द्वितीय सत्र: चुनौतियों और समाधानों पर गहन विमर्श
विरासत, शहरी दबाव, सुरक्षा, क्रियान्वयन और भविष्य की दिशा पर विशेषज्ञों ने पेश किए दृष्टिकोण

भोपाल। स्वदेश ज्योति समूह द्वारा आयोजित “विकसित मध्यप्रदेश @ 2047: विकास भी, विरासत भी” चिंतन यात्रा का द्वितीय सत्र भविष्य की चुनौतियों और उनके समाधान पर केंद्रित रहा। इस सत्र में माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व कुलपति व पूर्व आईपीएस अरुण गुर्टू, मेनिट भोपाल के डीन (आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग) कृष्ण कुमार धोटे, नगर एवं ग्राम निवेश इंदौर के संयुक्त संचालक व राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य (आईपीआई) डॉ. शुभाशीष बनर्जी, तथा ख्यालदास इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के संचालक नितिन लालचंदानी शामिल हुए।
पैनल चर्चा का संचालन उद्यांश पाण्डेय ने किया। सभी विशेषज्ञों ने न केवल चुनौतियों की पहचान की, बल्कि बतौर समाधान एक व्यापक और व्यवहारिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया।

swadesh jyoti conclave
swadesh jyoti conclave


विरासत से संवाद करते हुए विकास की राह बनानी होगी: विजय मनोहर तिवारी

कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि “विरासत को सुरक्षित रखकर ही किसी भी विकास की कल्पना की जा सकती है।” उन्होंने वन्यजीव अभयारण्यों व राष्ट्रीय उद्यानों में छिपे पुरातात्विक स्मारकों को सूचीबद्ध करने के अपने सुझाव को साझा करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे गंभीरता से स्वीकार किया, जिसके बाद वन विभाग ने डेढ़ हजार से अधिक स्मारकों की पहचान कर ली है और यह प्रक्रिया जारी है।

उन्होंने कहा कि—

  • भोपाल का इतिहास हजार वर्ष पुराना है, इसके नवाबकाल से आगे बढ़कर राजा भोज और रानी कमलापति की विरासत को भी पहचान मिली है।

  • शहर के मौजूदा विकास मॉडल में कई गंभीर सवाल हैं—जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अनुपलब्धता, विशेषकर राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय जैसे संस्थान तक बस सेवा न होना।

  • 20 राज्यों से छात्र भोपाल आते हैं, इसलिए उन्हें मिलने वाली शहरी सुविधाएँ राज्य के विकास की वैश्विक छवि को भी प्रभावित करती हैं।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि विरासत का संरक्षण और आधुनिक विकास—दोनों के बीच संतुलन—मध्यप्रदेश के भविष्य की कुंजी है।

swadesh jyoti conclave
vijay manohar tiwari


शहरीकरण बढ़ेगा, अपराध की चुनौतियाँ बदलेंगी: अरुण कुमार गुर्टू

पूर्व एडीजी और पूर्व कुलपति अरुण कुमार गुर्टू ने कहा कि भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है और वर्ष 2047 तक गाँव–शहर का अनुपात पूरी तरह बदल जाएगा। आज 65% आबादी गाँवों में है, लेकिन आने वाले समय में यह संख्या उलट सकती है।

उन्होंने बताया कि—

  • बढ़ती जनसंख्या और शहरी भीड़ से अपराध के स्वरूप बदलेंगे।

  • पुलिस को अधिक संवेदनशील, तकनीकी रूप से सक्षम और मानव संसाधन के लिहाज से सुदृढ़ बनाना होगा।

  • भविष्य में ‘स्मार्ट पुलिसिंग’—जैसे डिजिटल निगरानी, डाटा विश्लेषण और त्वरित निर्णय—अपरिहार्य हो जाएगा।

उन्होंने चेताया कि शहरी विस्तार के साथ सामाजिक संरचना बदलेगी, जिसके लिए पुलिस व्यवस्थाओं में भी वैसी ही योजना और संवेदनशीलता आवश्यक होगी।

swadesh jyoti conclave
swadesh jyoti conclave


भोपाल पीछे क्यों रह गया—अब गंभीरता से सोचना होगा: कृष्ण कुमार धोटे

मेनिट के डीन कृष्ण कुमार धोटे ने शहरी योजनाओं और विकास मॉडल पर गहन प्रश्न उठाए।

उन्होंने कहा कि—

  • भोपाल भौगोलिक रूप से मध्य में स्थित है और जलवायु अनुकूल है, फिर भी विकास के मानकों में यह इंदौर से पीछे है।

  • शहर का फैलाव बाहरी क्षेत्र में बढ़ रहा है, जबकि अंदरूनी हिस्सों का रीडेंसिफिकेशन (पुनर्विकास) लगभग ठप है।

  • टीटी नगर, भेल और पुराने शहरी क्षेत्रों का संतुलित उपयोग नहीं हो रहा है।

  • नगरीय निकायों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, जिससे योजनाएँ अधूरी रह जाती हैं।

उन्होंने कहा कि यदि राजधानी को भविष्य के अनुरूप विकसित करना है, तो—
जनभागीदारी, शहरी नीतियों की पारदर्शिता और संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग—तीनों पर एक साथ ध्यान देना होगा।

swadesh jyoti conclave
swadesh jyoti conclave

swadesh jyoti conclave


2050 तक आधी आबादी शहरों में—शहर बनेंगे भारत की नई शक्ति: डॉ. शुभाशीष बनर्जी

डॉ. शुभाशीष बनर्जी ने विस्तृत प्रजेंटेशन के माध्यम से शहरी भविष्य की चुनौतियों को सामने रखा। उन्होंने बताया कि—

  • 2050 तक भारत की शहरी आबादी 50% से अधिक हो जाएगी।

  • एयर कंडीशनर की संख्या 9 करोड़ से बढ़कर 110 करोड़ तक पहुँच सकती है—जो ऊर्जा खपत और वातावरण पर भारी असर डालेगी।

  • इंदौर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 1.5 गुना, तापमान 2.6°C और वर्षा 22% तक बढ़ने की संभावना है।

  • भारत में प्रतिदिन 1.3–1.5 लाख टन म्यून्सिपल वेस्ट निकल रहा है—जो भविष्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

उन्होंने कहा कि—

  • ट्रैफिक प्रबंधन, शहरी जमीन पर दबाव, जलवायु परिवर्तन और कचरा प्रबंधन शहरी प्रशासन के लिए निर्णायक बिंदु होंगे।

  • आखिर में हमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर ही जाना होगा”—इसके बिना टिकाऊ शहर बनाना संभव नहीं।

swadesh jyoti conclave
swadesh jyoti conclave

नीतियाँ अच्छी हैं, क्रियान्वयन कमजोर है: नितिन लालचंदानी

इन्फ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञ नितिन लालचंदानी ने कहा कि भोपाल एक सुंदर और व्यवस्थित आर्किटेक्चर वाला शहर है, लेकिन—

  • नए भोपाल में विकास सिमिट्रकल (संतुलित) नहीं हुआ।

  • एमपी नगर का नियोजित विकास अधूरा रह गया।

  • नीतियाँ सब रिसर्च और डेटा पर आधारित हैं, लेकिन क्रियान्वयन सबसे कमजोर कड़ी है।

  • शहर विस्तार से पहले सीवेज, जल आपूर्ति, पर्यावरणीय प्रभाव जैसे मानकों का पालन अनिवार्य होना चाहिए।

उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि—

  • अरेरा कॉलोनी में आज भी हरियाली है,

  • जबकि पुराने शहर और नर्मदापुरम रोड क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ रहा है।

इससे स्पष्ट है कि असंतुलित विकास भविष्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।

swadesh jyoti conclave
swadesh jyoti conclave


स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!