भोपाल। माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय अलंकरण समारोह एवं भुवनभूषण देवलिया स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम में इस वर्ष ‘एक देश-एक कानून’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश के ग्रामीण विकास एवं ग्रामोद्योग मंत्री माननीय श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने अपने विचार व्यक्त किए।
देवलिया जी की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प
कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में मंत्री श्री पटेल ने कहा, “मैं देवलिया जी के परिजनों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने उनकी स्वाध्याय, लेखन, शिक्षा और ज्ञान बांटने की परंपरा को सतत बनाए रखा है। यह आयोजन उनके विचारों और सिद्धांतों को जीवित रखने का माध्यम बन रहा है। उनकी स्मृति में आयोजित यह व्याख्यान हमें अपने कर्तव्यों का बोध कराता है।”
राज्य स्तरीय पत्रकारिता सम्मान
इस वर्ष के राज्य स्तरीय भुवनभूषण देवलिया पत्रकारिता सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश पांडेय को उनकी सुदीर्घ पत्रकारिता सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें इस सम्मान स्वरूप 11 हजार रुपये की राशि और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया।
‘एक देश-एक कानून’ पर व्याख्यान
कार्यक्रम के दौरान मौजूदा समय के महत्वपूर्ण विषय ‘एक देश-एक कानून’ पर विस्तृत विमर्श हुआ। मंत्री श्री पटेल ने कहा, “जब ‘एक देश-एक कानून’ की बात होती है, तो मेरा स्वयं का सार्वजनिक जीवन चार दशक लंबा है और मैंने इसमें कई बदलाव देखे हैं। एक समय था जब समाज में आपसी सौहार्द और धार्मिक समरसता का वातावरण बना हुआ था, परंतु समय के साथ यह परिवर्तित हो गया। ऐसे में, हमें अपने भविष्य के बारे में सोचने और उचित निर्णय लेने की आवश्यकता है।”
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, “नरसिंहपुर के पास एक गांव कठौतिया में एक समय कोई मुस्लिम परिवार नहीं था, लेकिन वहां एक मस्जिद थी। गांव के लोग दीपावली से पहले उस मस्जिद को सफाई करके पेंट किया करते थे। लेकिन चार दशक बाद अब वह वातावरण वैसा नहीं रहा। यह सोचने का विषय है कि समाज में यह बदलाव क्यों आया और इसे कैसे पुनः बेहतर किया जा सकता है।”


संविधान और समाज की जिम्मेदारी
मंत्री श्री पटेल ने संविधान सभा की बहसों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन चर्चाओं में हमारे कई प्रश्नों के उत्तर छिपे हैं। उन्होंने नैतिकता और सदाचार के संबंध को स्पष्ट करते हुए बताया कि समाज की व्यवस्था नैतिकता पर टिकी होती है, लेकिन व्यक्ति की व्यवस्था सदाचार पर आधारित होती है। उन्होंने एक जैन मुनि के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि नैतिक अवमूल्यन का दोष धर्म पर नहीं, बल्कि समाज और व्यवस्था पर आता है।
उन्होंने कहा, “यदि हम ‘एक देश-एक कानून’ की बात करते हैं, तो यह समाज की व्यवस्था का हिस्सा है। जब नैतिक मूल्यों की गिरावट होती है, तो हमें सख्ती से समाज की ओर और कानून की ओर जाना पड़ता है। इस दृष्टिकोण से हमें अपनी सामाजिक और कानूनी संरचना को और अधिक मजबूत बनाना होगा।”
मुख्य वक्ता और अतिथियों के विचार
इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में जाने-माने पत्रकार प्रो. हर्षवर्धन त्रिपाठी (नई दिल्ली) ने अपने विचार रखे। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर ने की। विषय प्रवर्तन वरिष्ठ पत्रकार एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के एडजंक्ट प्रोफेसर शिवकुमार विवेक ने किया।
समारोह में मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार, उद्घोषक एवं कला समीक्षक श्री विनय उपाध्याय ने किया। इस विशेष अवसर पर भुवनभूषण देवलिया स्मृति व्याख्यानमाला समिति के सदस्य, साहित्यकार अशोक मनवानी सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
यह आयोजन न केवल पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने का मंच बना, बल्कि ‘एक देश-एक कानून’ जैसे महत्वपूर्ण विषय पर व्यापक विमर्श का अवसर भी प्रदान किया।
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