रांची। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने मंगलवार, 23 जुलाई को झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने राजभवन में आयोजित सादे लेकिन गरिमामय समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

न्यायमूर्ति चौहान का यह कार्यभार झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्रन के त्रिपुरा उच्च न्यायालय स्थानांतरण के बाद हुआ है। तरलोक चौहान अपने परिजनों के साथ एक दिन पूर्व ही रांची पहुंच गए थे।

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कानून के क्षेत्र में तीन दशकों का अनुभव

न्यायमूर्ति चौहान का जन्म 9 जनवरी 1964 को शिमला जिले के रोहड़ू में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से प्राप्त की, जहां वे विद्यालय के हेड बॉय (स्कूल कैप्टन) भी रहे। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ से ऑनर्स के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी की तथा पंजाब विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की।

वर्ष 1989 में वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद वे प्रख्यात वरिष्ठ अधिवक्ता लाला छबील दास के चैंबर से जुड़े। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में अपनी वकालत के दौरान उन्होंने दीवानी, फौजदारी, संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों सहित सभी क्षेत्रों में गहरी पकड़ बनाई। उनकी न्यायिक दृष्टि और कानूनी विशेषज्ञता ने उन्हें एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश के रूप में स्थापित किया।

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हिमाचल हाईकोर्ट में निभाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए जस्टिस तरलोक चौहान ने दो बार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी भी निभाई है। उनके नेतृत्व में न्यायिक प्रक्रिया को गति मिली और कई महत्वपूर्ण मामलों में न्याय की निष्पक्ष व्याख्या हुई। झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति को विधिक क्षेत्र में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

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परिवार सहित पहुंचे रांची, अधिवक्ताओं में उत्साह

न्यायमूर्ति चौहान के रांची आगमन पर न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ता समुदाय में उत्साह देखा गया। उन्होंने सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट पहुंचकर न्यायाधीशों से अनौपचारिक भेंट की थी। अब मुख्य न्यायाधीश के रूप में वे झारखंड की न्यायिक व्यवस्था को नई दिशा देने में जुटेंगे।



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