October 26, 2025 12:48 AM

हिसार के सपूत जस्टिस सूर्यकांत बनेंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, गांव पेटवाड़ में जश्न का माहौल

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हिसार के सपूत जस्टिस सूर्यकांत बनेंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, गांव पेटवाड़ में दोहरी दिवाली की खुशी

हरियाणा को पहली बार मिलेगा देश के सर्वोच्च न्यायालय का नेतृत्व, गांव में दोहरी दिवाली की खुशी

हिसार। हरियाणा और विशेषकर हिसार जिले के गांव पेटवाड़ के लिए यह गर्व का क्षण है। गांव के सपूत जस्टिस सूर्यकांत को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) नियुक्त किया गया है। वे मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई के सेवानिवृत्त होने के बाद 23 नवंबर 2025 को पदभार ग्रहण करेंगे और 9 फरवरी 2027 तक देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर कार्यरत रहेंगे।

जैसे ही यह खबर गांव पहुंची, पेटवाड़ सहित पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने मिठाई बाँटी, पटाखे फोड़े और जस्टिस सूर्यकांत के परिवार के घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। लोग कह रहे हैं — “हमारे गांव का बेटा अब देश के न्याय की कुर्सी संभालेगा।

दिवाली के बाद दूसरी दिवाली का उत्सव

गांव पेटवाड़ में इस बार दिवाली कुछ खास है। लोग कह रहे हैं कि “एक दिवाली भगवान की थी, दूसरी हमारे सूर्यकांत की।” कुछ दिन पहले ही जस्टिस सूर्यकांत अपने पैतृक गांव आए थे और यहां अपने बचपन की यादें ताजा की थीं। वे अपने पुराने घर गए, जहाँ उनका जन्म हुआ था, और उस प्राथमिक स्कूल में भी गए जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत की थी।

गांव के सरपंच सतबीर सिंह ने बताया, “जब भी वे गांव आते हैं, हर व्यक्ति से बड़े अपनापन से मिलते हैं। उनका स्वभाव बहुत सादा और सौम्य है। गांव में किसी को भी यह नहीं लगता कि वे देश के इतने बड़े पद पर हैं।”

परिवार में खुशी का माहौल

जस्टिस सूर्यकांत के बड़े भाई मास्टर ऋषिकांत ने कहा कि उनके छोटे भाई के भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने से न केवल परिवार बल्कि पूरे हरियाणा का नाम रोशन हुआ है। उन्होंने कहा, “सूर्यकांत बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे। वे हमेशा विनम्र रहे और आज भी अपने गांव, अपने लोगों को नहीं भूले।”

जस्टिस सूर्यकांत के पिता मदन लाल शास्त्री अध्यापक थे और साहित्यकार भी। उन्होंने हरियाणवी भाषा में ‘रामायण’ सहित 14 पुस्तकें लिखीं। उन्हें हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘सूरदास पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। परिवार की इसी शैक्षणिक और संस्कारयुक्त पृष्ठभूमि ने सूर्यकांत को ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

एक सामान्य परिवार से लेकर सर्वोच्च न्यायपालिका तक का सफर

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हिसार जिले के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की। दसवीं तक की पढ़ाई भी उन्होंने गांव में ही की।

  • 1981 में उन्होंने राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, हिसार से स्नातक किया।
  • 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से विधि स्नातक (LLB) की डिग्री हासिल की।
  • इसके बाद उन्होंने हिसार ज़िला न्यायालय से वकालत की शुरुआत की।
  • 1985 में वे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करने लगे।

उनकी योग्यता और कानूनी समझ के कारण 7 जुलाई 2000 को उन्हें हरियाणा का सबसे युवा महाधिवक्ता (Advocate General) नियुक्त किया गया। सिर्फ कुछ महीनों बाद ही मार्च 2001 में वे वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) नामित किए गए।

न्यायिक यात्रा की ऊँचाइयाँ

जस्टिस सूर्यकांत की न्यायिक यात्रा प्रेरणादायक रही है।

  • 9 जनवरी 2004 को वे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए।
  • 5 अक्टूबर 2018 से 23 मई 2019 तक वे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे।
  • इसके बाद 24 मई 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

उनके निर्णयों में हमेशा मानवीय संवेदनशीलता, संवैधानिक मूल्यों और न्याय के व्यापक दृष्टिकोण की झलक दिखाई देती है। वे कई ऐसे ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं जिन्होंने समाज और संविधान की आत्मा को सशक्त किया।

हरियाणा के लिए गौरव का क्षण

यह पहला मौका है जब हरियाणा से कोई व्यक्ति देश का मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहा है। प्रदेशभर में इस खबर के बाद बधाइयों की बाढ़ आ गई। हरियाणा के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, न्यायिक समुदाय और राजनीतिक दलों ने उन्हें शुभकामनाएँ दीं।

हिसार और आसपास के इलाकों में लोग गर्व से कह रहे हैं —

“अब दिल्ली के सर्वोच्च न्यायालय में हिसार की बोली, हरियाणा का संस्कार और न्याय की नई दृष्टि गूंजेगी।”

जस्टिस सूर्यकांत का जीवन इस बात का प्रमाण है कि कठोर परिश्रम, शिक्षा और नैतिकता के बल पर एक सामान्य परिवार का बेटा भी देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंच सकता है।

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