मध्यप्रदेश के 10 शहर होंगे इंदौर की तर्ज पर विकसित, पर्यटन और स्वच्छता पर सरकार का फोकस

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने एक अहम निर्णय लेते हुए प्रदेश के कम से कम 10 शहरों को इंदौर की तर्ज पर विकसित करने की योजना को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को विधानसभा स्थित समिति कक्ष में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के दौरान राज्य सरकार ने स्वच्छता, नगरीय विकास, पर्यटन और निवेश को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं और चार विधेयकों को मंजूरी दी गई।

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इंदौर मॉडल पर होंगे 10 शहर विकसित

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आगामी स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 के तहत प्रदेश के कम से कम 10 शहरों को इंदौर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इंदौर ने लगातार आठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने का गौरव हासिल किया है, वहीं भोपाल ने दूसरी रैंक प्राप्त की है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस उपलब्धि से सम्पूर्ण प्रदेश और हर नागरिक गर्व महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि 338 शहरों को ओडीएफ डबल प्लस और 24 शहरों को वॉटर प्लस प्रमाण-पत्र मिला है, जबकि उज्जैन संभाग के 66 में से 56 शहरों ने अपनी रैंक में सुधार किया है।

चार विधेयकों को कैबिनेट की मंजूरी

मंत्रिमंडल की बैठक में जिन चार विधेयकों को मंजूरी दी गई, वे हैं—

  1. जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2025
  2. माध्यमस्थ अधिकरण (संशोधन) विधेयक
  3. दुकान स्थापना अधिनियम (संशोधन) विधेयक
  4. कारखाना अधिनियम (संशोधन) विधेयक

इन विधेयकों को वर्तमान मानसून सत्र में विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। बैठक में विक्रमपुरी इंडस्ट्रियल एरिया से जुड़ी भूमि के भू-अर्जन को भी मंजूरी दी गई।

पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में व्यापक कदम

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि 11 से 13 अक्टूबर के बीच भोपाल में मध्यप्रदेश ट्रैवल मार्ट (MP Travel Mart) का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम राज्य के पर्यटन कारोबार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचारित करने का प्रयास है। इससे पहले इसकी तैयारियों के तहत 12-13 अगस्त को ग्वालियर और 20-21 सितंबर को इंदौर में क्षेत्रीय पर्यटन सम्मेलन (Regional Tourism Conclave) का आयोजन होगा।

इन सम्मेलनों में होटल मालिक, टूर ऑपरेटर, ट्रांसपोर्ट व्यवसायी जैसे हितधारक शामिल होंगे और उन्हें अपने उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने का अवसर मिलेगा। सरकार का उद्देश्य प्रदेश के प्राकृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन के केंद्र में लाना है। मुख्यमंत्री ने मंदसौर के धर्मराजेश्वर और अन्य झरनों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की बात भी कही।

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आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर भी जोर

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने महाकालेश्वर मंदिर और पचमढ़ी स्थित नागद्वारी मंदिर का उल्लेख करते हुए नागपंचमी के अवसर पर इन स्थलों की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि धार्मिक आस्था से जुड़े स्थलों का विकास, पर्यटन के साथ-साथ सांस्कृतिक चेतना को भी सशक्त करेगा।

पर्यटन में निवेश और वायु सेवा का विस्तार

26 और 27 जुलाई को रीवा में आयोजित वाइल्डलाइफ एवं ऑफबीट डेस्टिनेशन पर केंद्रित क्षेत्रीय पर्यटन सम्मेलन में 80 से अधिक टूर ऑपरेटर्स ने भाग लिया। इस दौरान रीवा, शहडोल और अन्य संभागों में 3,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश की इच्छा व्यक्त की गई।

सम्मेलन में 15.60 करोड़ की लागत से निर्मित शहडोल फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट का उद्घाटन और चित्रकूट में 27 करोड़ रुपए के आध्यात्मिक विकास कार्यों का शिलान्यास भी हुआ। साथ ही, पीएमश्री वायु सेवा की बुकिंग अब IRCTC पोर्टल पर भी की जा सकेगी, जिससे आम यात्रियों को सुविधा मिलेगी।

डिजिटल प्रचार और सांस्कृतिक विकास पर भी विशेष ध्यान

डिजिटल प्रचार के लिए सरकार ने बारकोड एंटरटेनमेंट और क्विकी डिजिटल के साथ अनुबंध किया है। रीवा स्थित ऐतिहासिक वेंकट भवन के संरक्षण का कार्य इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के माध्यम से कराया जाएगा, जिस पर लगभग 20 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

इसके अलावा, मंडला, डिंडोरी, सिंगरौली, सीधी और सिवनी में कला और शिल्प केंद्रों के निर्माण के लिए ग्राम सुधार समिति, एमएम फाउंडेशन और समर्थ संस्था के साथ एमओयू किया गया है। इन केंद्रों के माध्यम से स्थानीय कलाकारों और हस्तशिल्पियों को रोजगार और पहचान मिलेगी।



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