• कारगिल सहित आसपास के कई इलाकों में जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया

जम्मू। लद्दाख में बीते दिनों हुई हिंसक झड़पों के बाद हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं। लेह में हुई झड़पों में चार निर्दोष नागरिकों की मौत और सत्तर से अधिक लोगों के घायल होने की घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने पूर्ण बंद का आह्वान किया, जिसके चलते कारगिल सहित आसपास के कई इलाकों में जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया। शहर की दुकानें, व्यवसायिक प्रतिष्ठान और बाजार बंद रहे, जबकि बुरो, सांकू, पनिखर, पदुम, ट्रेस्पोन समेत कई क्षेत्रों से भी बंद की खबरें सामने आईं। स्थानीय लोगों ने अपने रोज़मर्रा के कामकाज को रोक कर इस बंद का समर्थन किया, जिसे लेह के पीड़ित परिवारों के साथ एकजुटता और विरोध के रूप में देखा गया।

लेह में कर्फ्यू और सख्त सुरक्षा व्यवस्था

लेह में हिंसक झड़पों के बाद प्रशासन ने सख्त कर्फ्यू लागू कर दिया है। सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं ताकि हालात को दोबारा बिगड़ने से रोका जा सके। लोगों की आवाजाही पर कड़ी पाबंदियां लगाई गई हैं और प्रशासन ने चेतावनी दी है कि कर्फ्यू आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सुरक्षा बल लगातार गश्त कर रहे हैं और हर संवेदनशील इलाके में नजर रखी जा रही है।

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छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा देने की मांग

इस पूरी अशांति के पीछे लद्दाख के सामाजिक और राजनीतिक संगठनों की पुरानी मांगें हैं। लंबे समय से यहां के लोग क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कर विशेष संवैधानिक दर्जा देने और लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ज़मीन, रोज़गार और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए ये कदम बेहद ज़रूरी हैं। बुधवार को इसी मांग को लेकर लेह में आयोजित एक विशाल विरोध रैली अचानक हिंसक हो गई। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में चार नागरिकों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए। प्रत्यक्षदर्शियों ने आरोप लगाया कि सुरक्षा बलों, खासकर सीआरपीएफ ने अत्यधिक बल प्रयोग करते हुए गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े, जिससे हालात बिगड़े।

उपराज्यपाल प्रशासन पर सवाल

इस हिंसा के बाद उपराज्यपाल प्रशासन ने बयान दिया कि यह घटना क्षेत्र को अस्थिर करने की एक “साज़िश” का हिस्सा है। लेकिन इस बयान को लेह एपेक्स बॉडी (एक प्रमुख सामाजिक-राजनीतिक संगठन) ने पूरी तरह खारिज कर दिया। बॉडी का कहना है कि यह विरोध सरकार की नीतियों और जनता की आकांक्षाओं की अनदेखी के खिलाफ स्वाभाविक जनआक्रोश है। उन्होंने निहत्थे नागरिकों पर बल प्रयोग की कड़ी निंदा की। वहीं कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने भी लेह और कारगिल दोनों संगठनों के संयुक्त आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की। केडीए प्रवक्ता ने कहा, “हम लेह के अपने भाइयों के साथ खड़े हैं। निर्दोष लोगों की मौत अस्वीकार्य है और जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, हम शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष जारी रखेंगे।”

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स्थानीय लोगों का आक्रोश और दुख

लद्दाख के आम नागरिकों ने इस हिंसा और मौतों पर गहरा दुख व्यक्त किया। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने संवेदनशील मुद्दे पर बातचीत का रास्ता अपनाने के बजाय दमन और टकराव का तरीका चुना। इससे लोगों में असंतोष और बढ़ा है। कई नागरिकों का मानना है कि सरकार की यह कठोर नीति लद्दाख को और अलग-थलग कर सकती है। प्रशासन की ओर से शांति की अपील जरूर की गई है, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है। कारगिल में बंद और लेह में कर्फ्यू के कारण सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है।

उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता का बयान

लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों की मौत और घायलों की स्थिति बेहद दुखद है। उन्होंने प्रशासन और सुरक्षाबलों को निर्देश दिए कि कानून-व्यवस्था बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी प्रकार की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सभी दोषियों को न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। साथ ही उन्होंने पुलिस और जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि अशांति फैलाने वाले तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

लद्दाख की नाजुक स्थिति

इन घटनाओं के बाद लद्दाख की स्थिति बेहद नाजुक हो गई है। एक ओर लोगों का गुस्सा सरकार की नीतियों और वादाखिलाफी पर है, तो दूसरी ओर सुरक्षा बलों की कड़ी कार्रवाई ने असंतोष को और गहरा कर दिया है। बंद और कर्फ्यू के कारण आम लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। रोज़गार, व्यापार, शिक्षा और दैनिक जीवन पूरी तरह ठप हो गया है। स्थानीय संगठनों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी संवैधानिक मांगों को गंभीरता से नहीं लेती, तब तक शांति की उम्मीद करना मुश्किल होगा।