करवा चौथ 2025: अगर चांद न दिखे तो कैसे खोलें व्रत? | जानिए शास्त्रों में बताए पारंपरिक उपाय

नई दिल्ली। भारतीय संस्कृति में करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक पर्व है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक सौभाग्य के लिए निर्जला उपवास रखती हैं।

इस बार करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे तक रहेगी। इसी दिन महिलाएं पूजा-अर्चना करेंगी और चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारायण करेंगी।

लेकिन कई बार मौसम या बादलों के कारण चांद दिखाई नहीं देता, जिससे महिलाओं को व्रत खोलने में कठिनाई होती है। परंपरा और धर्मशास्त्रों के अनुसार, ऐसी स्थिति में भी व्रत का सही विधि से समापन किया जा सकता है। आइए जानते हैं — अगर करवा चौथ की रात चांद न दिखे तो व्रत कैसे खोलें और कौन-से पारंपरिक उपाय करने चाहिए।

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🌕 करवा चौथ का महत्व और चंद्रमा की पूजा का कारण

करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है।
चंद्र देव को शांति, समृद्धि और वैवाहिक सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
उनकी उपासना से मानसिक संतुलन, शांति और जीवन में सौहार्द बना रहता है।

वैदिक मान्यता है कि चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने से पति की आयु बढ़ती है, और पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है।
इसी कारण करवा चौथ की पूजा में चंद्रमा को जल अर्पित कर ही व्रत तोड़ा जाता है।


🌧️ अगर चंद्रमा बादलों में छिप जाए तो क्या करें?

कई बार करवा चौथ की रात बादल, बारिश या धुंध के कारण चांद नजर नहीं आता।
ऐसी स्थिति में महिलाएं अक्सर उलझन में रहती हैं कि क्या व्रत अधूरा रह जाएगा?
धर्मग्रंथों के अनुसार ऐसा नहीं है — आस्था और विधि से व्रत पूरा किया जा सकता है, भले चंद्र दर्शन न हो सके।

नीचे बताए गए उपाय पारंपरिक रूप से स्वीकृत हैं और शास्त्रों के अनुसार पूर्ण फलदायी माने गए हैं —


🕉️ 1. शिव मंदिर में करें अर्घ्य अर्पण

अगर चांद न दिखे तो भगवान शिव के माथे पर सुशोभित चंद्रमा को प्रतीकात्मक रूप से अर्घ्य दें।
शिव के मस्तक पर चंद्रदेव सदा विराजमान रहते हैं, इसलिए यह चंद्र अर्घ्य का वैकल्पिक रूप माना जाता है।

विधि:

  • पास के शिव मंदिर जाएं।
  • भगवान शिव के शिवलिंग या मूर्ति के माथे पर जल, दूध या अर्घ्य अर्पित करें।
  • “ॐ सोमाय नमः” मंत्र का 11 बार जप करें।
  • फिर अपने पति का स्मरण करते हुए व्रत खोलें।

यह विधि करवा चौथ व्रत के समान पुण्यफल प्रदान करती है।


🌙 2. चांदी के सिक्के से करें प्रतीकात्मक पूजा

अगर मंदिर जाना संभव न हो तो घर में ही चांदी के सिक्के या गोल चांदी के टुकड़े को चंद्रमा का प्रतीक मानें।
चांदी चंद्रदेव का शुभ धातु मानी जाती है, इसलिए यह विधि पूर्णतः वैध और धार्मिक दृष्टि से स्वीकार्य है।

विधि:

  • पूजा थाली में चांदी का सिक्का रखें।
  • दीप जलाएं और उसी दिशा में अर्घ्य दें, जिधर चंद्रमा का उदय होना चाहिए।
  • मन ही मन चंद्रदेव का स्मरण करें और प्रार्थना करें —
    “शांति, सौभाग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्रदान करें।”
  • पति की आरती उतारकर व्रत खोलें।
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🪔 3. चंद्रमा की दिशा में करें ध्यान और मंत्र जाप

अगर बादलों में चांद की झलक नहीं मिल रही, तो उस दिशा में ध्यान केंद्रित करें जहां चंद्रमा का उदय होता है
उस ओर देखते हुए “ॐ चंद्राय नमः” का 108 बार जाप करें।
इससे वही फल मिलता है जो प्रत्यक्ष चंद्र दर्शन से मिलता है।


💫 4. पति के दर्शन से भी पूरा होता है व्रत

कई परंपराओं में यह भी माना जाता है कि पति को देखकर जल पीना चंद्र दर्शन का ही प्रतीक है।
अगर चंद्रमा न दिखे, तो पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत खोलने की भी परंपरा है।
इसे ‘सांकेतिक चंद्र दर्शन’ कहा गया है, जो पूर्ण धार्मिक मान्यता रखता है।


📜 वैदिक समय और मुहूर्त 2025 के लिए

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 9 अक्टूबर, रात 10:54 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर, शाम 7:38 बजे
  • चंद्रोदय का अनुमानित समय: रात्रि 8:07 से 8:25 बजे के बीच (क्षेत्र अनुसार परिवर्तनशील)

महिलाएं इन समयों के अनुसार पूजा और व्रत पारायण का संकल्प पूरा कर सकती हैं।


💖 करवा चौथ का भाव — प्रेम और आस्था का संगम

करवा चौथ का असली अर्थ केवल व्रत रखना नहीं, बल्कि अपने जीवनसाथी के प्रति अटूट निष्ठा और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है।
इस दिन महिलाएं पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर अपने पतियों की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं।

संध्या के समय सुहागनें सोलह श्रृंगार करती हैं, करवा पूजन करती हैं और चंद्र उदय पर अपने पतियों के साथ पूजा संपन्न करती हैं।
व्रत के अंत में पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ना वैवाहिक प्रेम का सबसे सुंदर क्षण माना जाता है।


🌼 धार्मिक दृष्टि से करवा चौथ के संदेश

  • त्याग में शक्ति है: भूखे-प्यासे रहना केवल तप नहीं, बल्कि प्रेम का सबसे सुंदर रूप है।
  • श्रद्धा से सिद्धि: चंद्रमा दिखे या न दिखे — सच्ची श्रद्धा से किया गया व्रत सदैव फलदायी होता है।
  • परिवार में सौहार्द: यह पर्व केवल पति-पत्नी का नहीं, बल्कि पूरे परिवार के एक साथ होने का प्रतीक है।

अगर करवा चौथ की रात चांद बादलों में छिप जाए, तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
भगवान शिव के चंद्र रूप को अर्घ्य देना, चांदी के प्रतीक की पूजा करना या पति के दर्शन के साथ व्रत खोलना — ये सभी विधियां शास्त्रसम्मत और फलदायी हैं।

आस्था का सार यही है कि भावना सबसे बड़ी पूजा है।
इस करवा चौथ, अगर आकाश में चंद्रमा छिप जाए, तो भी दिल में चांद ज़रूर चमकेगा। 🌙