नई दिल्ली। कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण की। उन्हें यह शपथ प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने दिलाई। उनकी नियुक्ति के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में कार्यरत न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है

राष्ट्रपति ने दी थी नियुक्ति की मंजूरी

10 मार्च 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जस्टिस जॉयमाल्या बागची की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। इससे पहले, 6 मार्च 2025 को सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश की थी। कॉलेजियम ने उनकी वरिष्ठता और कानूनी विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया था।

कलकत्ता उच्च न्यायालय से लंबे समय बाद सर्वोच्च न्यायालय को मिला न्यायाधीश

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने यह भी गौर किया कि 18 जुलाई 2013 को पूर्व प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर के सेवानिवृत्त होने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय से कोई भी न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय का हिस्सा नहीं बना था। जस्टिस बागची की नियुक्ति इस कमी को पूरा करती है और उच्च न्यायपालिका में क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

2031 में बन सकते हैं प्रधान न्यायाधीश

जस्टिस जॉयमाल्या बागची की नियुक्ति विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि वह 26 मई 2031 को प्रधान न्यायाधीश (CJI) बन सकते हैं। उनकी वरिष्ठता और लंबी सेवा अवधि को देखते हुए न्यायपालिका में उनके योगदान को लेकर बड़ी उम्मीदें जताई जा रही हैं

सर्वोच्च न्यायालय में जजों की स्थिति

सर्वोच्च न्यायालय में स्वीकृत न्यायाधीशों की संख्या 34 है, जिसमें अब 33 पद भरे जा चुके हैं। जस्टिस बागची की नियुक्ति के बाद अब सिर्फ 1 पद रिक्त बचा है, जिसे जल्द भरे जाने की संभावना है।

जस्टिस जॉयमाल्या बागची का न्यायिक सफर

  • जन्म: पश्चिम बंगाल में हुआ।
  • कानूनी करियर: कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकालत से शुरुआत।
  • नियुक्ति: 2011 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।
  • विशेषज्ञता: संवैधानिक कानून, आपराधिक कानून, और नागरिक विवादों के मामलों में अनुभव।

जस्टिस जॉयमाल्या बागची की नियुक्ति से सर्वोच्च न्यायालय में न्यायिक क्षमता और अनुभव में वृद्धि होगी। उनके पास विस्तृत कानूनी ज्ञान और न्यायिक प्रशासन का अनुभव है, जिससे भविष्य में भारतीय न्यायपालिका को लाभ मिलेगा। उनकी नियुक्ति से कलकत्ता उच्च न्यायालय को भी एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व मिला है

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