मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे शुभारंभ, लाल परेड मैदान में होगा मुख्य आयोजन — ‘विकसित मध्यप्रदेश 2047’ की दिशा में नया अध्याय शुरू
मध्यप्रदेश के 69वें स्थापना दिवस पर ‘अभ्युदय’ का शुभारंभ, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दी विकसित मप्र 2047 की दिशा
भोपाल। शनिवार शाम मध्यप्रदेश अपने गौरवशाली इतिहास और उज्जवल भविष्य के संगम पर खड़ा होगा। 69 वर्ष के इस राज्य की विकास यात्रा आज एक नए अध्याय की ओर बढ़ेगी — जिसका नाम है ‘अभ्युदय’। यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि ‘विकसित मध्यप्रदेश 2047’ के सपने को साकार करने की दिशा में संकल्प का प्रारंभ है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लाल परेड मैदान से इस ऐतिहासिक अभियान का शुभारंभ करेंगे।
🌅 विकसित भारत के संकल्प में शामिल मध्यप्रदेश का ‘अभ्युदय’
राज्य की स्थापना के 69 वर्षों के बाद मध्यप्रदेश अब अपने विकास के तीसरे चरण में प्रवेश कर रहा है — जहाँ विकास का अर्थ केवल औद्योगिक विस्तार नहीं, बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक अवसर पहुँचाना है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि “अब विकास का अर्थ है — हर नागरिक की भागीदारी, हर अंचल का उत्थान।”
प्रदेश वर्ष 2047 में जब देश आजादी का शताब्दी वर्ष मनाएगा, तब मध्यप्रदेश विकसित भारत का सशक्त केंद्र बनने के संकल्प के साथ
आगे बढ़ रहा होगा।
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🏭 ‘विकसित मध्यप्रदेश 2047’ — उद्योग, निवेश और रोजगार का समग्र विज़न
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश ने एक नए आर्थिक ढांचे और औद्योगिक दृष्टिकोण की शुरुआत की है।
यह विज़न तीन स्तंभों पर आधारित है —
उद्योग (Industry), निवेश (Investment) और रोजगार (Employment)।
कभी औद्योगिक गतिविधियां भोपाल और इंदौर तक सीमित थीं, पर अब राज्य सरकार ने इसे हर क्षेत्र तक पहुँचाने का लक्ष्य तय किया है।
💡 रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव्स ने बदला निवेश का नक्शा
प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित ‘रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव्स’ ने यह साबित किया है कि औद्योगिक विकास अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं।
- रीवा का “वाइब्रेंट विंध्य”,
- सागर का “बुंदेलखंड ऑन द रोड टू प्रोग्रेस”,
- जबलपुर का “कॉनफ्लुएंस ऑफ इंडस्ट्रीज”
इन आयोजनों ने दिखाया कि अब हर अंचल अपने उद्योग, निवेश और नवाचार की पहचान बना रहा है।
यह केवल सम्मेलन नहीं, बल्कि स्थानीय भागीदारी और क्षेत्रीय आत्मनिर्भरता का जीवंत उदाहरण बन चुके हैं।
🔧 2025 को घोषित किया गया ‘उद्योग एवं रोजगार वर्ष’
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वर्ष 2025 को ‘उद्योग एवं रोजगार वर्ष’ के रूप में घोषित किया है।
इस घोषणा का उद्देश्य है कि —
“हर निवेश का लाभ जनता तक पहुँचे, हर उद्योग किसी न किसी परिवार के लिए रोजगार का साधन बने।”
इस पहल के तहत राज्य में कई बड़े आयोजन हुए —
- उज्जैन में “स्पिरिचुअल एंड वेलनेस समिट”
- इंदौर में “टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव”
- रीवा में “टूरिज्म कॉन्क्लेव”
- नरसिंहपुर और मंदसौर में “कृषि-उद्योग सम्मेलन”
इन आयोजनों ने सिद्ध किया कि विकास अब केवल उद्योगों तक सीमित नहीं, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को जोड़ने वाला अभियान बन गया है।
💼 रतलाम का ‘एमपी राइज कॉन्क्लेव’ — मानव संसाधन पर केंद्रित मॉडल
रतलाम में आयोजित एमपी राइज कॉन्क्लेव ने राज्य की नई विकास सोच को ठोस आकार दिया।
इस आयोजन से ₹30,402 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले और 35,520 से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए।
यह सम्मेलन इस विचार का प्रतीक था कि मानव संसाधन ही विकास की सबसे बड़ी पूंजी है।
📈 निवेश और निर्यात में ऐतिहासिक वृद्धि
राज्य सरकार के प्रयासों से पिछले दो वर्षों में औद्योगिक निवेश के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं।
- 397 औद्योगिक इकाइयों को भूमि आवंटित की गई।
- ₹2.48 लाख करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित हुआ।
- निर्यात में 6% की वृद्धि दर्ज की गई।
- राष्ट्रीय रैंकिंग में मध्यप्रदेश 15वें स्थान से बढ़कर 11वें स्थान पर पहुंच गया।
ये आँकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश अब आत्मविश्वास से भरा, विकासशील से विकसित राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है।
🌏 नई पहचान: निवेश, नवाचार और अवसरों का केंद्र
मुख्यमंत्री डॉ. यादव की सोच ने प्रदेश की विकास यात्रा को स्थानीय पहचान से वैश्विक दृष्टि तक पहुँचाया है।
जहां पहले औद्योगिक विकास सीमित था, वहीं अब राज्य के प्रत्येक क्षेत्र में ‘मिनी इंडस्ट्रियल हब’ की अवधारणा आकार ले रही है।
सरकार का फोकस अब केवल उद्योग लगाने पर नहीं, बल्कि स्थायी विकास, युवाओं के कौशल संवर्धन और नए उद्यमों को प्रोत्साहन देने पर है।
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🌄 अभ्युदय: आत्मविश्वास और समृद्धि की नई सुबह
“अभ्युदय” केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश के आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति है।
राज्य अब ‘विकास के केंद्रीकरण’ से ‘विकास के विकेंद्रीकरण’ की दिशा में अग्रसर है, जहां हर नागरिक को अवसर और हर क्षेत्र को पहचान मिले।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के शब्दों में —
“मध्यप्रदेश अब केवल विकास की कहानी नहीं लिख रहा, बल्कि वह नए भारत की आकांक्षाओं का नेतृत्व कर रहा है।”
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