April 19, 2025 9:04 PM

अवैध घुसपैठ को रोकने कानून

गृहमंत्री अमित शाह ने बीते दिन राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अवैध आप्रवास से जुड़े विधेयक ‘आप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक, 2025’ को प्रस्तुत किया, जो लोकसभा में पारित भी हो गया है। यह देखना हैरानी भरा है कि विपक्ष की ओर से विशेषकर कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया। अपने विरोध को तार्किक दृष्टिकोण देने के लिए कांग्रेस की ओर से कहा गया कि यह विधेयक संतुलित नहीं है, इस कारण इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। प्रस्तावित विधेयक को संतुलित और समग्र बनाने के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस का यह भी कहना है कि यह विधेयक नागरिकों के मौलिक अधिकारों को उल्लंघन करता है। किसी भी अच्छे कदम का विरोध करने के लिए कांग्रेस भी गजब के तर्क खोजकर लाती है। यह विधेयक भारत के नागरिकों के संदर्भ में है ही नहीं, तब नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन कैसे होगा? यह विधेयक तो विदेश से होनेवाली अवैध घुसपैठ को रोकने में प्रभावी भूमिका निभाएगा। कांग्रेस से यह प्रश्न पूछा जाना चाहिए कि वह किन नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की चिंता कर रही है? क्या उसे रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की चिंता है? हालांकि कांग्रेस ने प्रश्न उठाया है कि भाजपा सरकार दस वर्ष से सत्ता में है, उसने अब तक रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से निकाल बाहर क्यों नहीं किया है? कांग्रेस का यह प्रश्न उचित ही जान पड़ता है। लेकिन, सवाल यह भी है क्या प्रभावी कानून के अभाव में यह कार्य इतना आसान है? भाजपा ने जब भी रोहिंग्या और बांग्लादेश से आए घुसपैठियों की पहचान करने का मुद्दा उठाया है, तब कांग्रेस ने कहाँ पुरजोर ढंग से इस मुद्दे में अपनी सहमति दी है? अपितु, कांग्रेस ने ऐन-केन-प्रकारेण अपना विरोध ही दर्ज कराया है। उल्लेखनीय है कि अभी आप्रवास और विदेशियों से संबंधित चार कानून थे। इनमें से अधिनियम 1920, 1939 और 1946 में पहले और द्वितीय विश्व युद्ध की आपाधापी में बनाए गए, जो कि अंग्रेज सरकार को रक्षण देने का काम करते थे। अंग्रेजों ने जो कानून अपनी सुविधा के लिए बनाए थे, स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद तक हम उन्हीं के अनुसार काम कर रहे थे। यह अच्छी बात है कि मोदी सरकार ने इन चारों कानूनों को निरस्त कर इसकी जगह यह एक ही प्रभावी कानून लाने का निर्णय लिया। तीन साल के अध्ययन के बाद भारत में आज के समय की आवश्यकताओं, चुनौतियों और खतरों को देखते हुए केंद्र सरकार यह कानून लेकर आई है। जब लोकसभा में विपक्षी दलों के नेता ‘आप्रवास और विदेशियों विषयक विधेयक, 2025’ का विरोध कर रहे थे तब गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें कठोर शब्दों में उत्तर दिया। उन्होंने उचित ही कहा कि ‘यह देश कोई धर्मशाला नहीं है, जो जब चाहे जिस उद्देश्य से चाहे यहां आकर रह जाए। विदेश से आने वाले अगर किसी से राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा होगा, तो निश्चित रूप से उसे भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह तय करने का काम भारत सरकार का है। हां, सही और सचे उद्देश्य से भारत में आने वाले विदेशियों का स्वागत है’। गृहमंत्री ने कानून और उसके उद्देश्य को लेकर सम्यक दृष्टिकोण रखा है।

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram