जोधपुर बस अग्निकांड में 21 की मौत, 2 अधिकारी निलंबित — अवैध एसी फिटिंग बनी मौत की वजह
जोधपुर, 16 अक्टूबर।
राजस्थान के जोधपुर-जैसलमेर मार्ग पर मंगलवार दोपहर हुए भयानक बस अग्निकांड में मृतकों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है। बुधवार दोपहर घायल 10 वर्षीय मासूम यूनिस ने भी अस्पताल में दम तोड़ दिया।
यह हादसा तब हुआ जब जैसलमेर से जोधपुर आ रही एक निजी बस में अचानक एसी के शॉर्ट सर्किट से आग लग गई, जिससे बस देखते-देखते आग का गोला बन गई।
इस दर्दनाक घटना में अब तक 21 यात्रियों की जान जा चुकी है, जबकि 14 लोग अभी भी घायल हैं, जिनमें से पांच की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है।
🔥 एसी के शॉर्ट सर्किट से लगी आग, बस बन गई चलती मौत
घटना मंगलवार को दोपहर करीब 3:30 बजे थईयात गांव के पास हुई।
जानकारी के अनुसार, जैसलमेर से जोधपुर की ओर आ रही एक निजी एसी बस में अचानक पीछे की ओर तेज धमाके की आवाज आई।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बस के एसी कंप्रेसर में शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे आग भड़क उठी।
डीजल और एसी गैस के मिश्रण से आग ने पलभर में पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया।
बस में 57 यात्री सवार थे।
आग लगने के बाद यात्रियों में चीख-पुकार मच गई।
बस में केवल एक ही दरवाजा होने के कारण अधिकांश लोग अंदर फंस गए।
सामने बैठे यात्री किसी तरह बाहर निकल पाए, लेकिन पीछे की सीटों पर बैठे यात्रियों के लिए बचना नामुमकिन हो गया।

🚒 राहत और बचाव में देरी, आग ने सब कुछ निगल लिया
सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं।
स्थानीय ग्रामीणों ने खिड़कियां तोड़कर यात्रियों को बाहर निकालने की कोशिश की।
करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक बस लगभग पूरी तरह जलकर खाक हो चुकी थी।
घटना स्थल पर जले हुए जूतों, घड़ियों और बैगों से दृश्य भयावह हो गया था।
🏥 19 शव जोधपुर लाए गए, डीएनए जांच जारी
अब तक 19 शवों को जोधपुर के एमजी अस्पताल और एम्स अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है।
शवों की हालत इतनी खराब है कि उनकी पहचान मुश्किल हो रही है, इसलिए डीएनए जांच के बाद परिजनों को शव सौंपे जाएंगे।
एमजीएच अधीक्षक डॉ. फतेह सिंह भाटी ने बताया —
“नौ शव एमजीएच में और दस शव एम्स की मोर्चरी में रखे हैं।
हर घायल मरीज पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
पांच लोग वेंटिलेटर पर हैं और आठ की हालत नाजुक बनी हुई है।”
⚖️ दो अधिकारी निलंबित, जांच में खुलासा — नॉन एसी बस को अवैध रूप से एसी में बदला गया
प्रारंभिक जांच में बस मालिक की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
जानकारी के अनुसार, इस बस को मूल रूप से नॉन एसी मॉडल के रूप में रजिस्टर किया गया था,
लेकिन मालिक ने बिना अनुमति उसे एसी बस में मॉडिफाई करवा लिया था।
परिवहन विभाग को इस अनधिकृत बदलाव की भनक तक नहीं लगी।
इस लापरवाही पर चित्तौड़गढ़ के कार्यवाहक डीटीओ सुरेंद्र सिंह और सहायक प्रशासनिक अधिकारी चुन्नी लाल को तत्काल निलंबित कर दिया गया है।
जांच टीम ने बताया कि बस का रजिस्ट्रेशन इसी माह हुआ था, यानी यह नई बस थी, फिर भी उसमें तकनीकी खामियां मौजूद थीं।
🚨 मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मंत्री पहुंचे अस्पताल
घटना के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मंगलवार रात जैसलमेर और जोधपुर दोनों स्थानों पर पहुंचे।
उन्होंने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की और डॉक्टरों को बेहतर इलाज के निर्देश दिए।
राज्य के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा —
“बस के पीछे से धमाके की आवाज आई थी।
संभावना है कि एसी का कंप्रेसर फटा और गैस के साथ डीजल ने आग को और बढ़ा दिया।
एक ही दरवाजे के कारण लोग फंस गए, जिससे यह बड़ा हादसा हुआ।”
उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

🙏 मुआवजे की मांग — परिजनों के लिए 50 लाख, घायलों के लिए 10 लाख की अपील
हादसे के बाद सर्व ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पं. एस.के. जोशी ने मुख्यमंत्री से मृतकों के परिजनों को
50-50 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की है।
साथ ही घायलों को 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का आग्रह किया गया है।

🕯️ जोधपुर में शोक का माहौल, गांवों में पसरा सन्नाटा
इस हादसे ने जोधपुर और आसपास के क्षेत्रों को झकझोर दिया है।
थईयात गांव से लेकर एमजीएच की मोर्चरी तक मातम पसरा हुआ है।
शवों की पहचान में जुटे परिजनों की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे।
कुछ परिवारों में एक से अधिक सदस्य इस हादसे का शिकार हुए हैं।
🚍 सवालों के घेरे में परिवहन व्यवस्था
यह हादसा राजस्थान की परिवहन व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
एक नई बस का रजिस्ट्रेशन होते ही उसमें अवैध तकनीकी बदलाव कैसे संभव हुआ?
परिवहन विभाग की जांच व्यवस्था कितनी लचर है कि नॉन एसी बस को एसी बनाकर सड़क पर उतारा गया?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह दुर्घटना केवल तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि मानव लापरवाही और सिस्टम की नाकामी का परिणाम है।
🕊️ सरकार ने कहा — दोषी नहीं बचेंगे, सुरक्षा मानकों की समीक्षा होगी
राज्य सरकार ने कहा है कि इस घटना को “सबक और चेतावनी” की तरह लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि राज्य में चल रही सभी निजी बसों की
तकनीकी जांच और सुरक्षा ऑडिट तत्काल किया जाए।
प्रभारी मंत्री मदन दिलावर ने कहा —
“प्रत्येक जिले में परिवहन विभाग की टीम बसों के एसी और इंजन सिस्टम की जांच करेगी।
कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा।”
💔 बस में सवार थे 57 यात्री — कई परिवारों के बुझे चिराग
हादसे के वक्त बस में 57 यात्री सवार थे।
इनमें से कई परिवार जैसलमेर से धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होकर लौट रहे थे।
आग लगने के बाद कुछ लोग पीछे फंस गए, जबकि आगे की सीटों पर बैठे यात्रियों ने खिड़कियां तोड़कर जान बचाई।
स्थानीय लोगों ने बताया कि अगर बस में आपातकालीन निकास (Emergency Exit) होता, तो कई जानें बचाई जा सकती थीं।
🔚 एक दुर्घटना, कई सवाल — क्या सुधरेगी व्यवस्था?
जोधपुर बस अग्निकांड केवल एक हादसा नहीं, बल्कि प्रशासनिक अनदेखी और सुरक्षा मानकों की विफलता की दर्दनाक मिसाल है।
यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी सड़कों पर चलने वाली बसें यात्रियों की जान की सुरक्षा के मानकों पर खरी उतरती हैं?
अब राज्य सरकार के सामने दोहरी चुनौती है —
एक ओर मृतकों के परिजनों को न्याय दिलाना और दूसरी ओर ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस व्यवस्था बनाना।
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