बुंदेलखंड की प्यासी धरती के लिए भागीरथ बने प्रधानमंत्री- डॉ. मोहन यादव
44,608 करोड़ रुपये की लागत से होगा परियोजना का निर्माण
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर ऊर्जा परियोजना का लोकार्पण
1,153 नवीन अटल ग्राम सेवा सदन का भूमि पूजन
खजुराहो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संकट से जूझते बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का भूमिपूजन किया। यह परियोजना बुंदेलखंड की सूखी और प्यासी धरती को पानी पहुंचाने का संकल्प है। प्रधानमंत्री ने 221 किमी लंबी नहर परियोजना का शुभारंभ किया, जो केन नदी का पानी बेतवा नदी में स्थानांतरित करेगी। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के 44 लाख और उत्तर प्रदेश के 21 लाख लोगों को लाभ मिलेगा।
कार्यक्रम स्थल पर प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और जल संकट से निपटने के लिए उनकी प्रेरणा को नमन किया। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, खजुराहो सांसद वीडी शर्मा और कई अन्य केंद्रीय मंत्री इस ऐतिहासिक अवसर पर उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस परियोजना को बुंदेलखंड की जिंदगी बदलने वाला कदम बताया।
परियोजना के प्रमुख बिंदु
- दौधन बांध निर्माण:
- परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई और 2.13 किमी लंबाई का दौधन बांध बनेगा।
- यह बांध 2,853 मिलियन घन मीटर पानी का भंडारण करेगा।
- टनल निर्माण:
- परियोजना के तहत दो टनल का निर्माण होगा।
- ऊपरी स्तर की टनल की लंबाई 1.9 किमी और निचले स्तर की टनल की लंबाई 1.1 किमी होगी।
- नहर प्रणाली:
- 221 किमी लंबी लिंक नहर बनाई जाएगी, जो दोनों राज्यों के बीच जल का वितरण करेगी।
- केन नदी के अधिशेष जल को बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना का महत्व
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना ऐतिहासिक महत्व की है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल संकट को समाप्त करने का स्थायी समाधान प्रदान करेगी।
- लागत: परियोजना की अनुमानित लागत 44,608 करोड़ रुपये है।
- वित्तीय योगदान: केंद्र सरकार परियोजना की 90 प्रतिशत लागत वहन करेगी, जबकि शेष 10 प्रतिशत राशि संबंधित राज्य सरकारें वहन करेंगी।
- समाप्ति अवधि: इस परियोजना को दो चरणों में आठ वर्षों में पूरा किया जाएगा।
- परिणाम: परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी, 62 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा और जल संकट समाप्त होगा।
बुंदेलखंड की स्थिति पर प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “बुंदेलखंड में जल संकट के कारण लोगों को पलायन करना पड़ता था। आज केन-बेतवा परियोजना के भूमिपूजन के साथ यह क्षेत्र जल समृद्धि की दिशा में बढ़ रहा है।” मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री को भागीरथ की उपमा देते हुए कहा, “जैसे गंगा को धरती पर लाने का श्रेय भागीरथ को दिया जाता है, वैसे ही बुंदेलखंड की सूखी धरती को जल से सींचने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है।”
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
- कृषि क्षेत्र में सुधार:
- सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होने से फसल उत्पादन में वृद्धि होगी।
- किसान आत्मनिर्भर बनेंगे और कृषि आय में सुधार होगा।
- पेयजल संकट का समाधान:
- 62 लाख लोगों को स्वच्छ पेयजल मिलेगा।
- पर्यावरण संरक्षण:
- जल की उपलब्धता से वनीकरण और पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार होगा।
- रोजगार के अवसर:
- परियोजना के निर्माण और प्रबंधन में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर ऊर्जा परियोजना
प्रधानमंत्री ने ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर ऊर्जा परियोजना का लोकार्पण भी किया। यह परियोजना नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक नई पहल है, जो पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा उत्पादन में मील का पत्थर साबित होगी।
जनकल्याण योजनाओं का समन्वय
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा, “जनकल्याण अभियान के तहत प्रदेशभर में 76 सरकारी योजनाओं के माध्यम से हर गांव में जनता को उनका अधिकार दिलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बुंदेलखंड क्षेत्र में विकास की नई गाथा लिखी है।”
केन-बेतवा लिंक परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जल प्रबंधन और संसाधन उपयोग की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। यह न केवल बुंदेलखंड के जल संकट को समाप्त करेगी बल्कि सामाजिक और आर्थिक सुधार की नई राह खोलेगी। प्रधानमंत्री के इस प्रयास को आने वाले वर्षों में भारतीय जल प्रबंधन का आदर्श माना जाएगा।