपरा के इस विराट उत्सव के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “पौष पूर्णिमा पर पवित्र स्नान के साथ ही प्रयागराज की पुण्यभूमि पर महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है। हमारी आस्था और संस्कृति से जुड़े इस दिव्य अवसर पर मैं सभी श्रद्धालुओं का हृदय से वंदन और अभिनंदन करता हूं।”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी महाकुंभ की शुरुआत पर सभी श्रद्धालुओं को बधाई दी और इस आध्यात्मिक समागम के साथ-साथ आस्था और आधुनिकता के संगम में सामूहिक साधना और पवित्र स्नान के महत्व को बताया। उनका कहना था, “महाकुंभ प्रयागराज के शुभारंभ एवं प्रथम स्नान की मंगलमय शुभकामनाएं।”

श्रद्धालुओं का उमड़ा हुजूम:

प्रारंभ से ही संगम पर श्रद्धालुओं का अपार उत्साह देखने को मिला। 60 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया और इस दौरान 20 क्विंटल फूलों की वर्षा की गई। महाकुंभ में 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। हर घंटे करीब 2 लाख श्रद्धालु संगम में स्नान कर रहे हैं।

विदेशी श्रद्धालुओं का अद्भुत समागम:

महाकुंभ में विदेशी श्रद्धालुओं का भी बड़ा जमावड़ा देखने को मिल रहा है। जर्मनी, ब्राजील, रूस समेत 20 देशों से श्रद्धालु महाकुंभ में स्नान करने के लिए आए हैं। मैसूर के मूल निवासी और जर्मनी निवासी जितेश प्रभाकर ने कहा, “मैं हर दिन योग का अभ्यास करता हूं और यहां आकर मुझे आस्था और आध्यात्मिकता से जुड़ने का अद्भुत अनुभव हो रहा है।” स्पेन से आए भक्त ने भी अपनी आध्यात्मिक यात्रा को महत्वपूर्ण बताया और गंगा में पवित्र स्नान करने की खुशी जाहिर की।

भव्य सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक तैयारी:

महाकुंभ के आयोजन में सुरक्षा और व्यवस्था के दृष्टिकोण से भी व्यापक इंतजाम किए गए हैं। 60,000 जवान सुरक्षा और व्यवस्था को संभालने में तैनात हैं। पुलिसकर्मी स्पीकर के माध्यम से लाखों की भीड़ को नियंत्रित कर रहे हैं, वहीं कमांडो और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान भी हर जगह तैनात हैं। प्रशासन ने संगम तट पर भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए यातायात को बंद कर दिया है, और श्रद्धालु बसों और रेलवे स्टेशन से 10-12 किलोमीटर पैदल चलकर संगम पहुंच रहे हैं।

महाकुंभ की अहमियत:

इस साल का महाकुंभ 144 साल बाद एक दुर्लभ खगोलीय संयोग में हो रहा है। इस समय बुधादित्य, कुंभ और श्रवण नक्षत्र के साथ ही सिद्धि योग बन रहा है। सूर्य, चंद्र और शनि तीनों ग्रह शनि की राशि मकर और कुंभ में गोचर कर रहे हैं। यह संयोग देवासुर संग्राम के समय बना था, जो इसे और भी विशेष बनाता है।

रेलवे और यातायात सुविधाएं:

महाकुंभ के दौरान यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे ने 199 स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया है, जो 10 मिनट के अंतराल पर चलेंगी। इसके अतिरिक्त, 100 विशेष ट्रेनें भी महाकुंभ के दौरान प्रयागराज तक चलाई जाएंगी। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के कड़े उपाय किए हैं और हर पहलू पर ध्यान दिया गया है।

महाकुंभ का सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव:

महाकुंभ के आयोजन से न केवल सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो रहा है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है। अनुमान है कि महाकुंभ से देश की जीडीपी में 1 फीसदी का उछाल आ सकता है। इससे पर्यटन, होटल व्यवसाय, खुदरा व्यापार और अन्य स्थानीय उद्योगों को भी लाभ होगा। महाकुंभ के दौरान हर दिन 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचने की संभावना जताई गई है, जिससे भारत के आर्थिक स्वरूप में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है।

विशेष धार्मिक आस्था के स्थल:

संगम के तट पर महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं का प्रवेश सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुरक्षा और व्यवस्था की गई है। संगम के घाटों पर विशाल पूजा स्थलों की व्यवस्था की गई है, और श्रद्धालुओं को गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने का मौका मिल रहा है। इस महाकुंभ में कल्पवास की शुरुआत भी हो चुकी है, और लाखों श्रद्धालु इस अवसर का लाभ उठा रहे हैं।

समाप्ति:

महाकुंभ 2025 का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी यह ऐतिहासिक बन चुका है। इस विशाल आयोजन से भारत की आध्यात्मिक परंपरा का सम्मान बढ़ेगा और दुनिया भर से श्रद्धालुओं के बीच एकता और भाईचारे का संदेश जाएगा।

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram
Share on pocket