September 17, 2025 3:26 PM

भारत में रविवार को लगेगा साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण, ब्लड मून का अद्भुत नजारा दिखेगा

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भारत में रविवार को लगेगा साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण, ब्लड मून का अद्भुत नजारा

भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में रविवार की रात खगोलीय घटना का अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा। इस दिन साल का दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा, जिसे आमतौर पर ब्लड मून कहा जाता है। खगोलविदों के अनुसार यह चंद्रग्रहण विशेष होने वाला है, क्योंकि यह साल 2022 के बाद भारत में दिखाई देने वाला सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण होगा।

कब और कितनी देर चलेगा चंद्रग्रहण

यह खगोलीय घटना रात लगभग 10 बजे शुरू होगी और तड़के 1 बजकर 28 मिनट तक चलेगी। इस दौरान ग्रहण की कुल अवधि करीब 3 घंटे 28 मिनट की होगी। इसमें से 82 मिनट पूर्ण चंद्रग्रहण रहेगा। पूर्ण अवस्था में चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पूरी तरह पड़ जाएगी और चांद लाल-नारंगी रंग का नजर आएगा, जिसे ब्लड मून कहा जाता है।

पूरे देश में होगा दृश्य, किसी विशेष साधन की जरूरत नहीं

27 जुलाई 2018 के बाद यह पहला अवसर होगा जब पूर्ण चंद्रग्रहण को पूरे भारत से देखा जा सकेगा। इसे बिना किसी चश्मे या विशेष फिल्टर के सीधे आंखों से देखा जा सकता है। हालांकि, खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोग इसे दूरबीन या टेलिस्कोप की मदद से और भी साफ देख पाएंगे।

दुनिया के किन हिस्सों में दिखेगा चंद्रग्रहण

चंद्रग्रहण का नजारा सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका के कई हिस्सों में भी देखा जा सकेगा।

  • एशिया और ऑस्ट्रेलिया में चांद आसमान में ऊंचाई पर होगा, इसलिए यहां लोग सबसे देर तक और साफ ग्रहण देख पाएंगे।
  • यूरोप और अफ्रीका में यह घटना चांद निकलते समय थोड़े समय के लिए ही दिखाई देगी।

खगोलविदों का अनुमान है कि दुनिया की करीब 77% आबादी इस ग्रहण को अपनी आंखों से देख सकेगी। उदाहरण के लिए,

  • बैंकॉक में यह 12:30 से 1:52 बजे तक,
  • बीजिंग और हांगकांग में 1:30 से 2:52 बजे तक,
  • टोक्यो में 2:30 से 3:52 बजे तक,
  • और सिडनी में 3:30 से 4:52 बजे तक देखा जा सकेगा।

चंद्रग्रहण क्यों और कैसे होता है?

पृथ्वी और सभी ग्रह गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से सूर्य की परिक्रमा करते हैं। जब परिक्रमा के दौरान पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तब सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता। इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है और चंद्रग्रहण होता है।
यह घटना केवल पूर्णिमा की रात को ही संभव है, क्योंकि उसी समय सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आते हैं।

पूर्ण और आंशिक चंद्रग्रहण में फर्क

पृथ्वी की छाया दो तरह की होती है और इसी के आधार पर ग्रहण की प्रकृति तय होती है।

  1. पूर्ण छाया (Umbra): जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की गहरी छाया में चला जाता है, तब पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देता है।
  2. आंशिक छाया (Penumbra): जब चांद केवल हल्की छाया से ढकता है, तब आंशिक चंद्रग्रहण दिखाई देता है।

रविवार को होने वाला ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, यानी चांद पूरी तरह पृथ्वी की छाया में होगा और लालिमा लिए अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करेगा।

धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

भारत में चंद्रग्रहण को धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। परंपरागत मान्यता है कि ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ, भोजन और यात्रा से बचना चाहिए। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह घटना खगोल विज्ञान के अध्ययन के लिए अहम है और इसे प्रकृति का अद्भुत प्रदर्शन माना जाता है।



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