महादेव एप घोटाले का मास्टरमाइंड रवि उप्पल दुबई से फरार, भारत-यूएई में बढ़ा कूटनीतिक तनाव


6,000 करोड़ रुपये से अधिक के महादेव सट्टा एप घोटाले में नया मोड़

नई दिल्ली। महादेव ऑनलाइन सट्टा एप घोटाले का मुख्य आरोपी और कथित मास्टरमाइंड रवि उप्पल दुबई से फरार हो गया है। करीब 6,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस अंतरराष्ट्रीय घोटाले में यह एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है।
भारत ने दिसंबर 2023 में इंटरपोल के जरिये रेड कॉर्नर नोटिस जारी करते हुए रवि उप्पल के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की थी। लेकिन अब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने दावा किया है कि उसे भारत की ओर से ऐसा कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ।


गिरफ्तारी के बाद 45 दिन की निगरानी, फिर रहस्यमय तरीके से हुआ गायब

सूत्रों के अनुसार, रवि उप्पल को दुबई पुलिस ने 2023 के अंत में हिरासत में लिया था और उसे 45 दिन की निगरानी में रखा गया था। भारत की जांच एजेंसियाँ लगातार उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन इसी दौरान वह रहस्यमय तरीके से गायब हो गया।
सूत्रों का कहना है कि संभव है उप्पल को यूएई प्रशासन ने रिहा कर दिया हो, लेकिन इस बारे में भारत को कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गई। भारत सरकार का कहना है कि उसने प्रत्यर्पण का अनुरोध आधिकारिक माध्यम से भेजा था, जिसके दस्तावेज भी उसके पास मौजूद हैं।


भारत-यूएई के बीच बना कूटनीतिक गतिरोध

रवि उप्पल के फरार होने के बाद अब भारत और यूएई के बीच कूटनीतिक विवाद की स्थिति बन गई है। विदेश मंत्रालय ने इस मामले में उच्च-स्तरीय समीक्षा शुरू कर दी है और यूएई से औपचारिक स्पष्टीकरण मांगा गया है।
भारत के अधिकारियों का कहना है कि “यदि उप्पल को रिहा किया गया है, तो यह प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उचित सूचना के बिना नहीं की जानी चाहिए थी।”
दूसरी ओर, यूएई का दावा है कि उसे भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रत्यर्पण दस्तावेज प्राप्त नहीं हुआ। इस विरोधाभास के कारण दोनों देशों के बीच कानूनी और राजनयिक मतभेद गहराने लगे हैं।


महादेव ऑनलाइन सट्टा एप क्या है?

महादेव ऑनलाइन सट्टा एप भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी नेटवर्कों में से एक माना जाता है। इस एप के माध्यम से करोड़ों रुपये प्रतिदिन का अवैध लेनदेन किया जाता था।
जांच एजेंसियों के अनुसार, इस एप का संचालन दुबई से किया जा रहा था, जबकि भारत में इसके माध्यम से बड़े पैमाने पर धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) किया गया।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस घोटाले में कई राज्यों में छापे मारे थे और करोड़ों रुपये की संपत्तियाँ जब्त की थीं।


भारत ने किया था प्रत्यर्पण का औपचारिक अनुरोध

भारत सरकार ने दिसंबर 2023 में इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर रवि उप्पल को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की थी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने यूएई सरकार को औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध और आवश्यक दस्तावेज सौंपे थे। भारत का कहना है कि इन दस्तावेजों की रसीद उसके पास मौजूद है, लेकिन अब यूएई के “अनभिज्ञता के दावे” ने पूरे मामले को जटिल बना दिया है।

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भारत के अधिकारियों में नाराजगी

विदेश मंत्रालय और ईडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस घटना पर नाराजगी व्यक्त की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह मामला केवल एक व्यक्ति के फरार होने का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग और पारदर्शिता की परीक्षा है।”
भारत की जांच एजेंसियाँ अब इस मामले में इंटरपोल और इंटरनेशनल जस्टिस डिवीज़न से संपर्क करने की तैयारी कर रही हैं, ताकि रवि उप्पल के ठिकाने का पता लगाया जा सके।


क्या यूएई ने जानबूझकर किया रवि उप्पल को रिहा?

कई सूत्रों का मानना है कि रवि उप्पल की रिहाई यूएई प्रशासन की जानबूझकर की गई कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि भारत को बिना सूचना दिए उसे छोड़ा गया। इस बात ने दोनों देशों के बीच भरोसे के स्तर को कमजोर किया है।
इससे पहले भारत और यूएई के बीच कई प्रत्यर्पण मामलों में सहयोग होता रहा है, लेकिन इस बार रवि उप्पल के भाग जाने से स्थिति तनावपूर्ण और संवेदनशील बन गई है।


जांच एजेंसियाँ सतर्क, रेड कॉर्नर नोटिस अब भी लागू

ईडी और सीबीआई दोनों एजेंसियों ने रवि उप्पल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तलाश शुरू कर दी है। इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस अभी भी प्रभावी है।
जांचकर्ताओं का मानना है कि उप्पल अब किसी तीसरे देश में शरण लेने की कोशिश कर सकता है। भारत सरकार ने सभी संबद्ध देशों को इस संबंध में सतर्क कर दिया है।


भारत की छवि और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर सवाल

रवि उप्पल के फरार होने से भारत के अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन सहयोग पर भी सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इतने बड़े आर्थिक अपराध का आरोपी इतनी आसानी से देश से भाग सकता है, तो यह न केवल जांच एजेंसियों बल्कि राजनयिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर भी प्रश्न खड़ा करता है।