दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले से 15 करोड़ रुपये कैश मिलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना का 65 सेकेंड का एक वीडियो जारी किया है, जिसमें नोटों से भरी बोरियां दिखाई दे रही हैं। इस मामले की जांच के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है।
कैसे हुआ कैश का खुलासा?
घटना 14 मार्च की बताई जा रही है। उस दिन दिल्ली में स्थित जस्टिस वर्मा के बंगले में आग लगने की सूचना पर फायर ब्रिगेड की टीम वहां पहुंची थी। आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मचारियों ने जब बंगले का निरीक्षण किया, तो उन्हें वहां नोटों से भरी कई बोरियां मिलीं। शुरुआती जांच में यह रकम लगभग 15 करोड़ रुपये आंकी गई है।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
मामले की गंभीरता को देखते हुए, CJI ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को किसी भी प्रकार का न्यायिक कार्य न सौंपने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, उनके मोबाइल फोन की भी जांच के आदेश दिए गए हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस मामले से जुड़ी कोई अन्य संदिग्ध जानकारी सामने आ सकती है या नहीं।
जस्टिस वर्मा का बयान
इस मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि जब यह घटना घटी, उस समय वे अपने घर में मौजूद नहीं थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें इस पूरे मामले में फंसाने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा जताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
आगे क्या?
अब जांच कमेटी इस पूरे मामले की छानबीन करेगी और अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। यदि इस मामले में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है, तो जस्टिस वर्मा पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा।
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