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March 22, 2025 9:31 PM

महाकुंभ 2025 का ऐतिहासिक समापन: 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान

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कई देशों की आबादी से अधिक लोगों ने लगाई डुबकी, विश्व रिकॉर्ड कायम

प्रयागराज। तीर्थराज प्रयागराज की पावन धरती पर 13 जनवरी से प्रारंभ हुआ दिव्य और भव्य महाकुंभ 2025 बुधवार को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व के साथ सम्पन्न हो गया। इस कुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या ने नया इतिहास रच दिया, जिसमें 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान किया। यह किसी भी आयोजन में एकत्रित होने वाले लोगों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। आज सुबह आठ बजे तक लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके थे, और यह संख्या आगे बढ़ती ही रही। इस महाकुंभ ने धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय मिसाल पेश करते हुए विश्व स्तर पर सनातन परंपराओं की भव्यता को स्थापित किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और प्रयासों से इस ऐतिहासिक आयोजन का सफल आयोजन संभव हो पाया।

महाकुंभ में विश्व की सबसे बड़ी भीड़

65 करोड़ श्रद्धालुओं का किसी एक स्थान पर जुटना और धार्मिक आस्था का प्रदर्शन करना विश्व इतिहास में अभूतपूर्व घटना बन गई है। यह सनातन धर्म के प्रति श्रद्धालुओं की निष्ठा और विश्वास का परिणाम है कि प्रयागराज का संगम क्षेत्र 45 दिनों में दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर बन गया। इस संख्या की तुलना दुनिया के विभिन्न देशों की आबादी से की जाए तो यह कई देशों से अधिक है:

  • अमेरिका की दोगुनी से अधिक,
  • पाकिस्तान की ढाई गुना,
  • रूस की चार गुना,
  • जापान की पांच गुना,
  • यूके की दस गुना,
  • फ्रांस की पंद्रह गुना से भी अधिक।

दुनियाभर के श्रद्धालु और अतिथियों की उपस्थिति

इस महाकुंभ में 73 देशों के राजनयिकों के साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अतिथि भी शामिल हुए। भूटान नरेश नामग्याल वांगचुक, नेपाल के 50 लाख से अधिक श्रद्धालु, और इटली, फ्रांस, यूके, पुर्तगाल, अमेरिका, इजराइल, ईरान, मॉरीशस सहित विश्वभर से आए श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। विशेष रूप से, नेपाल से भारी संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ के साक्षी बने, जो मां जानकी के मायके जनकपुर से यहां पहुंचे।

महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता ने दुनिया को किया मंत्रमुग्ध

महाकुंभ 2025 ने अपनी भव्यता, दिव्यता और सांस्कृतिक एकता से पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया। करोड़ों श्रद्धालुओं के समागम ने प्रयागराज को विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में सर्वोच्च स्थान दिलाया। 45 दिनों तक चले इस आयोजन में स्नान, पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, धार्मिक प्रवचन और आध्यात्मिक साधनाओं का भव्य आयोजन हुआ। यह महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति और सनातन धर्म की गौरवशाली परंपरा का अद्वितीय उदाहरण बन गया।

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