- सौंदर्या ने थिएटर और फिल्मों के अपने सफर को साझा करते हुए कहा कि "एक्टिंग को सिर्फ पढ़कर नहीं, जीकर सीखा जाता है
'हाउसफुल 5' की अभिनेत्री सौंदर्या शर्मा का मानना है कि अभिनय की असली शिक्षा किताबों में नहीं, बल्कि अभ्यास और अनुभव में छिपी होती है। सौंदर्या ने थिएटर और फिल्मों के अपने सफर को साझा करते हुए कहा कि "एक्टिंग को सिर्फ पढ़कर नहीं, जीकर सीखा जाता है।"
थिएटर से सिनेमा तक का सफर
दिल्ली की रहने वाली सौंदर्या ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) की कार्यशालाओं से अपने अभिनय सफर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के लॉस एंजेलिस स्थित ली स्ट्रासबर्ग थिएटर एंड फिल्म इंस्टिट्यूट और न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी (NYFA) से भी प्रशिक्षण लिया। उन्होंने बताया, “थिएटर और सिनेमा दो बिल्कुल अलग माध्यम हैं। थिएटर में आपको अपनी ऊर्जा और भावनाएं स्टेज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचानी होती हैं, वहीं सिनेमा में कैमरा बहुत करीब होता है, और आपको बहुत सूक्ष्म और नियंत्रित अभिनय करना होता है।”
“काम से ही सीखता है कलाकार”
सौंदर्या का साफ कहना है कि वे अभी भी सीख रही हैं और फिल्म इंडस्ट्री में खुद को निखारने की कोशिश में जुटी हैं। उनके मुताबिक, “हर प्रोजेक्ट कुछ नया सिखाता है। मैं खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे थिएटर और फिल्मों दोनों में काम करने का मौका मिला। लेकिन मेरी असली सीख सेट पर हुई है – वहां जहां असल एक्टिंग होती है।”
‘हाउसफुल 5’ है मस्ती की फिल्म
'हाउसफुल 5' को लेकर सौंदर्या ने बताया कि यह फिल्म पूरी तरह मस्ती और मनोरंजन से भरपूर है। उन्होंने कहा, “इस फिल्म में भावनात्मक गहराई कम है, लेकिन कॉमिक टाइमिंग और स्क्रिप्ट की पकड़ जरूरी है। इसलिए इसे भी हल्के में नहीं लिया जा सकता। हर तरह की एक्टिंग की अपनी चुनौतियां होती हैं।”
‘लाल परी’ टाइटल पर सौंदर्या का रिएक्शन
सौंदर्या शर्मा को उनके फैन्स द्वारा 'लाल परी' कहे जाने पर वह बेहद भावुक हो उठती हैं। उन्होंने कहा, “जब कोई कहता है ‘अरे देखो, लाल परी आ गई’, तो यह बहुत खास लगता है। इससे लगता है कि लोग मेरे काम को पहचानने लगे हैं।” जब उनसे 'लाल परी' टाइटल की तुलना मलाइका अरोड़ा की 'मुन्नी बदनाम' और कैटरीना कैफ की 'शीला की जवानी' से की गई, तो उन्होंने विनम्रता से कहा, “वे दोनों कलाकार मेरी सीनियर हैं। उनसे मेरी तुलना होना मेरे लिए सम्मान की बात है। लेकिन मेरा सफर अभी शुरू हुआ है, मैं चाहती हूं कि मेहनत करूं और लोगों का प्यार बना रहे।”
अभ्यास से निखरती है कला
अपनी बात को समेटते हुए सौंदर्या ने कहा, “अभिनय कोई रटा-रटाया पाठ नहीं है। जितना ज्यादा मंच और कैमरे के सामने काम करोगे, उतना ही गहरा अनुभव मिलेगा। अभिनय अभ्यास से बेहतर होता है – यही मेरा अनुभव है।”
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