उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित मेडिकल कॉलेज के नवजात देखभाल यूनिट (एनआईसीयू) में शुक्रवार की रात आग लगने से 10 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। इस हादसे में 16 अन्य बच्चे गंभीर स्थिति में हैं और उनका इलाज जारी है। घटना के बाद प्रदेश सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
कैसे हुई घटना
रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार रात करीब 10 बजे मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में अचानक आग लग गई। उस समय यूनिट में लगभग 26 नवजात बच्चे भर्ती थे। आग की लपटों ने कुछ ही मिनटों में पूरे वार्ड को घेर लिया, जिससे बच्चों को बचाने का समय बेहद कम रह गया। अस्पताल के स्टाफ ने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि 10 बच्चों को बचाना संभव नहीं हो सका।
बचाव के दौरान कर्मचारियों का प्रयास
अस्पताल में मौजूद एक कर्मचारी ने बताया कि आग लगते ही उसने बच्चों को बचाने का प्रयास किया। लेकिन इस दौरान कुछ डॉक्टर और अन्य कर्मचारी घबराहट में भागने लगे। उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने डॉक्टरों को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए कहा, तो अस्पताल प्रबंधन ने उसे चुप रहने की धमकी दी। इस हादसे ने अस्पताल प्रशासन की तैयारियों और सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सरकार की सख्ती: जांच कमेटी गठित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है और इसे एक गंभीर लापरवाही माना है। उन्होंने घटना की जांच के लिए चार सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया है, जिसका नेतृत्व डीजीएमई करेंगे। इस समिति को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। समिति आग लगने के कारणों, सुरक्षा उपायों की कमी, और अस्पताल प्रशासन की भूमिका की जांच करेगी।
परिजनों का गुस्सा और सवाल
इस हादसे के बाद मृतक बच्चों के परिजन बेहद दुखी और आक्रोशित हैं। वे बार-बार अस्पताल प्रशासन से पूछ रहे हैं कि एनआईसीयू जैसे संवेदनशील वार्ड में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं थे। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है और उचित मुआवजे की मांग की है।
अग्निशमन और सुरक्षा उपायों पर सवाल
अस्पताल में आग बुझाने के यंत्रों की कमी, इमरजेंसी एग्जिट का अभाव और स्टाफ की लापरवाही इस घटना को और भी भयावह बना देती है। अस्पताल में भर्ती अन्य बच्चों के परिजनों में भी भय का माहौल है, और वे सुरक्षा उपायों को लेकर चिंतित हैं।
आगे की कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि इस हादसे में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा के आदेश भी दिए गए हैं।