October 15, 2025 9:55 PM

करूर भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सीबीआई जांच के आदेश, पूर्व न्यायाधीश अजय रस्तोगी रखेंगे निगरानी

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  • टीवीके की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने जताई चिंता, कहा – जनता का भरोसा कायम रखना जरूरी है

नई दिल्ली। तमिलनाडु के करूर में अभिनेता-राजनेता विजय की पार्टी टीवीके (तमिऴगा वेत्रि कझगम) की रैली के दौरान हुई भगदड़ की घटना पर अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वतन्त्र और निष्पक्ष जांच के आदेश दे दिए हैं। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपते हुए कहा कि घटना की पूरी सच्चाई सामने आनी चाहिए ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके और जनता का भरोसा बरकरार रहे। यह आदेश उस याचिका पर सुनाया गया जिसे टीवीके पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था। पार्टी ने अदालत से मांग की थी कि इस पूरे मामले की जांच किसी पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की निगरानी में कराई जाए, क्योंकि तमिलनाडु पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) पर जनता का विश्वास नहीं है।


पूर्व न्यायाधीश अजय रस्तोगी को निगरानी समिति का प्रमुख बनाया गया

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए पूर्व न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी को सीबीआई जांच की निगरानी समिति का प्रमुख नियुक्त किया है। यह समिति जांच की प्रगति पर नजर रखेगी और समय-समय पर रिपोर्ट अदालत में पेश करेगी। याचिका में टीवीके के महासचिव आधव अर्जुना ने कहा था कि भगदड़ की घटना केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि संभवतः पूर्व नियोजित साजिश का परिणाम हो सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाओं की सच्चाई सामने लाने के लिए एक स्वतंत्र जांच एजेंसी का हस्तक्षेप आवश्यक है।


मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को दी चुनौती

इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने इस घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, लेकिन टीवीके पार्टी ने इस फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस और जांच दल पर निष्पक्ष जांच का भरोसा नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “ऐसे मामलों में जहां सार्वजनिक भावना और राजनीतिक पक्ष जुड़े हों, वहां स्वतंत्र एजेंसी द्वारा निगरानी में जांच होना न्यायिक पारदर्शिता के लिए अनिवार्य है।”


भगदड़ के बाद विवादों की बाढ़, कई नेताओं पर एफआईआर

रैली के दौरान हुई भगदड़ में कई लोगों की जान चली गई थी और दर्जनों घायल हो गए थे। इसके बाद करूर पुलिस ने टीवीके के कई वरिष्ठ नेताओं पर एफआईआर दर्ज की। इनमें पार्टी के करूर (उत्तर) जिला सचिव माधियाझगन, जनरल सेक्रेटरी बसी आनंद और संयुक्त महासचिव सीटीआर निर्मल कुमार शामिल हैं।

पुलिस ने इन पर हत्या, हत्या के प्रयास, और जनसुरक्षा को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस का कहना है कि घटना के समय किसी भी प्रकार की खुफिया चूक नहीं हुई, बल्कि रैली के आयोजन में अव्यवस्था और भीड़ प्रबंधन की कमी ही हादसे का कारण बनी।


रैली में भारी भीड़ और अव्यवस्था बनी हादसे की वजह

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, टीवीके ने इस रैली के लिए 10,000 लोगों की अनुमति मांगी थी, लेकिन कार्यक्रम स्थल पर लगभग 25,000 लोग पहुंच गए। मंच और रास्तों पर भीड़ इतनी अधिक हो गई कि कई लोग घंटों तक फंसे रहे।

जब अभिनेता विजय देर से रैली स्थल पर पहुंचे, तब भीड़ ने आगे बढ़ने की कोशिश की, जिससे भगदड़ मच गई। पुलिस ने कहा कि पार्टी ने रैली के दौरान पर्याप्त पानी, सुरक्षा कर्मी और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराईं। साथ ही, अनुमति की शर्तों का पालन भी नहीं किया गया।


टीवीके का पक्ष – साजिश और राजनीतिक उद्देश्य

टीवीके के नेताओं ने आरोप लगाया कि यह पूरी घटना “पूर्व नियोजित साजिश” हो सकती है ताकि पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाया जा सके। उनका कहना है कि रैली में प्रशासन ने पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं की, जबकि अनुमति पूर्व में दी जा चुकी थी। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि जांच केवल राज्य पुलिस तक सीमित न रहे, क्योंकि इससे “निष्पक्षता पर प्रश्न” खड़ा हो सकता है।


सीबीआई अब करेगी स्वतंत्र जांच

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सीबीआई इस पूरे मामले की जांच अपने हाथ में लेगी। एजेंसी यह पता लगाएगी कि भगदड़ किन परिस्थितियों में हुई, क्या आयोजकों ने सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया, और क्या किसी प्रकार की साजिश या राजनीतिक उद्देश्य इस हादसे के पीछे छिपे थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को इस मामले में हर तीन महीने में प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, और निगरानी समिति (पूर्व न्यायमूर्ति रस्तोगी के नेतृत्व में) उसकी समीक्षा करेगी।


न्यायालय का सख्त रुख: जनता का भरोसा सर्वोपरि

अदालत ने अपने आदेश में कहा, “इस प्रकार की घटनाएं न केवल प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण हैं, बल्कि यह जनता के जीवन और विश्वास पर भी सीधा प्रहार करती हैं। इसलिए जांच पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह होनी चाहिए।” अदालत ने तमिलनाडु सरकार को भी निर्देश दिया है कि वह सीबीआई को जांच में पूर्ण सहयोग दे और आवश्यक दस्तावेज, वीडियो और गवाहों की जानकारी तत्काल उपलब्ध कराए।

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