October 18, 2025 11:24 AM

विश्व के सबसे बड़े हैंडीक्राफ्ट मेले में चमका मध्य प्रदेश का बाग प्रिंट

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ग्रेटर नोएडा में आयोजित 60वें इंडियन हैंडीक्राफ्ट्स एंड गिफ्ट्स फेयर में बाग शिल्प की रही धूम

विश्व के सबसे बड़े हैंडीक्राफ्ट मेले में चमका मध्य प्रदेश का बाग प्रिंट, विदेशी खरीदारों ने दिखाया उत्साह

भोपाल, 17 अक्टूबर।
भारत की पारंपरिक कलाओं में विशिष्ट पहचान रखने वाला मध्य प्रदेश का बाग प्रिंट एक बार फिर वैश्विक मंच पर छा गया है। दिल्ली-एनसीआर के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में आयोजित 60वें इंडियन हैंडीक्राफ्ट्स एंड गिफ्ट्स फेयर 2025 में बाग प्रिंट आकर्षण का केंद्र बना रहा।
यह आयोजन एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट्स द्वारा किया गया, जिसे दुनिया के सबसे बड़े बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) ट्रेड फेयर्स में गिना जाता है।

पारंपरिक कला की अंतरराष्ट्रीय चमक

13 से 17 अक्टूबर तक चले इस मेले में देश-विदेश के हजारों खरीदारों, डिजाइनरों और कला प्रेमियों ने हिस्सा लिया। मध्य प्रदेश के धार जिले से आए प्रसिद्ध बाग शिल्पकार आरिफ खत्री ने अपने स्टॉल पर बाग प्रिंट की पारंपरिक छपाई की विधि और प्राकृतिक रंगों के उपयोग को प्रदर्शित किया।
लकड़ी के ब्लॉकों की सहायता से कपड़े पर किए जाने वाले बाग प्रिंट की बारीक कलात्मकता ने विदेशी प्रतिनिधियों को विशेष रूप से आकर्षित किया। कई अंतरराष्ट्रीय मेहमान खत्री के स्टॉल पर रुककर बाग प्रिंट के इतिहास, उसकी तकनीक और उसके पर्यावरण-अनुकूल स्वरूप के बारे में विस्तार से जानकारी लेते नजर आए।

आरिफ खत्री ने बताया कि बाग प्रिंट केवल एक हस्तकला नहीं, बल्कि भारत की जीवंत सांस्कृतिक विरासत है, जिसे आज भी पारंपरिक तरीकों और प्राकृतिक रंगों से संजोकर रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह कला सदियों पुरानी है और आज के दौर में भी “स्थायी फैशन” की सशक्त मिसाल बनकर उभरी है।

110 देशों से आए प्रतिनिधि

इस पांच दिवसीय आयोजन में करीब 3,000 से अधिक भारतीय निर्माता और निर्यातक शामिल हुए, जबकि 110 से अधिक देशों के खरीदारों ने भाग लिया। इनमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देशों के आयातक भी शामिल थे।
विदेशी खरीदारों ने बाग प्रिंट उत्पादों में गहरी रुचि दिखाई और इस कला को वैश्विक फैशन बाजार में आगे बढ़ाने के लिए सहयोग की इच्छा जताई। कई डिजाइन हाउसों और फैशन कंपनियों ने भारतीय शिल्पियों के साथ सीधे काम करने की संभावनाओं पर चर्चा की।

बाग प्रिंट: मध्य प्रदेश की पहचान

भारत सरकार द्वारा भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) प्राप्त बाग प्रिंट आज मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। यह कला मुख्य रूप से धार जिले के बाग गांव में विकसित हुई है, जहां शिल्पकार पीढ़ियों से प्राकृतिक रंगों और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करते आ रहे हैं।
बाग प्रिंट में प्रयुक्त रंग पूरी तरह प्राकृतिक स्रोतों से तैयार किए जाते हैं — जैसे लाल रंग के लिए अलिजारिन, काला रंग लोहे और गुड़ के मिश्रण से, जबकि पीले रंग के लिए हल्दी का उपयोग होता है। यह पूरी प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ है।

‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ योजना के अंतर्गत बाग प्रिंट को मिली पहचान

धार जिले का बाग प्रिंट ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP)’ योजना के तहत जिले का प्रतिनिधि उत्पाद घोषित किया गया है। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा देना और स्थानीय कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना है।
‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत बाग प्रिंट को देश की हस्तशिल्प परंपरा का प्रतीक माना जा रहा है। इसकी विशिष्टता, पर्यावरणीय संतुलन और वैश्विक स्वीकार्यता ने इसे भारतीय हस्तकला जगत में अलग स्थान दिलाया है।

बाग प्रिंट का वैश्विक भविष्य

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में बाग प्रिंट की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में और बढ़ेगी। पर्यावरण-अनुकूल वस्त्रों की बढ़ती वैश्विक मांग के चलते यह कला अब “सस्टेनेबल फैशन” का हिस्सा बन चुकी है। बाग के शिल्पकारों के लिए यह अवसर है कि वे अपनी पारंपरिक कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक सशक्तिकरण से जोड़ सकें।

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