- तीन सदस्यीय जांच समिति में होंगे सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के न्यायाधीश और एक वरिष्ठ कानूनविद
नई दिल्ली। जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश बरामदगी मामले में केंद्र सरकार ने अब उच्चस्तरीय जांच की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केंद्र एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करेगा, जो जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करेगी। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, किसी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक वरिष्ठ व प्रतिष्ठित कानूनविद को शामिल किया जाएगा। समिति का मुख्य कार्य इन आरोपों की गहन जांच करना और रिपोर्ट सौंपना होगा, जो आगे की कार्रवाई का आधार बनेगी। यह कदम सुप्रीम कोर्ट की ‘इन-हाउस’ जांच समिति की उस रिपोर्ट के बाद उठाया जा रहा है, जिसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था। जांच में सामने आया था कि उनके आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी।
CJI गवई ने खुद को सुनवाई से किया अलग
इस मामले की संवेदनशीलता और पूर्व जुड़ाव को देखते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया है। बुधवार को सुनवाई के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पहले से इस प्रकरण से जुड़े रहे हैं, ऐसे में उनकी भागीदारी उचित नहीं होगी।
जस्टिस वर्मा ने दी सफाई, कहा- नकदी मिलने से दोष सिद्ध नहीं होता
उधर, 18 जुलाई को जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने ‘इन-हाउस’ जांच रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने तर्क दिया कि उनके आवास परिसर के बाहरी हिस्से से नकदी मिलने मात्र से यह सिद्ध नहीं होता कि वह उनकी है या उनकी जानकारी में वहां रखी गई थी। उन्होंने याचिका में यह भी कहा कि इन-हाउस समिति ने यह स्पष्ट नहीं किया कि नकदी किसकी है और वह परिसर में कैसे पहुंची। ऐसे में उन्हें दोषी ठहराना उचित नहीं है। जस्टिस वर्मा का कहना है कि जांच प्रक्रिया में उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया और निष्कर्ष एकतरफा निकाले गए।
न्यायपालिका की साख पर सवाल
यह मामला अब केवल एक न्यायाधीश पर लगे आरोपों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इससे पूरी न्यायपालिका की साख और पारदर्शिता पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं। कैश कांड जैसी घटनाएं न्यायिक प्रणाली में लोगों के विश्वास को डगमगाने का काम कर सकती हैं। ऐसे में केंद्र द्वारा जांच समिति का गठन एक जरूरी कदम माना जा रहा है।
आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
जांच समिति के गठन के बाद जस्टिस वर्मा से जुड़े सभी दस्तावेज, इन-हाउस रिपोर्ट और अन्य सबूतों की जांच की जाएगी। समिति को यह अधिकार भी हो सकता है कि वह संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ करे और परिस्थिति की गहराई से पड़ताल कर सके। समिति की रिपोर्ट को आधार बनाकर ही आगे महाभियोग की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जा सकेगा।