भोपाल/उज्जैन। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि इस वर्ष दो दिन – 10 और 11 जून 2025 को पड़ रही है। यह दिन धार्मिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक सौभाग्य से जुड़ा अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इस अवसर पर वट सावित्री व्रत, गंगा स्नान, पितृ तर्पण, और भगवान सत्यनारायण की पूजा करने की परंपरा है। देशभर में विशेषकर सुहागिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं श्रद्धालु पुण्य-स्नान कर मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं।
दो दिन रहेगी पूर्णिमा, क्यों है खास?
ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार पूर्णिमा तिथि 10 जून की शाम से प्रारंभ होकर 11 जून शाम तक रहेगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा अवतरित हुई थीं और पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं। इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना या गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करना पुण्यदायक माना गया है।

🌳 वट सावित्री व्रत: सुहाग का प्रतीक पर्व
इस दिन सुहागिन महिलाएं वटवृक्ष (बरगद) की पूजा करती हैं। कच्चा सूत लपेटकर वृक्ष की परिक्रमा की जाती है और सत्यवान-सावित्री की कथा सुनी जाती है। मान्यता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लेकर आयीं थीं, इसलिए इस व्रत को पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और अखंड सौभाग्य के लिए किया जाता है।

🌊 गंगा स्नान और पितृ तर्पण का महत्व
- इस दिन प्रात:काल नदी, सरोवर या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- पितरों की शांति के लिए कंडे के अंगारों पर गुड़-घी चढ़ाकर धूप-ध्यान करें।
- हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से तर्पण करें, जिससे पितृ तृप्त होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
🪔 भगवान सत्यनारायण की कथा
पूर्णिमा पर सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा सुनना अत्यंत फलदायक होता है। यह व्रत सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है और परिवार में समृद्धि और आनंद लाता है।
🕉️ अन्य धार्मिक उपाय
- इस दिन शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति और सौभाग्य बढ़ता है।
- दान-पुण्य करें – जल, छाता, कपड़े, चप्पल, अन्न, पंखा, मटका आदि का दान करें।
- किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगवाना, गरीबों को भोजन कराना, अत्यंत पुण्यदायक होता है।

📿 ज्येष्ठ पूर्णिमा से जुड़े प्रमुख तीर्थ स्नान स्थल
हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी, ऊंकारेश्वर, उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर, नासिक आदि में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। जहां संभव न हो वहां घर पर गंगाजल स्नान करें।

🌟 इस पूर्णिमा का आध्यात्मिक संदेश
- वटवृक्ष को ब्रह्मा, विष्णु, महेश का संयुक्त स्वरूप माना जाता है।
- इस दिन किए गए पुण्यकर्म आजीवन फलदायी होते हैं और वंश में समृद्धि आती है।
- पूर्णिमा की रात ध्यान और मंत्र जाप विशेष फलदायक होता है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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