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March 14, 2025 2:13 AM

महाकुंभ में संगम तट पर गूंजी 13 किलकारियां: गंगा मैया की कृपा से जन्मे नन्हे मेहमान

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ग्वालियर की दो महिलाओं ने दिया गंगा और सरस्वती को जन्म, परिजनों ने रखा आध्यात्मिक नाम

महाकुंभ नगर, प्रयागराज। महाकुंभ 2025 का पावन अवसर श्रद्धा, भक्ति और आस्था के अनूठे संगम का प्रतीक बन गया है। इस ऐतिहासिक आयोजन में स्नान पर्व शुरू होने से लेकर माघी पूर्णिमा तक संगम तट पर एक नहीं बल्कि 13 नन्हे मेहमानों की किलकारियां गूंजीं। बिना ऑपरेशन के जन्मे ये सभी शिशु पूरी तरह स्वस्थ हैं, जिसे संतजन और श्रद्धालु गंगा मैया की कृपा मान रहे हैं।

महाकुंभ में आए कई श्रद्धालु इस दौरान संतान सुख की प्राप्ति कर अपने जीवन के सबसे पवित्र और यादगार क्षणों का अनुभव कर रहे हैं। संगम क्षेत्र में स्थापित केंद्रीय अस्पताल (सेंट्रल हॉस्पिटल) इन नवजातों के जन्म का साक्षी बना, जहां तैनात डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की टीम ने सुरक्षित प्रसव कराए। अस्पताल में चार स्त्री रोग विशेषज्ञों की मौजूदगी में इन 13 बच्चों ने जन्म लिया, जिनके माता-पिता ने इन्हें कुम्भ, गंगा, भोला, बजरंगी, यमुना, सरस्वती, नंदी, अमृत, बसंत, शंकर, पूर्णिमा, बसंती और कृष्णा जैसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के नाम दिए।

गंगा-सरस्वती के जन्म की अनोखी कहानी

महाकुंभ में संतान सुख प्राप्त करने वालों में ग्वालियर की दो महिलाएं भी शामिल रहीं, जिन्होंने अपने बच्चों का जन्म प्रयागराज में संगम तट के करीब कराया।

  1. पहली महिला – सरस्वती का जन्म
    ग्वालियर से आई एक गर्भवती महिला जब त्रिवेणी संगम में स्नान कर रही थी, तभी उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हुई। तुरंत मौके पर मौजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एंबुलेंस की मदद से उन्हें केंद्रीय अस्पताल पहुंचाया, जहां उन्होंने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। परिवार ने इसे गंगा मैया का आशीर्वाद मानकर बिटिया का नाम सरस्वती रखा।
  2. दूसरी महिला – गंगा का जन्म
    ग्वालियर के सीपी कॉलोनी, मुरार की ज्योति शर्मा 22 जनवरी को अपने परिवार के साथ महाकुंभ में आई थीं। परिवार के लोग यहां श्रीमद्भागवत कथा करा रहे थे। ज्योति गर्भवती थीं, और डॉक्टरों ने उन्हें प्रसव के लिए एक महीने का समय बताया था। लेकिन जब उन्होंने संगम की रेती पर जाने की इच्छा जताई, तो परिवार ने इसे स्वीकार किया। आश्चर्यजनक रूप से, 27 जनवरी को महाकुंभ नगर के केंद्रीय अस्पताल में उन्होंने एक स्वस्थ कन्या को जन्म दिया। परिजनों ने इसे भगवत कृपा मानते हुए बच्ची का नाम गंगा रखा।

बसंत पंचमी पर जन्मा बसंत, माघी पूर्णिमा पर आई पूर्णिमा

महाकुंभ में जन्मे इन 13 नवजातों में से कुछ के जन्म विशेष पर्वों पर हुए, जिससे उनके नाम भी इन्हीं त्योहारों पर आधारित रखे गए।

  • बसंत पंचमी के दिन जन्मे शिशु को बसंत नाम दिया गया।
  • माघी पूर्णिमा पर जन्मी कन्या का नाम पूर्णिमा रखा गया।
  • इसी तरह, शंकर, बजरंगी, नंदी और अमृत जैसे धार्मिक नाम भी नवजातों को दिए गए, ताकि ये नाम जीवनभर उनके परिजनों को महाकुंभ की स्मृति दिलाते रहें।

महाकुंभ में संतान सुख पाने को दैवीय वरदान मान रहे श्रद्धालु

महाकुंभ के दौरान तीर्थयात्रा पर आईं गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव को श्रद्धालु और संतजन गंगा मैया का वरदान मान रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ. वी.के. मिश्र का कहना है कि इस पावन अवसर पर 13 से अधिक गर्भवती महिलाओं पर गंगा मैया की असीम कृपा हुई। उन्होंने कहा, “सच्ची श्रद्धा और आस्था हो, तो भगवान का प्रसाद अवश्य मिलता है।”

सेंट्रल अस्पताल बना जीवनदाता, 105 सदस्यीय टीम तैनात

महाकुंभ क्षेत्र के सेक्टर-2 में स्थित सेंट्रल अस्पताल इस पवित्र आयोजन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। यहां 105 सदस्यों की टीम तैनात है, जिसमें 4 स्त्री रोग विशेषज्ञ भी शामिल हैं। अस्पताल में बेहतरीन सुविधाएं और आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे श्रद्धालु किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या में तुरंत सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

13 में से दो बच्चे मध्यप्रदेश के

महाकुंभ में जन्मे 13 बच्चों में से दो शिशु मध्यप्रदेश से आए श्रद्धालुओं के थे। कौशाम्बी से आए राजा और सोनम दंपति ने अपने नवजात बेटे का नाम कुंभ रखा, क्योंकि उनका जन्म 29 दिसंबर को हुआ था, जब कुंभ स्नान शुरू होने वाला था।

इसी तरह, ग्वालियर की महिलाओं ने गंगा और सरस्वती नाम की बेटियों को जन्म दिया, जो महाकुंभ के इस भव्य आयोजन की आध्यात्मिक यात्रा का एक अविस्मरणीय हिस्सा बन गईं।

महाकुंभ 2025 बना दिव्य संयोग का साक्षी

144 वर्षों बाद प्रयागराज में हो रहे इस ऐतिहासिक महाकुंभ में असंख्य श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं। लेकिन यह आयोजन सिर्फ स्नान, पूजा और प्रवचन तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के अनगिनत अद्भुत पलों को भी संजो रहा है। 13 नवजातों की किलकारियों ने इस महाकुंभ को और भी पावन बना दिया है, जिसे हमेशा याद रखा जाएगा।

महाकुंभ 2025 से जुड़ी ऐसी ही रोचक और अनोखी खबरों के लिए हमारे साथ बने रहें।


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