झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के ताजा रुझानों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन (JMM+) ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। 81 सदस्यीय विधानसभा में 41 सीटों की जरूरत को पार करते हुए यह गठबंधन 50 सीटों पर आगे चल रहा है। हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहा, क्योंकि शुरुआती रुझानों में भाजपा ने बढ़त बनाई थी। लेकिन जैसे-जैसे गिनती आगे बढ़ी, ‘INDIA’ गठबंधन ने जोरदार वापसी करते हुए स्थिति पलट दी।
झामुमो गठबंधन की बढ़त और भाजपा की चुनौती
झारखंड में इस बार का चुनाव कई मायनों में अहम था। हेमंत सोरेन की सरकार पर भ्रष्टाचार और वंशवाद के आरोपों के बीच जनता का समर्थन पाना चुनौतीपूर्ण था। बावजूद इसके, गठबंधन ने जमीनी मुद्दों और आदिवासी वर्ग के समर्थन पर फोकस करते हुए मजबूत वापसी की।
- झामुमो गठबंधन (JMM+): 50 सीटों पर बढ़त।
- भाजपा: 25 सीटों पर आगे, लेकिन बहुमत से दूर।
- अन्य: 6 सीटों पर निर्दलीय और छोटे दलों का प्रभाव।
हेमंत सोरेन और सोरेन परिवार का प्रदर्शन
चुनाव परिणामों में एक बड़ा झटका सोरेन परिवार के सदस्यों के लिए देखा गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तो अपनी सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं, लेकिन उनके परिवार के अन्य तीन सदस्य – बसंत सोरेन, चंपई सोरेन और सीता सोरेन – फिलहाल पीछे चल रहे हैं।
इससे साफ होता है कि जनता ने परिवारवाद के खिलाफ नाराजगी जताई है, लेकिन हेमंत सोरेन के व्यक्तिगत नेतृत्व पर भरोसा कायम है।
‘INDIA’ गठबंधन की रणनीति ने पलटी बाजी
कांग्रेस, राजद और झामुमो के ‘INDIA’ गठबंधन ने भाजपा के खिलाफ साझा मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ा।
- आदिवासी, ओबीसी और दलित वोट बैंक को साधने के लिए गठबंधन ने स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दी।
- महिला सशक्तिकरण और रोजगार को लेकर किए गए वादे भी कारगर साबित हुए।
- गठबंधन ने झारखंड के जल, जंगल और जमीन से जुड़े मुद्दों पर जोर दिया, जो भाजपा की रणनीति के मुकाबले अधिक प्रभावी साबित हुआ।
महत्वपूर्ण आंकड़े
- कुल सीटें: 81
- बहुमत का आंकड़ा: 41
- झामुमो गठबंधन (JMM+): 50 सीटों पर बढ़त
- भाजपा: 25 सीटों पर आगे
- अन्य: 6 सीटों पर निर्दलीय और छोटे दलों का प्रभाव
महिलाओं और युवाओं का समर्थन
‘INDIA’ गठबंधन ने महिलाओं और युवाओं को साधने के लिए रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दिया।
- महिला मतदाताओं के लिए विशेष योजनाएं, जैसे कि स्वरोजगार और स्वास्थ्य से जुड़े वादे, गेमचेंजर साबित हुए।
- बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों पर गठबंधन का आक्रामक रवैया युवाओं को प्रभावित करने में सफल रहा।
अगली सरकार की प्राथमिकताएं
चुनाव में जीत के बाद झामुमो गठबंधन की सरकार के सामने बड़ी चुनौतियां हैं:
- आदिवासी अधिकारों की रक्षा: जल, जंगल और जमीन के मुद्दों पर मजबूत नीति लागू करनी होगी।
- भ्रष्टाचार का निपटारा: चुनावी वादों को पूरा करने और जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी।
- रोजगार सृजन: युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में झामुमो गठबंधन की जीत दर्शाती है कि जनता ने स्थानीय मुद्दों और जनसंपर्क अभियानों को प्राथमिकता दी। ‘INDIA’ गठबंधन ने भाजपा की चुनौती का सामना करते हुए आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत रखी। हालांकि, सोरेन परिवार के सदस्यों की हार गठबंधन के लिए एक सबक है। अब देखना होगा कि हेमंत सोरेन की सरकार अपने वादों पर कितना खरा उतरती है।