नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला शनिवार को पवित्र महाकुंभ मेले में पहुंचे और त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। उन्होंने मां गंगा, मां यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर देशवासियों के सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। संगम स्नान के बाद उन्होंने विभिन्न संत-महात्माओं का आशीर्वाद लिया और महाकुंभ की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित किया।
महाकुंभ भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का महोत्सव
महाकुंभ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि यह भारत की आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है। यह आयोजन हमारी प्राचीन संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और अध्यात्म का अद्भुत संगम है। यहां संतों की वाणी, उनका प्रभाव और भक्तों की अपार श्रद्धा देखने को मिलती है। उन्होंने कहा, “मां गंगा की कृपा सभी पर बनी रहे और हर व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आए।”
उन्होंने कहा कि वेद-पुराणों में महाकुंभ का विशेष उल्लेख मिलता है। यह पर्व समभाव और समरसता का संदेश देता है, जहां जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र की सीमाओं से परे सभी लोग एक साथ आस्था के संगम में स्नान करते हैं। यह आयोजन केवल बाहरी पवित्रता ही नहीं, बल्कि आत्मा और मन की शुद्धि का भी प्रतीक है।
राजनीति से परे, समरसता का प्रतीक है महाकुंभ
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक समरसता का अवसर भी है। यह पर्व राजनीति से परे सभी मतभेदों को भुलाकर एकता और भाईचारे का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि देशभर से लाखों श्रद्धालु, संत और साधु यहां एकत्रित होते हैं, जो इस आयोजन की विशालता और दिव्यता को दर्शाता है।
समाज को जोड़ने वाला पर्व
महाकुंभ के महत्व पर जोर देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने का एक बड़ा माध्यम है। यह आध्यात्मिक शांति, आत्मिक उत्थान और सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा प्रतीक है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत उदाहरण है, जो आस्था, भक्ति और संयम का संदेश देता है।
इस अवसर पर उन्होंने महाकुंभ में आए सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं और इस आयोजन को भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का प्रतीक बताया।