लेह में हिंसक प्रदर्शन: सोनम वांगचुक के समर्थन में छात्रों की पुलिस से झड़प, CRPF गाड़ी जलाई
लेह। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में बुधवार को हालात अचानक तनावपूर्ण हो गए। सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे छात्रों और पुलिस के बीच जोरदार झड़प हो गई। छात्रों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने CRPF की एक गाड़ी में आग लगा दी। प्रदर्शन तेजी से हिंसक रूप लेता चला गया, जिससे पूरे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
वांगचुक की भूख हड़ताल और चार बड़ी मांगें
प्रसिद्ध पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उन्होंने और उनके समर्थकों ने लद्दाख की जनता की राजनीतिक और संवैधानिक सुरक्षा से जुड़ी चार प्रमुख मांगें रखी हैं:
- लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले।
- लद्दाख को 6वीं अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा दी जाए।
- कारगिल और लेह को अलग-अलग लोकसभा सीटें बनाया जाए।
- सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों की भर्ती सुनिश्चित की जाए।
इन्हीं मांगों को लेकर छात्र और स्थानीय लोग सड़कों पर उतरे, लेकिन जब बातचीत नाकाम रही तो माहौल बिगड़ गया और प्रदर्शन हिंसक हो गया।

बातचीत की कोशिशें जारी
इस बीच, गृह मंत्रालय और लद्दाख प्रतिनिधियों के बीच बातचीत का सिलसिला जारी है। केंद्र ने आश्वासन दिया है कि उनकी समस्याओं पर विचार किया जाएगा। इस मुद्दे पर अगली औपचारिक बैठक 6 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाली है।
2019 से लगातार उबल रहा है असंतोष
लद्दाख में यह असंतोष नया नहीं है। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाकर राज्य को दो हिस्सों में बाँट दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
शुरुआत में केंद्र ने कहा था कि हालात सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। लेकिन बीते छह साल में यह वादा पूरा नहीं हो सका।
लेह और कारगिल के लोगों का कहना है कि आर्टिकल 370 के रहते उन्हें अपनी जमीन, नौकरियों और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा मिली हुई थी। अब वे खुद को राजनीतिक रूप से हाशिये पर खड़ा महसूस कर रहे हैं। इसी असंतोष ने धीरे-धीरे आंदोलन का रूप ले लिया है।

क्यों उठ रही है 6वीं अनुसूची की मांग?
लद्दाख के लोगों की सबसे बड़ी मांग है कि उन्हें 6वीं अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा दी जाए। वर्तमान में यह प्रावधान पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को प्राप्त है, जिसके तहत उनकी जनजातीय संस्कृति, भूमि और संसाधनों की रक्षा सुनिश्चित होती है। लद्दाख के लोग मानते हैं कि इस सुरक्षा के बिना बाहरी लोगों का दबदबा बढ़ेगा और उनकी अलग पहचान खो जाएगी।
प्रदर्शन ने पकड़ा उग्र रूप
वांगचुक के समर्थन में छात्रों और युवाओं की रैली शुरुआत में शांतिपूर्ण थी। लेकिन जैसे ही पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की, स्थिति बेकाबू हो गई। गुस्साए छात्रों ने पुलिस पर पत्थर फेंके और माहौल बिगड़ गया। इसके बाद हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि प्रदर्शनकारियों ने CRPF की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया।
आगे का रास्ता
लद्दाख के आंदोलन ने केंद्र सरकार के सामने गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। एक ओर लोग संवैधानिक सुरक्षा और राज्य का दर्जा मांग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण से जोड़कर देख रही है, क्योंकि लद्दाख की सीमाएं चीन और पाकिस्तान से लगती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि केंद्र ने जल्द ही ठोस समाधान नहीं निकाला तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।
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