मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की 16वें केन्द्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ बैठक
- राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ने से मजबूत होगी अर्थव्यवस्था
- अगले पांच वर्षों में मध्यप्रदेश के बजट को दोगुना करने का लक्ष्य
- राज्य की वित्तीय आवश्यकताओं पर विस्तृत चर्चा, मेमोरेंडम सौंपा
भोपाल:
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश एक विशाल राज्य है और इसकी जरूरतें भी उतनी ही बड़ी हैं। उन्होंने 16वें केन्द्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ बैठक में आग्रह किया कि केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 43% से बढ़ाकर 48% की जानी चाहिए। इससे राज्यों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और वे अपने विकास लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए विकसित मध्यप्रदेश जरूरी है और इसके लिए राज्यों को अधिक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
राज्यों की मजबूती से राष्ट्र का विकास
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल और आपसी सामंजस्य से ही एक समतामूलक और कल्याणकारी समाज की स्थापना संभव है। राज्य सरकारें अपनी सीमित क्षमताओं और संसाधनों के बावजूद लक्ष्यों की पूर्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहती हैं। लेकिन यदि केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहायता मिले, तो यह प्रक्रिया और भी सुगम और तेज हो सकती है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में मध्यप्रदेश का वार्षिक बजट करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये है, जिसे अगले पांच वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य को केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहयोग की आवश्यकता होगी।
जल संसाधनों का प्रबंधन और विकास
मध्यप्रदेश को ‘नदियों का मायका’ बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन के लिए विभिन्न पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर नदी जोड़ो परियोजनाओं पर कार्य कर रही है। पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना को राजस्थान सरकार के सहयोग से पूरा किया गया है, जबकि केन-बेतवा लिंक परियोजना उत्तरप्रदेश सरकार के साथ आगे बढ़ रही है। इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार के साथ ताप्ती नदी परियोजना पर भी कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 20 वर्ष पहले प्रदेश में मात्र 7 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित थी, लेकिन अब यह आंकड़ा 48 लाख हेक्टेयर से अधिक हो चुका है। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचे, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हो और किसानों की आय बढ़े।
औद्योगिक विकास और निवेश
मध्यप्रदेश सरकार की नई औद्योगिक नीतियों के चलते निवेशकों का राज्य पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में लागू की गई 18 नई औद्योगिक नीतियों के कारण मध्यप्रदेश को 30.77 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
सरकार हर जिले के कलेक्ट्रेट में उद्योग प्रकोष्ठ स्थापित कर रही है, जिससे निवेशकों को स्थानीय स्तर पर भी किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े। सरकार व्यापार और व्यवसाय को सुगम बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
कृषि और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि देश में उत्पादित कुल दूध का 20% से अधिक भाग मध्यप्रदेश से आए। इससे किसानों और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
सौर ऊर्जा से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना
प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले तीन वर्षों में 30 लाख किसानों को सौर पंप दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे किसान केवल अन्नदाता ही नहीं बल्कि ऊर्जादाता भी बनेंगे। किसानों को मात्र पांच रुपये में बिजली कनेक्शन दिया जाएगा, जिससे उन्हें कहीं भटकना न पड़े।
हेल्थकेयर में नवाचार और एयर एंबुलेंस सेवा
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने हेल्थकेयर में कई नवाचार किए हैं, जिनमें एयर एंबुलेंस सेवा भी शामिल है। बीते एक वर्ष में कई गंभीर मरीजों को एयरलिफ्ट कर बड़े अस्पतालों तक पहुंचाकर उनका जीवन बचाया गया। इस सेवा को नागरिकों से बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वित्त आयोग से आग्रह किया कि मध्यप्रदेश को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाए, जिससे राज्य अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों, उद्योगों, जल प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाओं और ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने राज्य की वित्तीय आवश्यकताओं और विकास योजनाओं को ध्यानपूर्वक सुना और कहा कि वे इस पर गंभीरता से विचार करेंगे।