नेपाल में तीसरे दिन कफ्र्यू जारी, सुशीला कार्की बनेंगी अंतरिम प्रधानमंत्री

काठमांडू। नेपाल की राजधानी काठमांडू में जेन-जी विरोध प्रदर्शन और हिंसा के तीसरे दिन भी हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं। हिंसा के मद्देनजर सेना ने राजधानी और उसके आसपास के संवेदनशील इलाकों में तीसरे दिन भी कफ्र्यू लागू रखा है। हालात नियंत्रण में आते दिख रहे हैं, लेकिन सुरक्षा बल सतर्क बने हुए हैं।

हिंसा के बाद सरकार के गठन की कोशिशें भी तेज हो गई हैं। अंतरिम सरकार बनाने के लिए सेना मुख्य दलों और नेताओं से विचार-विमर्श कर रही है। सेना हेडक्वार्टर में आज सुबह 10:30 बजे दूसरे दौर की बातचीत आयोजित की गई, क्योंकि बुधवार शाम को पहले दौर की बातचीत में कोई ठोस निर्णय नहीं निकला था। सेना ने सभी राजनीतिक दलों और प्रमुख नेताओं से राय मांगी थी, ताकि देश में स्थिरता लौट सके।

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सुशीला कार्की बनेंगी अंतरिम प्रधानमंत्री

नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकीं सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का फैसला लगभग तय माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार उन्हें जेन-जी आंदोलन और काठमांडू के मेयर बालेन शाह का समर्थन प्राप्त है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुशीला अंतरिम सरकार में बालेन शाह की प्रॉक्सी के रूप में काम करेंगी। जब देश में चुनाव होंगे, तब बालेन शाह चुनाव लड़ेंगे।


हिंसा का भयानक मापदंड: 31 मौतें, 1000 घायल

नेपाल में जारी जेन-जी विरोध प्रदर्शनों में अब तक 31 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 1000 लोग घायल हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार, मृतकों में से 25 शवों की पहचान हो चुकी है। शेष छह मृतकों की पहचान अभी नहीं हो पाई है, जिसमें एक महिला भी शामिल है। अधिकांश मृतकों की पहचान घटनास्थल से मिले दस्तावेज़ों या परिवार वालों के बयान के आधार पर की गई है।

सुरक्षा बलों की कार्रवाई में रामछेपा जेल में 3 कैदियों की मौत हुई। अधिकारियों ने बताया कि कैदी जेल से भागने की कोशिश कर रहे थे, और उन्हें रोकने के लिए गोली चलानी पड़ी। इसके अलावा 14 कैदी घायल हुए हैं। घायलों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। फिलहाल जेल पर सेना का नियंत्रण कायम है।सुरक्षा बलों की कार्रवाई में रामछेपा जेल में 3 कैदियों की मौत हुई। अधिकारियों ने बताया कि कैदी जेल से भागने की कोशिश कर रहे थे, और उन्हें रोकने के लिए गोली चलानी पड़ी। इसके अलावा 14 कैदी घायल हुए हैं। घायलों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। फिलहाल जेल पर सेना का नियंत्रण कायम है।सुरक्षा बलों की कार्रवाई में रामछेपा जेल में 3 कैदियों की मौत हुई। अधिकारियों ने बताया कि कैदी जेल से भागने की कोशिश कर रहे थे, और उन्हें रोकने के लिए गोली चलानी पड़ी। इसके अलावा 14 कैदी घायल हुए हैं। घायलों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। फिलहाल जेल पर सेना का नियंत्रण कायम है।

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प्रचंड का बयान: लोकतंत्र का कोई विकल्प नहीं

पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने कहा कि जेन-जी आंदोलन सिर्फ बदलाव की मांग नहीं कर रहा है, बल्कि लोकतंत्र को और मजबूत बनाने के लिए है। प्रचंड ने स्पष्ट किया कि आंदोलनकारियों की मांगें संविधान और संसद के खिलाफ नहीं हैं। उनका कहना है कि समस्याओं का समाधान केवल संवैधानिक और संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से ही संभव है।

प्रचंड ने स्वीकार किया कि संविधान में कुछ कमियां हैं, लेकिन इसके बावजूद यह सामाजिक न्याय और समावेशिता सुनिश्चित करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि देश को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनका हल केवल संविधान के माध्यम से ही निकाला जा सकता है।

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सरकार और सेना की भूमिका

आर्मी और सरकार के बीच बातचीत जारी है, ताकि हिंसा की जड़ तक जाकर स्थायी समाधान निकाला जा सके। सेना ने यह साफ किया है कि वे स्थिति को नियंत्रित रखने और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर आवश्यक कदम उठाएंगे।

राजनीतिक और सामाजिक विशेषज्ञ मानते हैं कि सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने से देश में स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली में मदद मिलेगी। वहीं जेन-जी आंदोलन और स्थानीय नेताओं की भागीदारी यह संकेत देती है कि जनता की आवाज़ को भी मान्यता दी जाएगी।

नेपाल में यह संकट न केवल राजनीतिक नेतृत्व के लिए चुनौती है, बल्कि पूरे समाज और संविधानिक संस्थाओं के लिए परीक्षा की तरह है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और सेना किस प्रकार संतुलित और लोकतांत्रिक समाधान निकाल पाते हैं।