प्रयागराज।
दिल्ली में चर्चित नकदी कांड से जुड़े न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में हुए शपथ ग्रहण को लेकर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में भारी असंतोष देखा गया। एसोसिएशन ने इस पूरी प्रक्रिया को “गैर-पारंपरिक और अविधिक” करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है।
बार एसोसिएशन के सचिव विक्रांत पांडेय की ओर से मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजकर कहा गया है कि न्यायमूर्ति वर्मा के शपथ ग्रहण की कोई पूर्व सूचना न तो बार को दी गई और न ही अधिकांश न्यायाधीशों को। पत्र में उल्लेख है कि यह प्रक्रिया न केवल अपारदर्शी थी बल्कि न्यायपालिका की परंपराओं के विपरीत भी थी।
बिना सूचना के हुआ शपथ ग्रहण, बार एसोसिएशन ने जताई नाराज़गी
सचिव पांडेय ने अपने पत्र में कहा कि शपथ ग्रहण का आयोजन पूरी तरह गोपनीय तरीके से किया गया, जिसकी जानकारी न तो वकीलों को थी, न ही हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीशों को। इसे “अस्वीकार्य और न्यायिक मर्यादा के प्रतिकूल” बताया गया है।
एसोसिएशन ने अपने पत्र में यह भी आग्रह किया है कि न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक या प्रशासनिक कार्य न सौंपा जाए, जब तक इस पूरे मामले पर उच्च स्तरीय विचार न हो।
प्रधानमंत्री से लेकर कानून मंत्री तक को भेजी गई कॉपी
इस विवाद को गंभीरता से लेते हुए, बार एसोसिएशन ने इस पत्र की प्रति देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, केंद्रीय कानून मंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और लखनऊ बेंच के सभी न्यायाधीशों को भी भेज दी है। यह कदम दर्शाता है कि वकीलों में इस निर्णय को लेकर कितना गहरा असंतोष व्याप्त है।
पहले ही पारित हो चुका था बहिष्कार का प्रस्ताव
गौरतलब है कि बीते सप्ताह ही इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें निर्णय लिया गया था कि वकील जस्टिस वर्मा के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करेंगे। अब जबकि शपथ ग्रहण गोपनीय तरीके से हो गया, इस कदम को एसोसिएशन ने संस्थागत अपमान के रूप में लिया है।
इस घटनाक्रम ने न्यायिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और मर्यादा को लेकर नई बहस छेड़ दी है, जिसका असर आने वाले समय में व्यापक स्तर पर देखने को मिल सकता है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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