मेरा हर बुनकर सोने के समान है — केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बोले, “बुनकरों की सुरक्षा और समृद्धि मेरी जिम्मेदारी”
अशोकनगर/भोपाल, 12 अक्टूबर।
केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत के बुनकर देश की संस्कृति, परंपरा और सृजनशीलता के सबसे बड़े संरक्षक हैं।
उन्होंने कहा,
“मेरा हर बुनकर सोने के समान है। आप सभी इस देश की अमूल्य धरोहर हैं और आपकी सुरक्षा व समृद्धि मेरी जिम्मेदारी है।”
सिंधिया रविवार को अशोकनगर जिले के चंदेरी तहसील स्थित हैंडलूम पार्क के दौरे पर थे। उन्होंने यहां बुनकरों से संवाद किया, उनके काम का निरीक्षण किया और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि चंदेरी की बुनाई परंपरा को सुरक्षित रखते हुए इसे आधुनिक और लाभकारी बनाया जाए।
हैंडलूम पार्क का निरीक्षण और ‘वोकल फॉर लोकल’ की मिसाल
केंद्रीय मंत्री ने इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन स्कीम (IIUS) के तहत विकसित हैंडलूम पार्क का विस्तृत निरीक्षण किया।
उन्होंने कहा कि यह केंद्र “वोकल फॉर लोकल” के सिद्धांत का जीवंत उदाहरण है, जहाँ परंपरागत हुनर आधुनिक तकनीक से मिलकर एक नई कहानी लिख रहा है।
सिंधिया ने कहा कि इस पार्क में 6,000 बुनकर सीधे तौर पर जुड़े हैं और 240 करघों पर लगातार काम चल रहा है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी बुनकरों को उनके काम का प्रत्यक्ष लाभ मिले, बिचौलियों को पूरी तरह हटाया जाए और हर परिवार की आमदनी में स्थायी वृद्धि सुनिश्चित की जाए।

“दुनिया मशीनों की ओर जा रही है, लेकिन चंदेरी के हाथ अभी भी कला रच रहे हैं”
सिंधिया ने बुनकरों से बातचीत के दौरान कहा,
“पूरी दुनिया मशीनों की ओर भाग रही है, लेकिन चंदेरी के बुनकर अभी भी हाथों से कला गढ़ रहे हैं। यह सिर्फ वस्त्र नहीं, बल्कि संस्कृति की कहानी है। जो डिज़ाइन और गुणवत्ता आप लोग तैयार करते हैं, वह पूरी दुनिया में कहीं और नहीं मिलती। इसलिए इसका मूल्य और मांग दोनों बढ़ेंगे।”
उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि चंदेरी बुनाई को न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई जाए।

बुनकरों की आय और उत्पादन का मूल्यांकन जरूरी
सिंधिया ने बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि हैंडलूम पार्क की योजना का व्यावहारिक मूल्यांकन किया जाए —
कि इससे बुनकरों को कच्चे माल की खरीद, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन में कितना वास्तविक लाभ मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि केवल योजनाएं बनाना पर्याप्त नहीं, बल्कि उनका असर जमीन पर दिखना चाहिए।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि चंदेरी उत्पादों की शुद्धता और मौलिकता हर हाल में बनी रहनी चाहिए।
“कभी भी मिलावट न हो, क्योंकि चंदेरी की पहचान उसकी पवित्रता है,”
उन्होंने जोर देकर कहा।
डिजिटल इंडिया से जुड़ने की अपील — “हर बुनकर की अपनी वेबसाइट बने”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश डिजिटल युग में प्रवेश कर चुका है, इसलिए बुनकरों को भी डिजिटल मंचों का उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने कहा,
“अब बिचौलियों के जमाने को खत्म होना चाहिए। हर बुनकर को अपनी वेबसाइट बनानी चाहिए, ताकि वे सीधे ग्राहकों तक पहुंच सकें।”
उन्होंने सुझाव दिया कि फैब इंडिया, रॉ मैंगो और अन्य प्रसिद्ध डिजाइन हाउसों के दफ्तर चंदेरी में स्थापित किए जाएं, ताकि बुनकरों से सीधा व्यापारिक संपर्क बढ़े।
हैंडलूम पार्क में बुनकरों के लिए बेहतर सुविधाओं के निर्देश
सिंधिया ने पार्क का निरीक्षण करते हुए कहा कि यहाँ बुनकरों के लिए मानवीय सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए।
उन्होंने निर्देश दिया कि बुनकरों के लिए एक आराम कक्ष, उनके बच्चों के लिए अलग कमरा, और महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि हैंडलूम पार्क में मौजूद 240 करघों में से कम से कम 120 करघे महिला बुनकरों को दिए जाएं, ताकि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिले।
सिंधिया ने यह भी निर्देश दिए कि वीवर सर्विस सेंटर का एक कार्यालय चंदेरी में स्थापित किया जाए, जो फिलहाल केवल इंदौर में है, ताकि बुनकरों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण यहीं मिल सके।
युवा बुनकरों से संवाद — बीएससी ग्रेजुएट शशांक बने मिसाल
दौरे के दौरान सिंधिया ने बीएससी स्नातक बुनकर शशांक से भी बातचीत की, जिसने पिछले तीन वर्षों में 100 से अधिक चंदेरी साड़ियाँ बनाकर 3 लाख रुपये से अधिक की कमाई की है।
सिंधिया ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि ऐसे युवा बुनकरों की सफलता नई पीढ़ी को इस परंपरा से जोड़ने में प्रेरणा बनेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह के नवाचारी बुनकरों को राष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित करने की दिशा में भी कदम उठाएगी।
फतेहाबाद में 2.08 करोड़ रुपये के विद्युत उपकेंद्र का शिलान्यास
दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री ने चंदेरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम फतेहाबाद में 2.08 करोड़ रुपये की लागत से बने 5 एमवीए क्षमता वाले 33/11 केवी उपकेंद्र का शिलान्यास किया।
उन्होंने इसे क्षेत्र की स्थायी और निर्बाध बिजली आपूर्ति की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया।
यह उपकेंद्र चंदेरी नगर के वार्ड 18, 19, 21 और 10 आस-पास के गांवों — तगारी, बांकलपुर, हलनपुर, बराई, मोहनपुर खुर्द, भोजपुर, दविया, गुडावली, देवलखों और पछताना — के 10,800 लोगों को सीधा लाभ देगा।
उन्होंने कहा,
“पहले यह क्षेत्र चंदेरी उपकेंद्र से बिजली लेता था, जो 4.5 किलोमीटर दूर था। अब नया उपकेंद्र शुरू होने से ओवरलोडिंग, कटौती और लो-वोल्टेज की समस्या खत्म हो जाएगी।”
सिंधिया ने इस परियोजना को क्षेत्र के किसानों, विद्यार्थियों और व्यापारियों के लिए “विकास की नई रोशनी” बताया और लोगों से बिजली का सदुपयोग और बचत करने की अपील की।
बुनकरी और विकास, दोनों को साथ लेकर चलने की दिशा में कदम
केंद्रीय मंत्री सिंधिया का यह दौरा सिर्फ निरीक्षण नहीं, बल्कि एक दिशा निर्धारण था — जिसमें बुनकरी को रोजगार, सम्मान और आत्मनिर्भरता से जोड़ा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि चंदेरी की बुनाई भारत की आत्मा की कहानी है, और सरकार इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
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