मध्यप्रदेश में कार्बाइड गन से 300 लोग घायल, कई ने खोई आंखों की रोशनी; सरकार ने लगाया पूर्ण प्रतिबंध
भोपाल, 25 अक्टूबर (हि.स.)।
मध्यप्रदेश में दिवाली पर पटाखों के विकल्प के रूप में चलाए जा रहे ‘देसी कार्बाइड गन’ अब भयावह हादसों का कारण बन गई है। प्रदेशभर में अब तक 300 से अधिक लोगों की आंखें जख्मी हो चुकी हैं, जिनमें कई की दृष्टि स्थायी रूप से चली जाने का खतरा बना हुआ है। नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग 50 प्रतिशत मरीजों की आंखों की रोशनी पूरी तरह से खत्म हो चुकी है और फिलहाल वे केवल एक गर्म सफेद रोशनी का गोला (वार्म व्हाइट लाइट) ही देख पा रहे हैं।
इन घटनाओं ने प्रदेशभर में स्वास्थ्य और प्रशासनिक तंत्र को झकझोर दिया है। गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से कार्बाइड गन के निर्माण, बिक्री, खरीद और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में सबसे अधिक मामले
भोपाल के अस्पतालों में अब तक 162 लोग इस देसी गन के धमाके से घायल होकर पहुंचे हैं। वहीं ग्वालियर, इंदौर, विदिशा सहित अन्य जिलों से भी बच्चों और युवाओं के घायल होने के मामले सामने आए हैं। इनमें 7 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे बड़ी संख्या में हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, कई मरीजों की आंखों की झिल्ली पूरी तरह झुलस चुकी है। उपचार के लिए एमनियोटिक मेम्ब्रेन इम्प्लांट, टिशू ग्राफ्टिंग जैसी प्रक्रियाएं की जा रही हैं, लेकिन कई मामलों में कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही अंतिम उपाय रह गया है। हालांकि इतनी बड़ी संख्या में कॉर्निया उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण है।
प्रशासन की नींद हादसों के बाद टूटी
प्रदेश में जब तक दर्जनों लोग घायल नहीं हुए, तब तक इस पर किसी तरह की रोक नहीं थी। लेकिन एक ही दिन में दर्जनों गंभीर मामले सामने आने के बाद प्रशासन हरकत में आया। गुरुवार रात को भोपाल और ग्वालियर में कार्बाइड गन बेचने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि इंदौर में कलेक्टर ने इसकी बिक्री, खरीद और भंडारण पर तत्काल रोक लगा दी।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी कमिश्नरों और कलेक्टरों को सख्त निर्देश जारी किए कि प्रदेश में कार्बाइड गन का उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।
“त्योहारों और शादियों में भी कार्बाइड गन पूरी तरह प्रतिबंधित”
मुख्य सचिव जैन ने कहा कि कार्बाइड गन का उपयोग किसी भी त्यौहार या विवाह समारोह में नहीं होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिले स्तर पर कड़ी निगरानी और निरीक्षण की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने कहा —
“कार्बाइड गन का प्रयोग अब पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया गया है। अधिकारी सुनिश्चित करें कि कहीं भी इसका उपयोग न हो। बिना लाइसेंस बिक्री करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए और इसके विक्रय व भंडारण पर तत्काल रोक लगाई जाए।”
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि विस्फोटक बिक्री के लाइसेंस धारकों की दुकानों और गोदामों का निरीक्षण किया जाए। यदि किसी भी जगह अवैध रूप से कार्बाइड गन या अन्य विस्फोटक सामग्री पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

पीड़ितों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने निर्देश दिए हैं कि कार्बाइड गन से घायल सभी लोगों को नि:शुल्क और समुचित चिकित्सा सुविधा दी जाए। गंभीर मामलों में मरीजों को एयर एम्बुलेंस से बड़े अस्पतालों में स्थानांतरित करने की व्यवस्था भी की जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में पीड़ितों के इलाज में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कॉलेजों को भी निर्देश दिए गए हैं कि नेत्र विशेषज्ञों की टीमें तत्काल सक्रिय होकर उपचार सुनिश्चित करें और जरूरत पड़ने पर अन्य राज्यों के विशेषज्ञों से भी मदद ली जाए।
ICMR ने पहले ही दी थी चेतावनी
इस हादसे की गंभीरता के बीच यह तथ्य भी सामने आया है कि ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) भोपाल ने इस गन को लेकर दो वर्ष पहले ही चेतावनी जारी की थी।
2023 में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के रासायनिक अभिक्रिया से बनने वाली “एसिटिलीन गैस” सिर्फ विस्फोट ही नहीं करती बल्कि आंखों की रोशनी को स्थायी रूप से क्षति पहुंचा सकती है।
यह अध्ययन “इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी” में प्रकाशित हुआ था। विशेषज्ञों ने तब ही चेताया था कि यह गैस बेहद खतरनाक है और इसे खेलने या प्रयोग के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए। बावजूद इसके, प्रशासन ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
सोशल मीडिया पर “बंदर भगाने का जुगाड़” बनकर वायरल हुई थी यह गन
कार्बाइड गन का उपयोग मूल रूप से पटाखों के विकल्प या “बंदर भगाने के देसी जुगाड़” के रूप में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। सस्ते दाम में मिलने वाली यह गन बाजारों में खुलेआम बिकने लगी।
कई लोग इसे मज़ाक या प्रयोग के तौर पर घरों में बना रहे थे, लेकिन अब यह खिलौना जानलेवा साबित हो रहा है।

विशेषज्ञों की चेतावनी — “यह कोई खेल नहीं, विस्फोटक हथियार है”
नेत्र रोग विशेषज्ञों ने कहा है कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी की प्रतिक्रिया में उत्पन्न एसिटिलीन गैस की ताकत हजारों डिग्री तापमान तक पहुंच सकती है, जो पलक, कॉर्निया और रेटिना तक को जला देती है। कई मामलों में यह चोट स्थायी रूप से दृष्टिहीनता का कारण बनती है।
भोपाल के वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ. आर.पी. सिंह ने बताया —
“यह कोई खिलौना नहीं, बल्कि रासायनिक विस्फोटक है। कार्बाइड से उत्पन्न गैस का झटका आंखों को अंदर से जला देता है। हमें अब ऐसे कई मरीज मिल रहे हैं जिनकी दोनों आंखों की दृष्टि जा चुकी है।”
सरकार सख्त, दोषियों पर होगी कार्रवाई
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया है कि जो भी व्यक्ति या व्यापारी कार्बाइड गन की बिक्री या निर्माण में पाया जाएगा, उसके खिलाफ विस्फोटक अधिनियम और आपराधिक धाराओं के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने प्रशासन को यह भी निर्देश दिया है कि स्कूलों, कॉलोनियों और बाजारों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इसकी खतरनाक प्रकृति के बारे में बताया जाए।

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