कैलाश खेर की प्रेरक कहानी: संघर्ष, आत्महत्या के विचार और फिर सुरों की दुनिया में सफलता


नई दिल्ली। एक लड़का था — 12 साल की उम्र में घर छोड़कर निकल पड़ा। जेब में पैसे नहीं, सिर पर छत नहीं, लेकिन दिल में एक आवाज़ थी जो कहती थी— कुछ बड़ा करना है।

वही लड़का आज 21 भाषाओं में 2000 से ज्यादा गाने गा चुका है, पूरी दुनिया में अपने सुरों से तहलका मचा चुका है। वो लड़का है — कैलाश खेर

पर यह कहानी ग्लैमर और चकाचौंध की नहीं, यह कहानी है आंसुओं, असफलताओं, और आत्महत्या तक के विचारों से लौटने की।

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🎧 "अल्लाह के बंदे" बनने से पहले, खुद से ही जंग थी

कैलाश खेर का सफर किसी फिल्म की स्क्रिप्ट जैसा लगता है — लेकिन ये हकीकत है।

कभी ट्रक ड्राइवर, कभी दर्जी, कभी 150 रुपए में ट्यूशन टीचर बने। खाने तक के पैसे नहीं थे। साल भर प्रिंटिंग प्रेस में काम किया और बदले में कुछ नहीं मिला।

जब बिजनेस किया, वो भी डूब गया। जब पंडित बनने ऋषिकेश गए, वहां 21 की उम्र में 9 साल के बच्चों के साथ क्लास में बैठे — और कॉम्प्लेक्स इतना गहरा हो गया कि आत्महत्या का ख्याल आया।

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🔥 "मैं हर जगह हार रहा था… पर मेरी आत्मा नहीं हारी"

कैलाश कहते हैं — "मुझे लगा अब जीवन लीला समाप्त कर लेनी चाहिए… लेकिन किसी को क्या पता, सबसे गहरी रात के बाद ही सबसे उजला सवेरा आता है।"

और वो सवेरा आया ‘अल्लाह के बंदे’ से। फिर उनकी आवाज़ ने लोगों के दिलों को छूना शुरू किया। नेशनल अवॉर्ड, पद्मश्री, और लाखों-करोड़ों चाहने वाले… सब उनके कदमों में थे।

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🧿 लेकिन जब सफलता आई, तो आरोपों की परछाईं भी साथ आई

#MeToo मूवमेंट के दौरान कैलाश खेर का नाम विवादों में आया। कुछ महिलाओं ने उन पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाए।

कैलाश की प्रतिक्रिया थी— “अगर किसी को मेरी वजह से असहजता महसूस हुई हो तो मैं माफी चाहता हूं, लेकिन मेरी नीयत कभी गलत नहीं रही।”


🌟 आज वो सिर्फ़ एक गायक नहीं, चलती-फिरती प्रेरणा हैं

कैलाश खेर ने दिखाया कि संगीत सिर्फ सुरों का मेल नहीं, यह आत्मा की पुकार है। एक लड़का जिसे ज़िंदगी ने बार-बार गिराया, आज लाखों दिलों की आवाज़ बन चुका है।

वो कहते हैं— "जिसने अंधेरे में गाना नहीं छोड़ा, वही रोशनी में गूंजता है।"


अगर आप कभी हार मानने की सोचें, तो कैलाश खेर की कहानी याद कीजिए — क्योंकि जो आदमी खुद को मिटा देने की सोच रहा था, आज पूरी दुनिया को जीने का साज दे रहा है।