नई दिल्ली।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अनुमति दे दी है। यह मंजूरी उप राज्यपाल विनय सक्सेना द्वारा पहले ही दी जा चुकी है। ईडी ने इस मामले में पिछले साल केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें दिल्ली सरकार की विवादास्पद शराब नीति को लेकर केजरीवाल को आरोपी बनाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मिली मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों या उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए स्वीकृति लेने का निर्देश दिया था। इसी आधार पर ईडी ने यह मंजूरी मांगी थी। बताया जा रहा है कि यह अनुमति ऐसे समय दी गई है जब दिल्ली में आगामी 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं, और इसके परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे।
शराब नीति घोटाले में आरोपी हैं केजरीवाल
ईडी ने 2022 में दिल्ली की विवादास्पद नई शराब नीति में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की थी। ईडी और सीबीआई ने इस मामले में पहले दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी आरोपी बनाया था।
2022 में शराब नीति लागू करने के दौरान सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने और निजी ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का आरोप है। इस मामले में ईडी ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए अवैध तरीके से धन को सफेद किया गया।
केजरीवाल की प्रतिक्रिया और आप का बयान
आम आदमी पार्टी (आप) ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। आप की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा,
“देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को जेल में डाला गया। दोनों को ट्रायल कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। 2 साल बाद मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई और वह भी चुनाव के करीब। यह सरकार का आम आदमी पार्टी को बदनाम करने का प्रयास है।”
राजनीतिक माहौल गर्माया
चुनावों से पहले इस मामले ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि यह कार्रवाई केंद्र सरकार द्वारा जानबूझकर की जा रही है ताकि “आप” को नुकसान पहुंचाया जा सके।
शराब नीति पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल
2021 में दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लागू की थी। इसे लेकर कई बार विवाद हुआ, और अंततः नीति को वापस ले लिया गया। इस मामले में ईडी और सीबीआई ने कई लोगों से पूछताछ की।
क्या कहते हैं कानून विशेषज्ञ?
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में मुकदमा चलाने की अनुमति मिलना प्रक्रिया का हिस्सा है। हालांकि, चुनावी माहौल में इस कार्रवाई का समय सवाल खड़े कर रहा है।
आने वाले समय में प्रभाव
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का चुनाव पर क्या असर पड़ेगा। क्या आम आदमी पार्टी इस मामले को “राजनीतिक प्रतिशोध” का मुद्दा बनाकर जनता की सहानुभूति हासिल करेगी या यह कार्रवाई पार्टी के लिए चुनौती साबित होगी?