कमला हैरिस ने राजनीति से लिया संन्यास, कहा- अमेरिकी सिस्टम टूट चुका है
वॉशिंगटन। अमेरिका की पूर्व उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने राजनीति से सन्यास की घोषणा करते हुए देश के राजनीतिक तंत्र को ‘टूट चुका’ करार दिया है। ‘द लेट शो विद स्टीफन कोलबर्ट’ में दिए गए एक भावुक साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे अब भविष्य में किसी भी राजनीतिक पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगी, चाहे वह कैलिफोर्निया के गवर्नर का पद ही क्यों न हो।
“मैं अब बदलाव की ताक़त महसूस नहीं करती”
कमला हैरिस ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन के तीन दशक सार्वजनिक सेवा को समर्पित किए, लेकिन अब उन्हें लगता है कि अमेरिकी लोकतांत्रिक प्रणाली में परिवर्तन की उनकी क्षमता क्षीण हो चुकी है। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने कैलिफोर्निया का गवर्नर बनने के बारे में गंभीरता से विचार किया, लेकिन अंततः यह फैसला लिया कि अब वह किसी भी राजनीतिक पद की दौड़ में शामिल नहीं होंगी।

पॉलिटिकल सिस्टम पर तीखी टिप्पणी
अपने साक्षात्कार में कमला ने कहा, “अमेरिका का राजनीतिक तंत्र बुरी तरह से टूट चुका है। मैंने अपनी पूरी क्षमता से इस तंत्र में काम किया, लेकिन अब मुझे लगता है कि इसमें सुधार की गुंजाइश बहुत कम है।”
टीवी होस्ट स्टीफन कोलबर्ट ने जब कमला से पूछा कि इतनी सक्षम और अनुभवी शख्सियत का यह कहना चिंताजनक है कि सिस्टम ही टूटा हुआ है, तो उन्होंने जवाब दिया कि वे अब लोगों से मिलना और उनकी बातें सुनना चाहती हैं — मगर वोट मांगने के लिए नहीं, बल्कि असल समस्याओं को समझने के लिए।
किताब ‘107 डेज’ में बताया अनुभवों का लेखा-जोखा
कमला हैरिस की नई किताब ‘107 डेज’ आगामी 23 सितंबर को प्रकाशित होगी। इस किताब में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान के अपने 107 दिनों के अनुभव साझा किए हैं।
जब उनसे पूछा गया कि इन 107 दिनों में उन्हें सबसे ज़्यादा क्या चौंकाने वाला अनुभव रहा, तो उन्होंने कहा, “हर रात मैं बस यही दुआ करती थी कि मैंने अपने पूरे सामर्थ्य से काम किया हो, और लोगों की आवाज़ को सही तरह से सामने रख सकूं।”

2024 के चुनाव में ट्रम्प से हार, लेकिन लोकतंत्र की रक्षा की कोशिश
कमला हैरिस ने 2024 में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। ट्रम्प को इलेक्टोरल कॉलेज में 312 वोट मिले, जबकि हैरिस को केवल 226 वोटों से संतोष करना पड़ा।
हालांकि, इस हार के बावजूद हैरिस ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने की बात कही थी। लेकिन अब वह सक्रिय राजनीति से पूरी तरह हटने की घोषणा कर चुकी हैं।
कानूनी पेशे से राजनीति तक का सफर
कमला हैरिस ने अपने करियर की शुरुआत 1990 में एक जिला अटॉर्नी के रूप में की थी। इसके बाद वह स्टेट अटॉर्नी जनरल और फिर अमेरिका की सीनेट तक पहुंचीं।
उनकी राजनीतिक यात्रा विवादों से भी अछूती नहीं रही। 2004 में एक आपराधिक गैंग के सदस्य द्वारा एक पुलिस अधिकारी की हत्या के मामले में उन्होंने मौत की सज़ा की मांग नहीं की थी, जिससे पुलिस बल और राजनीतिक हलकों में उन्हें तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा।
हालांकि, उनका रुख स्पष्ट था — उन्होंने न्याय प्रणाली में सुधार और दंड के बजाय अपराध-निवारण को प्राथमिकता दी।

शिक्षा और पुनर्वास पर विशेष जोर
कमला हैरिस ने ‘बैक ऑन ट्रैक’ नामक कार्यक्रम शुरू किया था, जिसमें छोटे अपराधों में सज़ा पाए युवाओं को शिक्षा और नौकरी की ट्रेनिंग दी जाती थी, ताकि वे मुख्यधारा की जिंदगी जी सकें।
इसके अलावा उन्होंने ‘ट्रूएंसी’ यानी बच्चों के स्कूल न जाने के अपराध पर भी कठोर रुख अपनाया। हालांकि, इससे उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी, क्योंकि इसके तहत काले माता-पिता को disproportionately दंडित किया गया। लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि इस कानून के बाद स्कूली उपस्थिति में 33% की बढ़ोतरी हुई।
अब समाज के साथ संवाद की तैयारी
राजनीति से सन्यास लेने के बाद कमला हैरिस अब देशभर में आम नागरिकों से मिलेंगी, लेकिन यह मुलाकातें किसी चुनावी प्रचार के लिए नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं और समस्याओं को सुनने के उद्देश्य से होंगी।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब उनका ध्यान सामाजिक संवाद पर रहेगा, न कि किसी पद या अधिकार की दौड़ पर।
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