भक्ति, संयम और पुण्य का अद्भुत संगम है कार्तिक मास
कार्तिक मास 2025: क्या करें, क्या न करें – जानिए पूजा विधि, नियम और उपाय
कार्तिक मास हिन्दू पंचांग का वह महीना है जिसे “सभी महीनों का श्रेष्ठ” कहा गया है। शास्त्रों में इसे भगवान श्रीहरि विष्णु का प्रिय महीना बताया गया है। यह महीना न केवल पूजा, व्रत और दान के लिए पवित्र है, बल्कि आत्मशुद्धि और भक्ति के उत्कर्ष का अवसर भी है। कार्तिक मास को दामोदर मास भी कहा जाता है — क्योंकि इसी मास में माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण को रस्सी से बांधा था, जो उनके बाल स्नेह और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
🌸 कार्तिक मास का आध्यात्मिक महत्व
स्कंद पुराण, पद्म पुराण और भागवत महापुराण में कार्तिक मास के महत्व का विस्तार से वर्णन मिलता है। शास्त्र कहते हैं —
“कार्तिकं नाम मासानां सर्वपापप्रणाशनम्।” अर्थात्, कार्तिक मास पापों का नाश करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला महीना है।
यह महीना दीपदान, हरिनाम संकीर्तन, तुलसी पूजा, स्नान, ब्रह्मचर्य और भक्ति साधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इस मास में जो व्यक्ति नियमपूर्वक स्नान, दान, दीपदान और हरिनाम जप करता है, वह करोड़ों यज्ञों के फल का अधिकारी बनता है।
🪔 दामोदर लीला से मिलने वाला संदेश
श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णन आता है कि जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को मक्खन चोरी करते पकड़ लिया, तब उन्होंने उन्हें रस्सी से बाँधने का प्रयास किया। हर बार रस्सी थोड़ी छोटी पड़ जाती, पर जब माता का हृदय प्रेम से भर गया, तब ही वह रस्सी भगवान के उदर से बंधी। यह लीला सिखाती है कि भगवान को केवल प्रेम और भक्ति से ही बांधा जा सकता है, नियमों से नहीं। इसी कारण इस मास को “दामोदर मास” कहा गया — दाम (रस्सी) + उदर (पेट)।
🌅 कार्तिक मास में क्या करें — मुख्य नियम और आचरण
कार्तिक मास में आचरण का विशेष महत्व है। यह सिर्फ व्रत या उपवास का महीना नहीं, बल्कि संयम और साधना का काल है। नीचे बताए गए नियमों का पालन करने से इस मास का पूर्ण फल प्राप्त होता है—
🧘♀️ 1. ब्रह्ममुहूर्त में स्नान
प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी, सरोवर या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्नान के बाद भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण का ध्यान करें।
स्नान के समय यह मंत्र जपें —
“ॐ दामोदराय नमः।”
🪔 2. दीपदान का विशेष महत्व
कार्तिक मास में प्रत्येक संध्या तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलाएं।
तेल या घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु, लक्ष्मी और तुलसी माता की आराधना करें।
शास्त्र कहते हैं कि कार्तिक में दीपदान करने से अंधकार रूपी पाप नष्ट होते हैं।
🌿 3. तुलसी पूजा करें
कार्तिक मास में तुलसी माता की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है।
तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय बताकर कहा गया है —
“तुलस्या वल्ली निकटं हरिर्नित्यं वसति।”
प्रतिदिन तुलसी के पौधे के चारों ओर दीपक जलाकर परिक्रमा करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करें।
🍛 4. सात्त्विक आहार और संयम
इस महीने में लहसुन, प्याज, मांस, शराब, तंबाकू, अंडा आदि का सेवन न करें।
सात्त्विक भोजन करें — फल, दूध, खिचड़ी, दाल और फलाहार प्रधान हो।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन, वाणी और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
📿 5. हरिनाम जप और सत्संग
कार्तिक मास में भगवान श्रीहरि के नामों का कीर्तन, जप और भजन करना सर्वोच्च फलदायी है।
“हरे कृष्ण, हरे राम” महा मंत्र का जप विशेष रूप से शुभ है।
इस महीने हर दिन भगवान विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र, गोविंदाष्टक या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
🌕 कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक मास का समापन कार्तिक पूर्णिमा को होता है, जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा या देव दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। गंगा तटों पर दीपदान का विशेष महत्व है —
इस दिन गंगा स्नान, दीपदान, दान-पुण्य, और हरिनाम कीर्तन करने से अनेक जन्मों के पाप नष्ट होते हैं।
काशी में इस दिन दीपोत्सव देखने हजारों भक्त आते हैं।
🌺 कार्तिक मास में करने योग्य प्रमुख कार्य
एक समय भोजन या फलाहार व्रत रखें।
श्रीहरि विष्णु और तुलसी माता की प्रतिदिन पूजा करें।
शास्त्रों का पाठ करें — विशेषकर श्रीमद्भागवत और गीता।
धन प्राप्ति के लिए — कार्तिक मास की प्रत्येक संध्या लक्ष्मी जी के नाम से दीपक जलाएं।
स्वास्थ्य लाभ के लिए — तुलसी दल और गंगाजल का सेवन करें।
विवाहिक सुख के लिए — कार्तिक मास में हर सोमवार शिव पार्वती की पूजा करें।
संतान प्राप्ति के लिए — कार्तिक एकादशी को व्रत रखें और श्रीहरि का नाम जपें।
मोक्ष की कामना के लिए — कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि गंगा तट या मंदिर में दीपदान करें।
🙏 निष्कर्ष : कार्तिक मास आत्मशुद्धि का पर्व
कार्तिक मास भक्ति, दया, संयम और आत्मजागृति का महीना है। इस दौरान व्यक्ति यदि थोड़ा भी समय ईश्वर भक्ति, ध्यान और सेवा में लगाता है, तो उसके जीवन के सभी दोष शांत होते हैं और मन में आनंद और शांति का प्रकाश फैलता है। जैसा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कहा —
“जो कार्तिक में एक दीप भी जलाता है, वह मेरे अनंत लोक में स्थान पाता है।”
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