प्रयागराज। महाकुंभ 2025 में इस बार लाखों श्रद्धालुओं के बावजूद किसी भी तरह की महामारी या बीमारी का खतरा नहीं उत्पन्न हुआ है। 50 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु अब तक संगम में स्नान कर चुके हैं, और इस दौरान स्वच्छता और स्वास्थ्य की स्थिति बिल्कुल नियंत्रण में रही है।
परमाणु तकनीक का अद्भुत योगदान
केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने महाकुंभ में स्वच्छता की सफलता का श्रेय परमाणु प्रौद्योगिकी को दिया है। उन्होंने बताया कि सीवेज उपचार संयंत्रों में परमाणु तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जो गंदे पानी को पूरी तरह से शुद्ध करने में सक्षम है। इन संयंत्रों का संचालन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (मुंबई) और इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (कलपक्कम) द्वारा किया जा रहा है।
एचजीएसबीआर तकनीक से जल उपचार
महाकुंभ स्थल पर हाइब्रिड ग्रैन्युलर सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (एचजीएसबीआर) तकनीक आधारित सीवेज उपचार प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक में सूक्ष्मजीवों का प्रयोग किया जाता है जो गंदे पानी को शुद्ध करते हैं। यह तकनीक कम बुनियादी ढांचे और कम परिचालन लागत में भी प्रभावी साबित हो रही है, और इससे प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख लीटर पानी का उपचार किया जा सकता है।
सहज और किफायती स्वच्छता व्यवस्था
महाकुंभ में पहले खुले में शौच और गंदे पानी से बीमारियों का खतरा रहता था, लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने मेला स्थल पर 1.5 लाख शौचालय बनाए हैं। इसके अलावा, 11 स्थायी और तीन अस्थायी सीवेज उपचार संयंत्र लगाए गए हैं, जो कि गंदे पानी के उपचार के काम आ रहे हैं।
पेयजल की सुनिश्चित आपूर्ति
स्वच्छता को बनाए रखने के लिए 200 से अधिक मशीनों से स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जा रही है। इन उपायों के कारण इस साल महाकुंभ में किसी भी महामारी या बीमारियों के फैलने का कोई खतरा नहीं है, और यह परमाणु प्रौद्योगिकी की मदद से संभव हुआ है।
➡ महाकुंभ में परमाणु तकनीक के जरिए सफाई के इस मॉडल को पूरे देश के लिए एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।